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नन्ही बच्ची के इलाज के लिए डॉक्टर ने अपनाया हैरतअंगेज रास्ता, हर तरफ चर्चा - दिल्ली समाचार

11 माह की बच्ची के उपचार के लिए डॉक्टरों को उसकी डॉल की पहले पट्टी करनी पड़ी. दरअसल बच्ची का अपनी डॉल से इतना लगाव था कि वो उसके उपचार को देखने के बाद ही वो अपना उपचार करने दे रही थी.

बच्ची के इलाज के पहले किया गया डॉल का इलाज
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Published : Aug 31, 2019, 12:46 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. 11 महीने की बच्ची के पैर में फ्रैक्चर पर प्लास्टर करना था, लेकिन पहले उसकी गुड़िया का प्लास्टर करना पड़ा. दरअसल बच्ची का अपनी डॉल से इतना लगाव था कि उसके उपचार को देखने के बाद ही वो डॉक्टर को अपना उपचार करने दे रही थी.

जानकारी देते चिकित्सक.

हड्डी विभाग के डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि दरियागंज निवासी दंपत्ति की 11 महीने की बच्ची फरीन को अस्पताल में लेकर आए थे. वह खेल-खेल में बेड से नीचे गिर गई थी जिससे उसके पैर में फ्रैक्चर आया था, जिससे उपचार के दौरान बच्ची काफी रो रही थी.

इसी बीच बच्ची की मांग पर परिजनों ने उसकी डॉल अस्पताल में लाई, जिससे बच्ची थोड़ी खुश हो गई.

डॉक्टर ने बताया कि जब देखा गया कि बच्ची का अपनी डॉल से काफी लगाव है, तो पहले उसकी डॉल को इंजेक्शन दिया गया, फिर बच्ची को इंजेक्शन दिया गया. उसी तरह प्लास्टर चढ़ाने को लेकर भी पहले डॉल के पैर में प्लास्टर चढ़ाया गया, फिर बच्ची के पैरों में प्लास्टर की पट्टी लगी. इस तरह डॉक्टरों को इलाज करने में बच्ची ने परेशान नहीं किया.

दादी ने दी थी डॉल:
परिजनों ने बताया कि जब फरीन दो महीने की थी, तब उसकी दादी ने यह डॉल उसे गिफ्ट में दी थी. तब से उसका डॉल से काफी लगाव रहा है. परिजन इस बात पर अब भी यकीन नहीं कर पा रहें है कि डॉल से बच्ची का लगाव इतना चौंकाने वाला कैसे हो सकता है. फिलहाल बच्ची का उपचार अभी चल रहा है.

नई दिल्ली: राजधानी के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. 11 महीने की बच्ची के पैर में फ्रैक्चर पर प्लास्टर करना था, लेकिन पहले उसकी गुड़िया का प्लास्टर करना पड़ा. दरअसल बच्ची का अपनी डॉल से इतना लगाव था कि उसके उपचार को देखने के बाद ही वो डॉक्टर को अपना उपचार करने दे रही थी.

जानकारी देते चिकित्सक.

हड्डी विभाग के डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि दरियागंज निवासी दंपत्ति की 11 महीने की बच्ची फरीन को अस्पताल में लेकर आए थे. वह खेल-खेल में बेड से नीचे गिर गई थी जिससे उसके पैर में फ्रैक्चर आया था, जिससे उपचार के दौरान बच्ची काफी रो रही थी.

इसी बीच बच्ची की मांग पर परिजनों ने उसकी डॉल अस्पताल में लाई, जिससे बच्ची थोड़ी खुश हो गई.

डॉक्टर ने बताया कि जब देखा गया कि बच्ची का अपनी डॉल से काफी लगाव है, तो पहले उसकी डॉल को इंजेक्शन दिया गया, फिर बच्ची को इंजेक्शन दिया गया. उसी तरह प्लास्टर चढ़ाने को लेकर भी पहले डॉल के पैर में प्लास्टर चढ़ाया गया, फिर बच्ची के पैरों में प्लास्टर की पट्टी लगी. इस तरह डॉक्टरों को इलाज करने में बच्ची ने परेशान नहीं किया.

दादी ने दी थी डॉल:
परिजनों ने बताया कि जब फरीन दो महीने की थी, तब उसकी दादी ने यह डॉल उसे गिफ्ट में दी थी. तब से उसका डॉल से काफी लगाव रहा है. परिजन इस बात पर अब भी यकीन नहीं कर पा रहें है कि डॉल से बच्ची का लगाव इतना चौंकाने वाला कैसे हो सकता है. फिलहाल बच्ची का उपचार अभी चल रहा है.

Intro:11 माह की बच्ची के इलाज के लिए पहले उसकी डॉल का करना पड़ा प्लास्टर

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में ऐसा अनोखा मामला सामने आया है. जहां पर 11 माह की बच्ची के उपचार के लिए डॉक्टरों को उसकी डॉल का पहले फैक्चर की पट्टी करनी पड़ी. दरअसल बच्ची का अपनी डॉल से इतना लगा था कि वह उसके उपचार को देखने के बाद ही अपना उपचार करने दे रही थी.Body: हड्डी विभाग के डॉ अतुल गुप्ता ने बताया कि बच्ची के परिजन दरियागंज के रहने वाले हैं.उनकी 11 महीने की बच्ची फरीन को अस्पताल में लेकर आए थे.उन्होंने बताया कि वह खेल खेल में बेड से नीचे गिर गई थी.जिसके बाद उसके पैर में फैक्चर आया था.लेकिन उपचार के दौरान बच्ची काफी रुओ रही थी.जिससे बच्ची के पैर का प्लास्टर लगाने में डॉक्टरों को मुश्किल हो रही थी.इस बाबत बच्ची लगातार अपनी डॉल अस्पताल लाने की मांग कर रही थी.इसके बाद परिजन डॉल को अस्पताल लाए. तो वह थोड़ा खुश हुई.डॉक्टर ने बताया कि इस बाबत यह देखा गया कि बच्ची का डॉल से काफी लगाव है, जिसके बाद डॉल को इंजेक्शन पहले दिया, उसके बाद बच्ची को.इस बात को देख वह बिल्कुल नहीं रोइ.इसे देख सभी भौचक्के रह गए.डॉक्टरों ने इस बाबत पहले डॉल को पैर में फेक्चर चढ़ाया और उसके बाद बच्ची के. जिसके बाद बच्ची अपनी डॉल को देख इलाज करा रही है.

दो माह की थी बच्ची तब दी थी नानी ने डॉल
परिजनों ने बताया कि जब फरीन दो माह की थी तब उसकी दादी ने यह डॉल उसे गिफ्ट में दी थी.तब से उसका डॉल से काफी लगाव था.परिजन इस बात से भौचक्के हैं कि बच्ची का इस तरह डॉल से लगाव होना बेहद ही चौकाने वाला है.Conclusion:फिलहाल बच्ची का अब उपचार चल रहा है.उसके उपचार से परिजन और डॉक्टर भी खुश हैं.
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