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नोएडा में अस्पताल दर अस्पताल भटकता रहा पिता, दिल्ली के सफदरजंग में मिला इलाज - noida latest news

नोएडा में एक पिता एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकता रहा, लेकिन उसके बेटे को इलाज नहीं मिला. कासना के बड़ा गांव के रहने वाले रोशन कुमार अपने तीन साल के बेटे का इलाज कराने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटे. आखिरकार सफदरजंग अस्पताल में उन्हें इलाज मिला.

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बेटे को गोद में लेकर अस्पताल दर अस्पताल भटकता रहा पिता.
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Published : Jun 18, 2020, 12:12 PM IST

नोएडा: कोरोना काल में भी अस्पतालों की लापरवाही का आलम ये है कि गैर-कोरोना मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है. ताजा मामला कासना के बड़ा गांव का है. जहां के रोशन कुमार अपने तीन साल के बेटे को गोद में उठाए अस्पताल दर अस्पताल चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी भी अस्पताल ने उनके बेटे को भर्ती करने की जहमत नहीं उठाई.

लापरवाही का आलम ये है कि पीड़ित पिता को दिल्ली के सफरदजंग अस्पताल में जाकर अपने बेटे का इलाज करवाना पड़ा. जानकारी के अनुसार रोशन कुमार का 3 साल का बेटा दो मंजिले छत से खेलते समय नीचे गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया था.

बेटे को गोद में लेकर अस्पताल दर अस्पताल भटकता रहा पिता.

आनन-फानन में परिजन घायल बच्चे को लेकर ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल पहुंचे. जहां डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को निजी एंबुलेंस से सीएचसी बिसरख भेज दिया. लेकिन सीएचसी के डॉक्टर ने सीटी स्कैन और एक्स-रे की सुविधा न होने की बात कही, और बच्चे को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निजी अस्पताल में इलाज कराने को कहा.

वहां पहुंचने से पता चला कि यहां सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है. इसलिए उन्हें सेक्टर 110 के दूसरे निजी हॉस्पिटल में भेज दिया गया. जहां डॉक्टर ने बच्चे के इलाज के लिए 25 हजार रुपये जमा करने को कहा. पीड़ित पिता ने अपनी मजबूरी बताई तो बच्चे को जिला अस्पताल रेफर कर दिया.

वहीं जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ ने सिटी स्कैन और अन्य सुविधाओं की कमी बताते हुए बच्चे को भर्ती नहीं किया और दिल्ली के सफरदजंग अस्पताल में इलाज कराने को कहा. आखिर में उन्हें सफदरजंग अस्पताल जाकर बच्चे का इलाज करवाना पड़ा. बता दें कि गर्भवती महिला की मौत और एएसआई में टीबी पीड़ित युवती की आत्महत्या मामले पर बवाल के बाद भी डॉक्टरों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है.

नोएडा: कोरोना काल में भी अस्पतालों की लापरवाही का आलम ये है कि गैर-कोरोना मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है. ताजा मामला कासना के बड़ा गांव का है. जहां के रोशन कुमार अपने तीन साल के बेटे को गोद में उठाए अस्पताल दर अस्पताल चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी भी अस्पताल ने उनके बेटे को भर्ती करने की जहमत नहीं उठाई.

लापरवाही का आलम ये है कि पीड़ित पिता को दिल्ली के सफरदजंग अस्पताल में जाकर अपने बेटे का इलाज करवाना पड़ा. जानकारी के अनुसार रोशन कुमार का 3 साल का बेटा दो मंजिले छत से खेलते समय नीचे गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया था.

बेटे को गोद में लेकर अस्पताल दर अस्पताल भटकता रहा पिता.

आनन-फानन में परिजन घायल बच्चे को लेकर ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल पहुंचे. जहां डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को निजी एंबुलेंस से सीएचसी बिसरख भेज दिया. लेकिन सीएचसी के डॉक्टर ने सीटी स्कैन और एक्स-रे की सुविधा न होने की बात कही, और बच्चे को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निजी अस्पताल में इलाज कराने को कहा.

वहां पहुंचने से पता चला कि यहां सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है. इसलिए उन्हें सेक्टर 110 के दूसरे निजी हॉस्पिटल में भेज दिया गया. जहां डॉक्टर ने बच्चे के इलाज के लिए 25 हजार रुपये जमा करने को कहा. पीड़ित पिता ने अपनी मजबूरी बताई तो बच्चे को जिला अस्पताल रेफर कर दिया.

वहीं जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ ने सिटी स्कैन और अन्य सुविधाओं की कमी बताते हुए बच्चे को भर्ती नहीं किया और दिल्ली के सफरदजंग अस्पताल में इलाज कराने को कहा. आखिर में उन्हें सफदरजंग अस्पताल जाकर बच्चे का इलाज करवाना पड़ा. बता दें कि गर्भवती महिला की मौत और एएसआई में टीबी पीड़ित युवती की आत्महत्या मामले पर बवाल के बाद भी डॉक्टरों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है.

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