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आज भी मौजूद है वो पत्थर, जिस पर बम बनाने की ट्रेनिंग लिया करते थे शहीद भगत सिंह

नोएडा में वो पत्थर आज भी मौजूद है जहां बम बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था. शहीद भगत सिंह के परिवार की मनजीत कौर ने सरकार से शहीद भगत सिंह पार्क बनाने की मांग की है.

इसी ऐतिहासिक पत्थर में मिलाया जाता था बारूद.
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Published : Jul 15, 2019, 8:29 PM IST

नई दिल्ली /नोएडा: 'इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से, अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं तो इंक़लाब लिख जाता है'. आज़ादी का जुनून शहीद भगत सिंह के दिलो-दिमाग पर इस कदर काबिज़ था कि उनका तन मन और धन केवल देश पर ही न्यौछावर था.

आज भी मौजूद है वो पत्थर जिस पर बम प्रशिक्षण दिया जाता था

जानिए शहीद भगत सिंह की खास बातें:

  • अंग्रेज़ों के दांत खट्टे करने के लिए शहीद भगत सिंह नोएडा के नलगढ़ा गांव में पनाह लेकर यहां बम प्रशिक्षण और बम तैयार किया करते थे.
  • असेंबली में फेंका बम नलगढ़ा गांव में तैयार किया गया था.
  • नोएडा सेक्टर 145 के नलगढ़ा गांव में वो पत्थर आज भी मौजूद है जिस पर बम प्रशिक्षण किया जाता था.
  • शहीद भगत सिंह, राजगुरु अपने साथियों के साथ यहां 3 साल तक रहे थे.
  • बम बनाने के लिए बारूद और अन्य सामग्रियों को जिस पत्थर में रखकर मिलाया जाता था वह ऐतिहासिक पत्थर आज भी नोएडा के नलगढ़ा गांव में मौजूद है.
  • पत्थर में दो गड्ढे हैं, जिसमें बारूद को मिलाया जाता था.
  • ग्रामीणों ने आज भी उनकी इन निशानियों को सहेज कर रखा है.

शहीद भगत सिंह के परिवार के मनजीत कौर ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके गांव में एक शहीद भगत सिंह पार्क और उनका स्मारक बनाया जाए. साथ ही गांव के बाहर शहीद भगत सिंह द्वार बनाया जाए ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को शहीद भगत सिंह के ऐतिहासिक गांव के बारे में पता चल सके.

मनजीत कौर,शहीद भगत सिंह के परिवारीजन

नई दिल्ली /नोएडा: 'इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से, अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं तो इंक़लाब लिख जाता है'. आज़ादी का जुनून शहीद भगत सिंह के दिलो-दिमाग पर इस कदर काबिज़ था कि उनका तन मन और धन केवल देश पर ही न्यौछावर था.

आज भी मौजूद है वो पत्थर जिस पर बम प्रशिक्षण दिया जाता था

जानिए शहीद भगत सिंह की खास बातें:

  • अंग्रेज़ों के दांत खट्टे करने के लिए शहीद भगत सिंह नोएडा के नलगढ़ा गांव में पनाह लेकर यहां बम प्रशिक्षण और बम तैयार किया करते थे.
  • असेंबली में फेंका बम नलगढ़ा गांव में तैयार किया गया था.
  • नोएडा सेक्टर 145 के नलगढ़ा गांव में वो पत्थर आज भी मौजूद है जिस पर बम प्रशिक्षण किया जाता था.
  • शहीद भगत सिंह, राजगुरु अपने साथियों के साथ यहां 3 साल तक रहे थे.
  • बम बनाने के लिए बारूद और अन्य सामग्रियों को जिस पत्थर में रखकर मिलाया जाता था वह ऐतिहासिक पत्थर आज भी नोएडा के नलगढ़ा गांव में मौजूद है.
  • पत्थर में दो गड्ढे हैं, जिसमें बारूद को मिलाया जाता था.
  • ग्रामीणों ने आज भी उनकी इन निशानियों को सहेज कर रखा है.

शहीद भगत सिंह के परिवार के मनजीत कौर ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके गांव में एक शहीद भगत सिंह पार्क और उनका स्मारक बनाया जाए. साथ ही गांव के बाहर शहीद भगत सिंह द्वार बनाया जाए ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को शहीद भगत सिंह के ऐतिहासिक गांव के बारे में पता चल सके.

मनजीत कौर,शहीद भगत सिंह के परिवारीजन

Intro:"इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं तो इंकलाब लिख जाता हूं" आज़ादी का जुनून और दीवानगी इस कदर शहीद भगत सिंह के दिलों दिमाग पर काबिज़ थी कि वो 24 घंटे देश की आज़ादी को ज़िया करते थे। अंग्रेज़ो में दांत खट्टे करने के लिए शहीद भगत सिंह नोएडा के नलगढ़ा गांव में पनाह लेकर यहां बम प्रशिक्षण और बम तैयार किया करते थे। असेंबली में फेंका बम इसी गांव में तैयार किया गया था।


Body:नोएडा सेक्टर 145 के नलगढ़ा गांव में वो पत्थर आज भी मौजूद है जिसपर बम प्रशिक्षण किया जाता था। बम प्रशिक्षण और बारूद तैयार किया करते थे। शहीद भगत सिंह, राज गुरु अपने साथियों के साथ यहां 3 वर्ष तक रहे।

बम बनाने के लिए बारूद और अन्य सामग्रियों को जिस पत्थर में रखकर मिलाया जाता था वह ऐतिहासिक पत्थर आज भी नोएडा के नलगढ़ा गांव में मौजूद है। पत्थर में दो गड्ढे हैं, जिसमें बारूद को मिलाया जाता था। इन निशानियां को ग्रामीणों ने आज भी सहेज कर रखा है।


Conclusion:शहीद भगत सिंह परिवार की मंजीत कौर बताती हैं कि पत्थर में पीस कर बारूद तैयार करके और बम के खोल में भरकर फिर असेंबली में बम फेंका था। परिवार की मनजीत कौर ने बारूद भर बम तैयार करने वाले ऐतिहासिक बम को भी दिखाया।

"सरकार से मांग"
शहीद भगत सिंह के परिवार के मनजीत कौर ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके गांव में एक शहीद भगत सिंह पार्क और उनका स्मारक बनाया जाए। साथ ही गांव के बाहर शहीद भगत सिंह द्वार बनाया जाए। ताकि आगे आने वाली पीढ़ी कुछ शहीद भगत सिंह के ऐतिहासिक गांव के बारे में पता चले।
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