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ट्रांसपोर्ट के बिजनेस पर कोरोना की मार, आर्थिक स्थिति खराब

कोरोना की मार ट्रांसपोर्ट के बिजनेस पर भी काफी मार पड़ रही है. ट्रांसपोटर्स का कहना है कि पिछले डेढ़ वर्षों से बसें खड़ी हैं. इसके चलते आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.

नोएडा.
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Published : May 21, 2021, 5:58 AM IST

नई दिल्ली/नोएडाः कोविड-19 महामारी से लोग आर्थिक समस्याओं से भी बुरी तरीके से जूझ रहे हैं. इसकी ट्रांसपोर्ट के बिजनेस पर भी काफी मार पड़ रही है. ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव ने बताया कि करीब डेढ़ साल से बसों को खड़ा कर रखा है. इसके चलते आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. करीब 90 फीसदी कर्मचारियों को निकाल दिया है. वहीं 10 प्रतिशत कर्मचारियों को तनख्वाह देना भी भारी पड़ रहा है.

दोहरी मार का शिकार हो रहा ट्रांसपोर्ट का बिजनेस

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव अनिल दीक्षित ने बताया कि आज यह स्थिति हो गई है कि सड़कों पर बस उतारने के लिए कम से कम एक लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे, क्योंकि गाड़ी के टैक्स, फिटनेस, इंश्योरेंस के साथ रबड़ भी खराब हो चुके हैं. ट्रांसपोर्टर दोहरी मार झेल रहा है. बसें न चलने के बावजूद भी बैंकों को पूरी किस्त देनी पड़ रही है. किस्त न दे पाने पर, बैंक द्वारा या तो गाड़ी खींच ली जा रही है या फिर नोटिस दिया जा रहा है. इसके चलते ट्रांसपोर्टर मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं.

ये भी पढ़ें-बारिश में भीगते हुए खरीद रहे शराब, कहा- कोरोना को देंगे मात


अनिल दीक्षित ने बताया जिले में स्कूल बंद हैं. सॉफ्टवेयर कंपनियां work-from-home से काम चला रही हैं. इससे परिवहन से जुड़े लोगों की आजीविका संकट में आ गई है. सरकार से यह निवेदन है कि ब्याज में छूट दें. इसके साथ ही, जब तक कोरोना का दौर चल रहा है, तब तक के लिए बैंकों द्वारा परेशान न किया जाए, ताकि समय आने पर भुगतान आसानी से किया जा सके.

नई दिल्ली/नोएडाः कोविड-19 महामारी से लोग आर्थिक समस्याओं से भी बुरी तरीके से जूझ रहे हैं. इसकी ट्रांसपोर्ट के बिजनेस पर भी काफी मार पड़ रही है. ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव ने बताया कि करीब डेढ़ साल से बसों को खड़ा कर रखा है. इसके चलते आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. करीब 90 फीसदी कर्मचारियों को निकाल दिया है. वहीं 10 प्रतिशत कर्मचारियों को तनख्वाह देना भी भारी पड़ रहा है.

दोहरी मार का शिकार हो रहा ट्रांसपोर्ट का बिजनेस

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव अनिल दीक्षित ने बताया कि आज यह स्थिति हो गई है कि सड़कों पर बस उतारने के लिए कम से कम एक लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे, क्योंकि गाड़ी के टैक्स, फिटनेस, इंश्योरेंस के साथ रबड़ भी खराब हो चुके हैं. ट्रांसपोर्टर दोहरी मार झेल रहा है. बसें न चलने के बावजूद भी बैंकों को पूरी किस्त देनी पड़ रही है. किस्त न दे पाने पर, बैंक द्वारा या तो गाड़ी खींच ली जा रही है या फिर नोटिस दिया जा रहा है. इसके चलते ट्रांसपोर्टर मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं.

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अनिल दीक्षित ने बताया जिले में स्कूल बंद हैं. सॉफ्टवेयर कंपनियां work-from-home से काम चला रही हैं. इससे परिवहन से जुड़े लोगों की आजीविका संकट में आ गई है. सरकार से यह निवेदन है कि ब्याज में छूट दें. इसके साथ ही, जब तक कोरोना का दौर चल रहा है, तब तक के लिए बैंकों द्वारा परेशान न किया जाए, ताकि समय आने पर भुगतान आसानी से किया जा सके.

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