फिरोजाबाद : फिरोजाबाद शहर को कांच की नगरी के नाम से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है. इसकी वजह यह है कि यहां का जो कांच का सामान है वह अन्य देशों में भी निर्यात होता है. जिले से करोड़ों का माल अन्य देशों में निर्यात होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते न तो माल बन सका और न ही निर्यात हो सका. कुछ ऑर्डर भी मिले थे वह भी कैंसिल हो गए.
कोरोना काल में कांच उद्योग की गाड़ी पटरी से उतर गई थी. लेकिन कांच उद्योग को अब फिर से पटरी पर लाने की कोशिश शुरू हो गई है. इसी सिलसिले में शनिवार को कांच निर्यातकों के साथ उद्योग विभाग के अफसरों की एक सेमिनार हुई, जिसमें इस बात पर मंथन हुआ कि आखिर गाड़ी को पटरी पर कैसे लाया जाए. फिरोजाबाद में निर्यातकों की संख्या 200 के आसपास है. कुछ प्रत्यक्ष रूप से निर्यात करते हैं और कुछ अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात करते हैं. फिरोजाबाद से 500 करोड़ का सालाना प्रत्यक्ष निर्यात होता है, जबकि दो हजार करोड़ का अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात होता है.
दरअसल, जिले में काम अच्छा खासा चल रहा था, लेकिन कोरोना महामारी ने इस उद्योग को जोर का झटका दिया है. विदेशों से जो आर्डर मिले थे वह सभी कैंसिल हो गए, लिहाजा कई महीनों से निर्यातक हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं. पूरी सुहाग नगरी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है. लेकिन अब अच्छी बात ये है कि फिरोजाबाद के इस कारोबार को मंदी से उबारने के लिए उपाय खोजे जा रहे हैं. इसी को लेकर शनिवार को जिला उद्योग विभाग के अफसरों और निर्यातकों के बीच एक सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में निर्यातकों से उद्योग विभाग के अफसरों ने यह सुझाव मांगे कि आखिर इस कारोबार में कैसे जान डाली जा सकती है. कुछ कारोबारियों ने सरकार से मांग की, कि टैक्स में रियायत दी जाए तो कुछ कारोबारी इस कारोबार के लिए स्पेशल पैकेज की मांग किए. विभाग के अफसरों का कहना है कि कारोबारियों की जो मंशा है उससे शासन को अवगत कराया जाएगा, जिससे इस कारोबार को फिर से पंख लग सके.