फिरोजाबाद: जनपद फिरोजाबाद को उत्तर प्रदेश का औद्योगिक शहर के रूप में जाना जाता है. यहां बड़े पैमाने पर चूड़ियों के साथ शीशे के अन्य सामानों का निर्माण होता है. इन वस्तुओं को बनाने में भारी मात्रा में केमिकल का उपयोग किया जाता है. इन उत्पादों के निर्माण करने वाले जिले में स्थित कारखानों का पानी नालों में गिरता है, जिससे पानी भी जहरीला हो जाता है.
कारखानों का जहरीला पानी नाले में
फिरोजाबाद शहर का एक बड़ा नाला है, जो नई आबादी के कोटला रोड से शुरू होता है. जो सीएल जैन डिग्री कॉलेज शहर के बीचों बीच गांव बासठ, बसई मोहम्मदपुर इलाके के जंगल से होता हुआ यमुना में भी गिरता है. इसी नाले में कारखानों का जहरीला पानी भी गिरता है.
जिन इलाकों से यह नाला गुजरता है, वहां सिंचाई के कोई साधन नहीं है. यहां कोई नहर भी नहीं है. साथ ही जल स्तर इतना नीचे है कि यहां ट्यूबेल भी काम नहीं करते. ऐसे में किसान मजबूरन सिंचाई के लिए इसी नाले के पानी को उपयोग में लाते हैं. लेकिन इस पानी से जो फसलें तैयार होती हैं, वह लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि नाले के पानी से फसल की उत्पादकता तो बढ़ जाती है, लेकिन पानी में जो घातक केमिकल होते हैं वह जब सब्जियों के जरिये मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं तो वह कई तरह की गंभीर बीमारियों के शिकार भी हो जाते हैं.