फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद में दलित उत्पीड़न के पांच मामले झूठे निकले हैं. यानी जो पीड़ित थे, उन्होंने झूठे केस दर्ज कराने के बाद सरकार से आर्थिक सहायता भी ली थी. लेकिन अदालत में ये लोग अपने उत्पीड़न के सुबूत पेश नहीं कर सके. लिहाजा अदालत ने इनके विपक्षियों को बरी कर दिया. अदालत ने इन तथाकथित पीड़ितों से सहायता राशि वसूलने के भी आदेश दिए हैं. खैर, जो पांच मुकदमे दर्ज हुए थे उनमें से दो केस नगला खंगर, एक रसूलपुर,एक नारखी और एक मामला उत्तर कोतवाली से जुड़ा है.
पिछले दिनों महेंद्र पुत्र श्रीकृष्ण निवासी गांव बटेश्वरी थाना नगला खंगर ने सर्वेश आदि के खिलाफ दलित उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज कराई थी और 75 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी हासिल की थी. इसी तरह मनोज पुत्र होरीलाल निवासी मानिकपुर थाना नगला खंगर ने नगला खंगर थाने में ही हैदर के खिलाफ दलित उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के बाद 6250 रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त की थी.
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वहीं, श्रीमती राजन पत्नी राम सनेही निवासी नई आवादी रसूलपुर ने सोनेलाल के खिलाफ हरिजन एक्ट में एफआईआर दर्ज कर 15 हजार की आर्थिक सहायता हासिल की थी. रघुवीर पुत्र अंतराम निवासी तुलकपुर ने नारखी थाने में सोनू आदि के खिलाफ केस दर्ज कराकर 6250 रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त की थी.
इसी प्रकार राधेश्याम पुत्र चोखेलाल निवासी गली नंबर दो कबीर नगर ने थाना उत्तर में गोपाल आदि के खिलाफ हरिजन एक्ट के तहत केस दर्ज कर 90 हजार की आर्थिक सहायत हासिल की थी. इधर, इन मामलों की सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष की ओर से ऐसे कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किए जा सके, जिसके बुनियाद पर उनके आरोप सही साबित हो सकते.
ऐसे में अदालत ने इन सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. साथ ही फिरोजाबाद पुलिस के सोशल मीडिया सेल की ओर से जानकारी दी गई कि जो वादी है, उनसे न्यायालय के आदेश पर सहायता राशि की वसूली की जाएगी.
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