फिरोजाबाद: यूपी की सात सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. इन सीटों में फिरोजाबाद जिले की टूण्डला विधानसभा सीट भी है. इस विधानसभा इलाके में वैसे तो सभी जगह विकास के मुद्दे को लेकर प्रत्याशी वोटरों के बीच पहुंच रहे हैं, लेकिन इस सीट के लिए बीहड़ का विकास एक बार फिर से बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. टूंडला सीट का काफी बड़ा इलाका बीहड़ है और यहां अभी भी लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. लोगों का कहना है कि नेता यहां आते हैं. विकास का वायदा भी करते हैं, लेकिन जीतने के बाद मुड़कर नहीं देखते.
50-60 हजार वोटरों की संख्या
वैसे तो पूरे फिरोजाबाद जनपद में यमुना नदी के आसपास का किनारा बीहड़ है. यह बीहड़ सभी विधानसभा क्षेत्रों में लगता है. चूंकि अभी टूंडला में उपचुनाव हो रहा है, तो इसलिए बात टूंडला की ही करते हैं. टूंडला का लाइनपार और नगला सिंघी इलाका बीहड़ बाहुल्य है. यहां बसे गांवों की संख्या 30 से 35 के आसपास है और इस इलाके में वोटरों की संख्या 50 से 60 हजार के आसपास है, जिनमें ज्यादातर निषाद वोट बैंक है.
टूंडला सीट निभाता है निर्णायक भूमिका
टूंडला के चुनाव में यह इलाका भी निर्णायक भूमिका निभाता है, लेकिन इस इलाके की अपनी समस्याएं हैं. मुद्दों की बात करें तो यहां खराब सड़कें और खारा पानी सबसे बड़ा मुद्दा है. कई गांव तो ऐसे हैं, जहां सड़कें जर्जर हो चुकी हैं. इन गांवों में पीने के पानी का भी कोई समुचित इंतजाम नहीं है. इस इलाके में कुछ गांव ऐसे भी हैं, जिनका पानी खारा है और लोग दो-दो किलोमीटर दूर से पीने के लिए पानी भरकर लाते हैं.
चुनाव दर चुनाव, नहीं सुधरे हालात
1952 में वजूद में आई इस विधानसभा सीट पर साल 1980 से लेकर अब तक 10 विधायक चुन जा चुके हैं. कुछ विधायक तो ऐसे रहे जिनकी प्रदेश में सरकार तक रही. एसपी सिंह बघेल तो यहां से जीतकर मंत्री तक बने, लेकिन यहां की समस्याएं जस की तस हैं.
तीन नवंबर को होनी है वोटिंग
इस सीट पर एक बार फिर उपचुनाव है. इसके लिए तीन नबम्बर को वोटिंग होगी. इस सीट के लिए सपा ने महाराज सिंह धनगर, बीजेपी ने प्रेम पाल धनगर और बसपा ने संजीव चक को उम्मीदवार बनाया है. नेता बीहड़ के इन गांवों में भी जा रहे हैं, लेकिन वोटर उनसे यही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर बीहड़ के इन गांवों की किस्मत कब बदलेगी.