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नारी तू नारायणी: पलाश के जरिए रोजगार का नया आयाम लिख रहीं ग्रामीण महिलाएं

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Published : Mar 14, 2021, 2:07 PM IST

पलाश से जुड़कर अब तक लाखों महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई हैं. ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने एवं उनके श्रम का समुचित लाभ उन तक पहुंचाने के उद्देश्य पलाश का शुभारंभ किया गया था. पलाश ब्रांड के विभिन्न कार्यों से जुड़ कर महिलाएं अपनी आजीविका को सशक्त बना रही हैं.

कमाई का नया आयाम.
कमाई का नया आयाम.

नई दिल्ली/नोएडा: यूं तो देशभर में तमाम अनोखी चीजों का व्यापार होता है, लेकिन क्या आपने पहले कभी बांस और पीपल के पेड़ के अचार के बारे में सुना है? नोएडा के सेक्टर 33 शिल्प हाट में सरस आजीविका मेला 2021 की शुरुआत की गई है, सरस मेला की खास बात यह है कि यहां 300 स्टॉल लगाए गए हैं और सभी स्टॉल को स्वयंसेवा समूह के अंतर्गत महिलाएं संचालित कर रही हैं. वोकल फॉर लोकल के सपनों को ऊंचाई देने में महिलाएं कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं. वैसे तो यहां हर स्टॉल की अपनी अनोखी कहानी है लेकिन बात करें तो झारखंड का स्टॉल चर्चाओं में बना हुआ है. पलाश स्टॉल करीब 30 लाख महिलाओं को रोजगार मुहैया करवा रहा है.

जानकारी देते महिलाएं.

अनोखी वस्तुओं का अंबार

पलाश से जुड़ी ग्रामीण महिलाएं अपने हुनर को लोगों तक पहुंचा रही हैं. ये बात आपको नजर आएगी सरस मेला में लगे झारखंड के स्टॉल पलाश में. यहां पर महिलाओं द्वारा निर्मित ऑर्गेनिक और हैंडमेड हैं. यही नहीं बांस और पीपल के पेड़ का अचार है. इन सभी चीजों की अलग-अलग विशेषता है, यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी लाभदायक हैं.

क्या ऐसे साबुनों के बारे में कभी सुना?

ग्रामीण महिलाओं ने साबुन की कई वैरायटी हैं. चारकोल साबुन, बटर साबुन, नीम साबुन, चंदन साबुन और भी तमाम किस्म के साबुन ये महिलाएं बनाती हैं.

खास तौर पर बात करें तो चारकोल साबुन की विशेषता यह है कि गर्मियों के दौरान चेहरे पर और स्किन पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसकी वजह से चेहरे पर निकलने वाले मुहांसे रोके जा सकते हैं. वहीं नीम साबुन दाद-खुजली से छुटकारा दिलाता है. इसके अलावा बटर साबुन की विशेषता यह है कि यह स्किन को नरम बनाए रखता है और सर्दी-गर्मी में इसके इस्तेमाल के बाद मॉइश्चर की जरूरत भी नहीं पड़ती.

बांस और पीपल के अचार की ये है खासियत

हम सब ने आम, लहसुन, कटहल क्या अचार के बारे में तो सुना होगा. बांस से बना अचार शरीर को स्वस्थ रखने में काफी कारगर है.खासतौर पर जिन लोगों दर्द की शिकायत रहती है, उनके लिए बांस का अचार किसी रामबाण से कम नहीं है. वहीं पीपल के पत्ते से बनने वाले अचार पेट के रोगों के लिए बेहद कारगर हैं.

इन महिलाओं ने सशक्तिकरण की एक मिसाल पेश की है. इनके द्वारा समिति बनाकर रोजगार का नया आयाम लिखने की कोशिश की गई है.

नई दिल्ली/नोएडा: यूं तो देशभर में तमाम अनोखी चीजों का व्यापार होता है, लेकिन क्या आपने पहले कभी बांस और पीपल के पेड़ के अचार के बारे में सुना है? नोएडा के सेक्टर 33 शिल्प हाट में सरस आजीविका मेला 2021 की शुरुआत की गई है, सरस मेला की खास बात यह है कि यहां 300 स्टॉल लगाए गए हैं और सभी स्टॉल को स्वयंसेवा समूह के अंतर्गत महिलाएं संचालित कर रही हैं. वोकल फॉर लोकल के सपनों को ऊंचाई देने में महिलाएं कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं. वैसे तो यहां हर स्टॉल की अपनी अनोखी कहानी है लेकिन बात करें तो झारखंड का स्टॉल चर्चाओं में बना हुआ है. पलाश स्टॉल करीब 30 लाख महिलाओं को रोजगार मुहैया करवा रहा है.

जानकारी देते महिलाएं.

अनोखी वस्तुओं का अंबार

पलाश से जुड़ी ग्रामीण महिलाएं अपने हुनर को लोगों तक पहुंचा रही हैं. ये बात आपको नजर आएगी सरस मेला में लगे झारखंड के स्टॉल पलाश में. यहां पर महिलाओं द्वारा निर्मित ऑर्गेनिक और हैंडमेड हैं. यही नहीं बांस और पीपल के पेड़ का अचार है. इन सभी चीजों की अलग-अलग विशेषता है, यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी लाभदायक हैं.

क्या ऐसे साबुनों के बारे में कभी सुना?

ग्रामीण महिलाओं ने साबुन की कई वैरायटी हैं. चारकोल साबुन, बटर साबुन, नीम साबुन, चंदन साबुन और भी तमाम किस्म के साबुन ये महिलाएं बनाती हैं.

खास तौर पर बात करें तो चारकोल साबुन की विशेषता यह है कि गर्मियों के दौरान चेहरे पर और स्किन पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसकी वजह से चेहरे पर निकलने वाले मुहांसे रोके जा सकते हैं. वहीं नीम साबुन दाद-खुजली से छुटकारा दिलाता है. इसके अलावा बटर साबुन की विशेषता यह है कि यह स्किन को नरम बनाए रखता है और सर्दी-गर्मी में इसके इस्तेमाल के बाद मॉइश्चर की जरूरत भी नहीं पड़ती.

बांस और पीपल के अचार की ये है खासियत

हम सब ने आम, लहसुन, कटहल क्या अचार के बारे में तो सुना होगा. बांस से बना अचार शरीर को स्वस्थ रखने में काफी कारगर है.खासतौर पर जिन लोगों दर्द की शिकायत रहती है, उनके लिए बांस का अचार किसी रामबाण से कम नहीं है. वहीं पीपल के पत्ते से बनने वाले अचार पेट के रोगों के लिए बेहद कारगर हैं.

इन महिलाओं ने सशक्तिकरण की एक मिसाल पेश की है. इनके द्वारा समिति बनाकर रोजगार का नया आयाम लिखने की कोशिश की गई है.

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