फिरोजाबाद: किसानों ने नए-नए तरीके अपनाकर आमतौर पर घाटे का सौदा मानी जाने वाली खेती-बाड़ी को लाभकारी व्यवसाय के रूप में परिवर्तित कर दिखाया है. जिले में सब्जी की फसल करने वाले किसानों का रुझान मचान विधि की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. यह विधि नई जरूर है, लेकिन किसान काफी उत्साहित हैं. किसान मानते हैं कि इस विधि से सामान्य लागत में ही अच्छा मुनाफा हासिल किया जा सकता है. साथ ही फसल को भी खराब होने से रोका जा सकता है. इस विधि से फसल को 5-6 फीट की ऊंचाई पर पैदा किया जाता है, जिससे फसलों के खराब होने की संभावना काफी कम हो जाती है. वहीं पैदावार भी अच्छी होती है. फिरोजाबाद का उद्यान विभाग भी इस विधि को प्रोत्साहित करने के मकसद से किसानों को अनुदान दे रहा है.
कैसे होती है इस विधि से खेती
सब्जी की कुछ फसलें बेल पर होती हैं, जिनमें लौकी और तोरई प्रमुख हैं. इनकी बेल जब खेत में फैल जाती है, तब उसपर लगने वाले फल मिट्टी के संपर्क में आने से खराब भी हो जाते हैं. साथ ही उनका विकास भी रूक जाता है. इसलिए फिरोजाबाद के किसानों ने उद्यान विभाग की मदद से मचान विधि का प्रयोग करना शुरू किया है. इस विधि में 5-6 फीट ऊंचे बांस खेत में लगाए जाते हैं. उन बांस के ऊपर जाल बनाया जाता है. इन बांस के जरिये ही पौधों को जाल पर चढ़ाया जाता है. इस विधि से फिलहाल जिले में करीब 50 से 60 किसान खेती कर रहे हैं. किसान भी मानते हैं कि इस तरह से फसल करने से जो फल मिट्टी के संपर्क में आकर खराब हो जाता था, वह नहीं होता. इसके साथ ही लटकने की वजह से फल जल्द ही बड़ा भी हो जाता है.
क्या कहते हैं उद्यान विभाग के अधिकारी
फिरोजाबाद के जिला उद्यान अधिकारी विनय यादव का कहना है कि मचान विधि किसानों के लिए काफी लाभदायक है. इसमें एक तरह जहां फसल खराब नहीं होती है, वहीं फलों के लटकने की वजह से उनमें जल्द बढ़ोत्तरी हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस विधि को किसान अब ज्यादातर संख्या में अपना रहे हैं. शिकोहाबाद के आसपास के तीन-चार गांव के किसान तो इसी विधि को अपना रहे हैं. उद्यान अधिकारी के मुताबिक इस विधि से खेती कर 40 से 45 हजार रुपये प्रति एकड़ तक मुनाफे में इजाफा किया जा सकता है. उद्यान विभाग भी इस तरह की खेती को प्रोत्साहित करने के मकसद से 8 हजार रुपये प्रति एकड़ पर अनुदान दे रहा है.