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मुस्लिम समुदाय ने किया हिन्दू डॉक्टर का अंतिम संस्कार, 'राम नाम सत्य है' का हुआ उद्घोष - funeral of hindu doctor

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में गुरुवार को हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिली. यहां एक हिन्दू डॉक्टर की मृत्यु के बाद स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनका वैदिक रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया.

हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल.
हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल.
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Published : Sep 18, 2020, 12:44 AM IST

फिरोजाबाद: कहते हैं कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. सुहाग नगरी फिरोजाबाद में भी कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला, जहां एक हिंदू डॉक्टर की मौत होने पर मुस्लिम समाज के लोगों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया. यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न सिर्फ उनकी अर्थी को कंधा दिया, बल्कि वैदिक रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार भी किया और 'राम नाम सत्य है' का उद्घोष भी किया.

हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल.

जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र में नालबंद इलाके के पास डॉ. विनोद गुप्ता की क्लीनिक है, यहीं उनका घर भी है. यह पूरा इलाका मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. डॉ. विनोद गुप्ता की न तो पत्नी है और न ही कोई बेटा. परिवार के अन्य लोग कहां रहते हैं, इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं. विनोद गुप्ता काफी समय से इसी इलाके में लोगों का इलाज करते थे. वहीं गुरुवार को डॉ. विनोद गुप्ता की मौत हो गई. ऐसे में उनकी मौत के बाद लोगों के सामने उनके अंतिम संस्कार को लेकर सवाल खड़ा हो गया कि उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा.

इसी पशोपेश के बीच स्थानीय मोहल्ले के ही मुस्लिम समाज के लोगों ने डॉ. विनोद गुप्ता का अंतिम संस्कार खुद करने का निर्णय लिया. इसके बाद सभी स्थानीय लोग जुट गए और अर्थी मंगाई गई. मृतक डॉक्टर विनोद गुप्ता के शव को अर्थी पर रखकर 'राम नाम सत्य है' का उद्घोष करते हुए जलेसर रोड मरघटी पर लाया गया, जहां उनका वैदिक रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वहीं स्थानीय मुस्लिम समाज के लोगों की यह पहल शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है. इन लोगों की यह पहल हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही समाज के उन लोगों के लिए नजीर है, जो छोटे-छोटे मामलों को सांप्रदायिक रंग देने से नहीं चूकते हैं.

इसे भी पढ़ें- अब मंडुआडीह नहीं... बोलिए बनारस रेलवे स्टेशन, नोटिफिकेशन जारी

फिरोजाबाद: कहते हैं कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. सुहाग नगरी फिरोजाबाद में भी कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला, जहां एक हिंदू डॉक्टर की मौत होने पर मुस्लिम समाज के लोगों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया. यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न सिर्फ उनकी अर्थी को कंधा दिया, बल्कि वैदिक रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार भी किया और 'राम नाम सत्य है' का उद्घोष भी किया.

हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल.

जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र में नालबंद इलाके के पास डॉ. विनोद गुप्ता की क्लीनिक है, यहीं उनका घर भी है. यह पूरा इलाका मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. डॉ. विनोद गुप्ता की न तो पत्नी है और न ही कोई बेटा. परिवार के अन्य लोग कहां रहते हैं, इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं. विनोद गुप्ता काफी समय से इसी इलाके में लोगों का इलाज करते थे. वहीं गुरुवार को डॉ. विनोद गुप्ता की मौत हो गई. ऐसे में उनकी मौत के बाद लोगों के सामने उनके अंतिम संस्कार को लेकर सवाल खड़ा हो गया कि उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा.

इसी पशोपेश के बीच स्थानीय मोहल्ले के ही मुस्लिम समाज के लोगों ने डॉ. विनोद गुप्ता का अंतिम संस्कार खुद करने का निर्णय लिया. इसके बाद सभी स्थानीय लोग जुट गए और अर्थी मंगाई गई. मृतक डॉक्टर विनोद गुप्ता के शव को अर्थी पर रखकर 'राम नाम सत्य है' का उद्घोष करते हुए जलेसर रोड मरघटी पर लाया गया, जहां उनका वैदिक रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वहीं स्थानीय मुस्लिम समाज के लोगों की यह पहल शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है. इन लोगों की यह पहल हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही समाज के उन लोगों के लिए नजीर है, जो छोटे-छोटे मामलों को सांप्रदायिक रंग देने से नहीं चूकते हैं.

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