फिरोजाबादः सुहाग नगरी और चूड़ियों के शहर के नाम से देश भर में मशहूर फिरोजाबाद जनपद 5 फरवरी को 34 साल का हो गया. इस दिन ही 1989 को फिरोजाबाद शहर को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जिले का दर्जा दिया था. इतने लंबे समय में हालांकि जनपद को बहुत कुछ मिला है. विकास भी हुआ है लेकिन अभी भी कई समस्याएं ऐसी हैं जो यहां के लोगों को दर्द दे रहीं हैं.
रंग बिरंगी, खनखनाती चूड़ियां जब भी सामने आती हैं तो फिरोजाबाद जनपद का नाम खुद सामने आ जाता है. इस जनपद के अगर इतिहास की बात करें तो साल 1989 से पहले यह शहर आगरा जनपद की एक तहसील के रूप में जाना जाता था, तब इस शहर को अलग जनपद बनाए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. काफी आंदोलन भी हुए. आंदोलनकारियों के सामने सरकार झुकी और 5 फरवरी 1989 को तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने फिरोजाबाद तहसील को जनपद का दर्जा दिया.
इस जनपद में आगरा के जनपद टूंडला और फिरोजाबाद सदर को शामिल किया गया है. मैनपुरी जनपद की शिकोहाबाद और जसराना तहसील को शामिल कर इसे जिले का दर्जा दिया गया. इस अवधि में जिले को भव्य जिला मुख्यालय मिला, उच्चाधिकारी मिले. लोगों को आगरा के चक्कर काटने से मुक्ति मिल गई. फिरोजाबाद को नगर निगम का दर्जा मिला.जेड़ाझाल नहर के जरिये फिरोजाबाद में गंगा जल की सप्लाई हुयी जिससे शहर के लोगों को पानी की समस्या से मुक्ति मिली.
एका और मक्खनपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिला. जिला अस्पताल को मेडिकल कालेज का दर्जा मिला. जिला विकास स्थापना समिति के अध्यक्ष द्विजेन्द्र मोहन शर्मा का कहना है कि जनपद को अभी भी तमाम सुविधाओं की दरकार है. उन्होंने बताया कि जनपद में सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी है. व्यापारिक जनपद होने के बावजूद यहां के रेलवे स्टेशन पर कई गाड़ियां नही रुकतीं है. बस अड्डे को आज तक डिपो का दर्जा नहीं मिल सका है. ग्रामीण इलाकों में खारा पानी आता है. इस खारे पानी को पीने के बाद लोग बीमार पड़ रहे हैं. भूगर्भ में जल स्तर गिरने के कारण ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या अब बढ़ने लगी है. शहर में जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. बारिश से आए दिन जलभराव हो जाता है. ये सभी समस्याएं दूर हो तो लोगों को काफी राहत मिल जाए.
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