फिरोजाबाद: चूड़ियों के शहर के नाम से देशभर में मशहूर स्मार्ट सिटी फिरोजाबाद में साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी यह शहर स्वच्छता सर्वेक्षण की रेंक में और अधिक पिछड़ गया है. यूपी में पिछली बार चौथी रैंकिंग हासिल करने वाले फिरोजाबाद ने इस बार 9वां स्थान हासिल किया है. इसी तरह केंद्रीय रैंकिंग में यह शहर पिछले साल की तुलना में 43 से खिसककर 103 पर पहुंच गया है. हालांकि, नगर निगम के अफसरों का कहना है कि गंदगी पर काबू पाने के लिए कूड़ा निस्तारण पर जोर दिया जा रहा है.
यूपी में कुल 16 शहरों को नगर निगम का दर्जा मिला है. इन शहरों में एक नाम फिरोजाबाद का भी है. यहां बहुतादायत में इंडस्ट्रीज होने और शगर के आसपास की 13 ग्राम पंचायतों को इस शहर की सीमा में शामिल करने के बाद यहां गंदगी की समस्या एक बड़ा मुद्दा थी. इस शहर को देश के प्रदूषित शहरों में गिना जाने लगा था. 4 अगस्त 2014 को इसे नगर निगम का दर्जा मिला. तब यहां के लोगों को उम्मीद जगी कि शायद अब गंदगी की समस्या का समाधान होगा.
नगर निगम ने इस दिशा में प्रयास भी किए, जिसका नतीजा रहा कि पिछली बार नेशनल स्तर पर कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में इस शहर को 60वीं रेंक मिली थी, जबकि यूपी के शहरों के सर्वेक्षण में यह शहर चौथे स्थान पर आया था. इंदौर की तर्ज पर इस शहर को और अधिक स्वच्छ बनाने के मकसद से करोड़ों रुपये पानी की तरह खर्च हुआ. सफाई कर्मचारियों की संख्या में इजाफा हुआ. डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम शुरू हुआ. साथ ही संसाधनों में इजाफा किया गया. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला.
वहीं, स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार इस शहर ने उत्तर प्रदेश में नौंवा और नेशनल सर्वेक्षण में 103वीं रेंक हासिल की है. आंकड़ों की बात करें तो ऐसा नहीं कि नगर निगम के पास संसाधनों की कमी हो. छह लाख 40 हजार की आबादी वाले इस शहर में दो हजार सफाई कर्मचारी हैं. नाला सफाई के लिए पांच जेसीबी हैं. 560 हाथठेला हैं. शहर में 70 वार्ड में जिनमें 349 क्विंटल कूड़ा प्रतिदिन निकलता है.
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