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टीबी रोगी खोजो अभियान पर दिखा कोरोना का असर, आंकड़ा 53 तक सिमटा

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Published : Jan 28, 2021, 2:51 PM IST

फिरोजाबाद जिले में इस बार टीबी रोगी खोजो अभियान पर कोरोना का साया दिखाई दिया. स्वास्थ्य विभाग ने इस बार टीबी के 800 मरीज खोजने का लक्ष्य दिया था. इस लक्ष्य के सापेक्ष केवल 53 मरीज ही मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस बार कोरोना के डर के कारण लोगों ने जांच में सहयोग नहीं किया.

जानकारी देते उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अशोक कुमार
जानकारी देते उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अशोक कुमार

फिरोजाबाद: कोरोना महामारी का प्रभाव इस बार टीबी रोगी खोजो अभियान पर भी देखने को मिला. स्वास्थ विभाग की टीमें आठ सौ लक्ष्य के सापेक्ष केवल 53 मरीज ही खोज सकीं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मानते हैं कि इस बार कोरोना के डर की वजह से संदिग्ध मरीज जांच कराने नहीं आए. इस वजह से सभी मरीजों की खोज नहीं हो सकी.

जानकारी देते उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक कुमार.

26 दिसंबर से शुरू हुआ था अभियान
टीबी हारेगा और देश जीतेगा, टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत क्षय रोग से पीड़ित मरीजों को खोजने का अभियान एक महीने तक चला था. 26 दिसंबर से शुरू होकर 25 जनवरी तक यह अभियान 3 चरणों में चला. पहला चरण 26 दिसंबर से लेकर 1 जनवरी तक, दूसरा चरण 2 जनवरी से लेकर 12 जनवरी तक और तीसरा चरण 13 जनवरी से लेकर 25 जनवरी तक चला. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की 232 टीमों ने फिरोजाबाद में घर-घर जाकर संदिग्ध मरीजों के बलगम और खून के नमूने लिए थे.

कोरोना के डर से नहीं कराई जांच

स्वास्थ्य विभाग ने फिरोजाबाद की जनसंख्या के अनुरूप आठ सौ टीबी पेशेंट खोजने का लक्ष्य रखा था. इतने बड़े लक्ष्य के सापेक्ष विभाग केवल 53 मरीज ही खोजे जा सके. इस बारे में उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि इस बार लोगों ने जांच में सहयोग नहीं किया. ज्यादातर संदिग्ध मरीज जांच के लिए आगे नहीं आए. टीबी जांच को वह कोरोना की जांच की समझ बैठे. इसलिए उन्होंने जांच तक नहीं कराई .लोगों को इस बात का डर रहा कि अगर उनमें कोरोना के लक्षण पाए गए तो उन्हें कहीं 14 दिन के लिए भर्ती न कर दिया जाय.

फिरोजाबाद: कोरोना महामारी का प्रभाव इस बार टीबी रोगी खोजो अभियान पर भी देखने को मिला. स्वास्थ विभाग की टीमें आठ सौ लक्ष्य के सापेक्ष केवल 53 मरीज ही खोज सकीं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मानते हैं कि इस बार कोरोना के डर की वजह से संदिग्ध मरीज जांच कराने नहीं आए. इस वजह से सभी मरीजों की खोज नहीं हो सकी.

जानकारी देते उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक कुमार.

26 दिसंबर से शुरू हुआ था अभियान
टीबी हारेगा और देश जीतेगा, टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत क्षय रोग से पीड़ित मरीजों को खोजने का अभियान एक महीने तक चला था. 26 दिसंबर से शुरू होकर 25 जनवरी तक यह अभियान 3 चरणों में चला. पहला चरण 26 दिसंबर से लेकर 1 जनवरी तक, दूसरा चरण 2 जनवरी से लेकर 12 जनवरी तक और तीसरा चरण 13 जनवरी से लेकर 25 जनवरी तक चला. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की 232 टीमों ने फिरोजाबाद में घर-घर जाकर संदिग्ध मरीजों के बलगम और खून के नमूने लिए थे.

कोरोना के डर से नहीं कराई जांच

स्वास्थ्य विभाग ने फिरोजाबाद की जनसंख्या के अनुरूप आठ सौ टीबी पेशेंट खोजने का लक्ष्य रखा था. इतने बड़े लक्ष्य के सापेक्ष विभाग केवल 53 मरीज ही खोजे जा सके. इस बारे में उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि इस बार लोगों ने जांच में सहयोग नहीं किया. ज्यादातर संदिग्ध मरीज जांच के लिए आगे नहीं आए. टीबी जांच को वह कोरोना की जांच की समझ बैठे. इसलिए उन्होंने जांच तक नहीं कराई .लोगों को इस बात का डर रहा कि अगर उनमें कोरोना के लक्षण पाए गए तो उन्हें कहीं 14 दिन के लिए भर्ती न कर दिया जाय.

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