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यमुना नदी में कम हुआ जल स्तर तो सामने आया फसलों की बर्बादी का मंजर

यमुना नदी फिरोजाबाद जिले की सीमा में भी बहती है, जो जिले को आगरा से अलग करती है. हरियाणा प्रान्त के हथिनी कुंड से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी में जो उफान आया था जो अब शांत हो गया है. खेतों से अब पानी उतर गया है. वहीं, किसानों ने यमुना नदी के किनारे स्थित खेतों में जो फसल बोई थी उसमें 50 फीसदी तक नुकसान के आशंका जताई जा रही है.

50 फीसदी तक फसलों के नुकसान की आशंका
50 फीसदी तक फसलों के नुकसान की आशंका
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Published : Aug 8, 2021, 10:36 AM IST

फिरोजाबाद: हरियाणा प्रान्त के हथिनी कुंड से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी में जो उफान आया था वह तो शांत हो गया और पानी भी उतर गया है, लेकिन इस नदी ने किसानों को काफी दर्द दिया है. यमुना नदी के किनारे जो खेती होती थी उसमें नुकसान से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. किसानों ने यमुना नदी के किनारे स्थित खेतों में जो फसल बोई थी उसमें 50 फीसदी तक नुकसान के आशंका जतायी जा रही है.


बताते चलें कि यमुना नदी फिरोजाबाद जिले की सीमा में भी बहती है, जो जिले को आगरा से अलग करती है. आगरा से निकलकर यह नदी जिले की सीमा में टूण्डला से प्रवेश करती है और सदर तहसील, सिरसागंज होती हुई इटावा जिले में प्रवेश कर जाती है. इस नदी में जब जब भी उफान आता है तो टूण्डला तहसील के गांव के लोगों की धड़कनें बढ़ जाती हैं, क्योंकि यहां यमुना नदी जरा से उफान पर खेतों को अपनी चपेट में ले लेती है. गांवों में भी पानी घुसने का खतरा मंडराता रहता है. हालांकि बीते कई सालों से गांवों में तो पानी नहीं घुस सका है लेकिन किसानों की फसलें जरूर खराब हुई हैं.

50 फीसदी तक फसलों के नुकसान की आशंका
इस बार भी कुछ ऐसा ही नजारा जिले में देखने को मिला था, जब बरसात के तेज पानी के साथ साथ हथिनी कुंड से पानी छोड़ा गया था. यमुना नदी में उफान आया तो किसानों की टेंशन भी बढ़ी. जो आशंका थी कुछ ऐसा ही हुआ. टूण्डला इलाके के गांव रसूलाबाद, रामगढ़, नगला काले में रहने वाले किसानों की फसलों तक पानी पंहुचा और उनके खेतों में पानी भरने से पशु चारे के साथ साथ बाजरा और अन्य खरीफ की फसलें भी प्रभावित हुयीं. अब पानी उतर गया है तो खतरा तो टल गया है लेकिन उफनती यमुना नदी ने किसानों को दर्द जरूर दिया है. कुछ किसान तो यह मानते है कि उनकी फसल में 50 फीसदी तक नुकसान हुआ है. इस संबंध में अपर जिलाधिकारी आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि अपने जिले में नुकसान की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी जिन लेखपालों से नजर रखने की कहा गया था उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई की जायेगी.

फिरोजाबाद: हरियाणा प्रान्त के हथिनी कुंड से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी में जो उफान आया था वह तो शांत हो गया और पानी भी उतर गया है, लेकिन इस नदी ने किसानों को काफी दर्द दिया है. यमुना नदी के किनारे जो खेती होती थी उसमें नुकसान से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. किसानों ने यमुना नदी के किनारे स्थित खेतों में जो फसल बोई थी उसमें 50 फीसदी तक नुकसान के आशंका जतायी जा रही है.


बताते चलें कि यमुना नदी फिरोजाबाद जिले की सीमा में भी बहती है, जो जिले को आगरा से अलग करती है. आगरा से निकलकर यह नदी जिले की सीमा में टूण्डला से प्रवेश करती है और सदर तहसील, सिरसागंज होती हुई इटावा जिले में प्रवेश कर जाती है. इस नदी में जब जब भी उफान आता है तो टूण्डला तहसील के गांव के लोगों की धड़कनें बढ़ जाती हैं, क्योंकि यहां यमुना नदी जरा से उफान पर खेतों को अपनी चपेट में ले लेती है. गांवों में भी पानी घुसने का खतरा मंडराता रहता है. हालांकि बीते कई सालों से गांवों में तो पानी नहीं घुस सका है लेकिन किसानों की फसलें जरूर खराब हुई हैं.

50 फीसदी तक फसलों के नुकसान की आशंका
इस बार भी कुछ ऐसा ही नजारा जिले में देखने को मिला था, जब बरसात के तेज पानी के साथ साथ हथिनी कुंड से पानी छोड़ा गया था. यमुना नदी में उफान आया तो किसानों की टेंशन भी बढ़ी. जो आशंका थी कुछ ऐसा ही हुआ. टूण्डला इलाके के गांव रसूलाबाद, रामगढ़, नगला काले में रहने वाले किसानों की फसलों तक पानी पंहुचा और उनके खेतों में पानी भरने से पशु चारे के साथ साथ बाजरा और अन्य खरीफ की फसलें भी प्रभावित हुयीं. अब पानी उतर गया है तो खतरा तो टल गया है लेकिन उफनती यमुना नदी ने किसानों को दर्द जरूर दिया है. कुछ किसान तो यह मानते है कि उनकी फसल में 50 फीसदी तक नुकसान हुआ है. इस संबंध में अपर जिलाधिकारी आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि अपने जिले में नुकसान की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी जिन लेखपालों से नजर रखने की कहा गया था उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई की जायेगी.
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