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डेढ़ दशक बाद बोतल से निकला घोटाले का जिन्न, कर्मचारियों पर लटकी तलवार

यूपी के फिरोजाबाद जनपद में करीब डेढ़ दशक पहले हुए छात्रवृत्ति घोटाला फिर से सुर्खियों में हैं. साल 2002 से लेकर 2006 के बीच फिरोजाबाद के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में कथित रूप से छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था. इस छात्रवृत्ति घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आया है. इस घोटाले में कुल आठ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इनमें पांच अधिकारी भी शामिल हैं.

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कर्मचारियों पर लटकी तलवार
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Published : Nov 24, 2020, 1:10 PM IST

फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद जनपद में करीब डेढ़ दशक पहले हुए छात्रवृत्ति घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आया है. आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की जांच के बाद घोटाले की अवधि में तैनात रहे अफसरों और कर्मचारियों के नाम मांगे गए है. इस घोटाले में कुल आठ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इनमें पांच अधिकारी भी शामिल हैं.

डेढ़ दशक बाद बोतल से निकला घोटाले का जिन्न
साल 2002 से लेकर 2006 के बीच फिरोजाबाद के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में कथित रूप से छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था. इस मामले की शिकायत शासन में की गयी थी. शिकायत थी कि कई शिक्षण संस्थानों में वास्तविक संख्या से अधिक छात्र दिखाकर 50 लाख से ज्यादा की धनराशि का घोटाला किया गया है. शिकायत की कई स्तर पर जांच हुई और बाद में जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को दी गयी. जांच एजेंसी ने 19 नबम्बर को पत्र भेजकर घोटाले की अवधि के दौरान तैनात अफसरों के नाम मांगे हैं.जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी अनुपम राय ने बताया कि साल 2003 से 2006 के बीच हुए ऑडिट में यह गड़बड़ी पकड़ में आयी. इसी मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा द्वारा की गयी है, जिसमे तत्कालीन समय मे पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी रहे पांच अधिकारियों और तीन वरिष्ठ सहायकों के नाम मांगे गए हैं. जिनके नाम शासन को भेज दिये गए है. इस अवधि में चंदन सिंह, श्याम नारायण कुशवाहा, टीकाराम रावत, विजय कुमार और पुष्पा सक्सेना पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी के रूप में तैनात रहे. उन्होंने बताया कि इनके खिलाफ कार्रवाई के लिये शासन से अनुमति मांगी गयी है.

फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद जनपद में करीब डेढ़ दशक पहले हुए छात्रवृत्ति घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आया है. आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की जांच के बाद घोटाले की अवधि में तैनात रहे अफसरों और कर्मचारियों के नाम मांगे गए है. इस घोटाले में कुल आठ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इनमें पांच अधिकारी भी शामिल हैं.

डेढ़ दशक बाद बोतल से निकला घोटाले का जिन्न
साल 2002 से लेकर 2006 के बीच फिरोजाबाद के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में कथित रूप से छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था. इस मामले की शिकायत शासन में की गयी थी. शिकायत थी कि कई शिक्षण संस्थानों में वास्तविक संख्या से अधिक छात्र दिखाकर 50 लाख से ज्यादा की धनराशि का घोटाला किया गया है. शिकायत की कई स्तर पर जांच हुई और बाद में जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को दी गयी. जांच एजेंसी ने 19 नबम्बर को पत्र भेजकर घोटाले की अवधि के दौरान तैनात अफसरों के नाम मांगे हैं.जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी अनुपम राय ने बताया कि साल 2003 से 2006 के बीच हुए ऑडिट में यह गड़बड़ी पकड़ में आयी. इसी मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा द्वारा की गयी है, जिसमे तत्कालीन समय मे पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी रहे पांच अधिकारियों और तीन वरिष्ठ सहायकों के नाम मांगे गए हैं. जिनके नाम शासन को भेज दिये गए है. इस अवधि में चंदन सिंह, श्याम नारायण कुशवाहा, टीकाराम रावत, विजय कुमार और पुष्पा सक्सेना पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी के रूप में तैनात रहे. उन्होंने बताया कि इनके खिलाफ कार्रवाई के लिये शासन से अनुमति मांगी गयी है.
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