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कोरोना काल में गुम हो गई चूड़ियों की खनक - कांच के व्यापारियों को नुकसान

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में कांच के व्यापारियों की मुसीबतें कोरोना के कारण बढ़ गई हैं. इसको लेकर व्यापारी सरकार से ठोस कदम उठाने की गुहार लगा रहे हैं.

व्यापारियों की बढ़ी मुसीबतें
कांच व्यापारियों की बढ़ी मुसीबतें.
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Published : Oct 24, 2020, 5:17 PM IST

फिरोजाबाद : फिरोजाबाद जिला कांच के सामान के निर्यात में पहले नंबर आता है. यूं तो यहां कि कांच की चूड़ियों के चर्चे देश-विदेश में हैं, लेकिन यहां पर कई और कांच के सामान भी बनाए जाते हैं. वहीं कोरोना के कहर से कांच का व्यापार भी अछूता नहीं रहा है. इस साल कोरोना के कारण 500 करोड़ का घाटा हुआ है. दरअसल, जिन सामानों के ऑर्डर किए गए थे, उसके 70 फीसदी ऑडर कैंसल हो गए हैं. इस कारण व्यापारी काफी परेशान हैं और सरकार से इस ओर ठोस कदम उठाने की गुहार लगा रहे हैं.

कांच व्यापारियों की बढ़ी मुसीबतें.

बता दें कि चूड़ियों के उत्पादन की वजह से फिरोजाबाद को सुहाग नगरी भी कहा जाता है. हालांकि यहां कांच के और भी सामानों को बनाया जाता है. इन सामानों को सजाकर उसको विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. कांच का सामान इटली, स्पेन, अमेरिका समेत कई देशों में निर्यात किया जाता है. कुल 2500 करोड़ का सामान हर साल निर्यात किया जाता है. वहीं जिले के 200 एक्सपोर्टर इस काम से जुड़े हैं, जिसमें 108 एक्सपोर्टर सीधे निर्यात करते हैं, जबकि बाकी निर्यातक अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात के इस कारोबार से जुड़े हैं.

ज्यादातर सामान अमेरिका जाता है. अमेरिका जाने वाले सामान पर जीएसपी फार्म भरने के बाद टैक्स नहीं लगता था जो 5 से 30 फीसदी तक होता था. हालांकि भारत और अमेरिका के बीच किसी समझौते के तहत यह टैक्स लगना शुरू हो गया. कारोबार को यह झटका लगा ही था कि कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया, जिससे 70 फीसदी ऑर्डर कैंसल हो गए. इसके बाद केवल 30 फीसदी ही माल सप्लाई हो सका और इस कारोबार को 500 करोड़ का घाटा हुआ है. उन्होंने बताया कि इस कारोबार से पांच लाख मजदूर भी जुड़े हैं, इसलिए सरकार को इस कारोबार में आयी मंदी को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.

-मुकेश बंसल, निर्यातक

फिरोजाबाद : फिरोजाबाद जिला कांच के सामान के निर्यात में पहले नंबर आता है. यूं तो यहां कि कांच की चूड़ियों के चर्चे देश-विदेश में हैं, लेकिन यहां पर कई और कांच के सामान भी बनाए जाते हैं. वहीं कोरोना के कहर से कांच का व्यापार भी अछूता नहीं रहा है. इस साल कोरोना के कारण 500 करोड़ का घाटा हुआ है. दरअसल, जिन सामानों के ऑर्डर किए गए थे, उसके 70 फीसदी ऑडर कैंसल हो गए हैं. इस कारण व्यापारी काफी परेशान हैं और सरकार से इस ओर ठोस कदम उठाने की गुहार लगा रहे हैं.

कांच व्यापारियों की बढ़ी मुसीबतें.

बता दें कि चूड़ियों के उत्पादन की वजह से फिरोजाबाद को सुहाग नगरी भी कहा जाता है. हालांकि यहां कांच के और भी सामानों को बनाया जाता है. इन सामानों को सजाकर उसको विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. कांच का सामान इटली, स्पेन, अमेरिका समेत कई देशों में निर्यात किया जाता है. कुल 2500 करोड़ का सामान हर साल निर्यात किया जाता है. वहीं जिले के 200 एक्सपोर्टर इस काम से जुड़े हैं, जिसमें 108 एक्सपोर्टर सीधे निर्यात करते हैं, जबकि बाकी निर्यातक अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात के इस कारोबार से जुड़े हैं.

ज्यादातर सामान अमेरिका जाता है. अमेरिका जाने वाले सामान पर जीएसपी फार्म भरने के बाद टैक्स नहीं लगता था जो 5 से 30 फीसदी तक होता था. हालांकि भारत और अमेरिका के बीच किसी समझौते के तहत यह टैक्स लगना शुरू हो गया. कारोबार को यह झटका लगा ही था कि कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया, जिससे 70 फीसदी ऑर्डर कैंसल हो गए. इसके बाद केवल 30 फीसदी ही माल सप्लाई हो सका और इस कारोबार को 500 करोड़ का घाटा हुआ है. उन्होंने बताया कि इस कारोबार से पांच लाख मजदूर भी जुड़े हैं, इसलिए सरकार को इस कारोबार में आयी मंदी को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.

-मुकेश बंसल, निर्यातक

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