फिरोजाबाद: 'टीबी मुक्त भारत' अभियान के तहत जिले में एक बार फिर टीबी के रोगियों का पता लगाया जाएगा. इसके लिए एक मार्च से अभियान शुरू हो चुका है. संचारी रोग नियंत्रण अभियान में जो टीमें लगाई गई हैं, वही टीम टीबी के मरीजों को भी खोजने की लिए घर-घर दस्तक देंगी. टीमों के सदस्य सभी मरीजों से यह पूछेंगे कि उन्हें 15 दिन से अधिक खांसी या बुखार की समस्या तो नहीं है. अगर ऐसा है तो उस मरीज को अस्पताल ले जाकर उसके बलगम और खून की जांच कराई जाएगी.
बता दें कि पूरे प्रदेश में संचारी रोग नियंत्रण अभियान शुरू हो चुका है. फिरोजाबाद में भी सोमवार से यह अभियान शुरू हो गया, लेकिन इस अभियान की एक खास बात यह भी है कि जिले में इस अभियान के तहत टीबी के भी पेशेंट खोजे जाएंगे. फिरोजाबाद शहर टीबी के मामले में काफी संवेदनशील है. यही वजह है कि 'टीबी मुक्त भारत' के नारे के साथ जिले में खास ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि इससे पहले भी इस तरह का अभियान 26 दिसंबर से लेकर 25 जनवरी तक चला था, लेकिन अपेक्षित मरीज नहीं खोजे जा सके थे. इसलिए एक बार फिर से यह अभियान चलाया जा रहा है.
बता दें कि फिरोजाबाद शहर एक औद्योगिक नगर है. लिहाजा यहां बढ़ती प्रदूषण की समस्या के कारण श्रमिकों में क्षय रोग अधिक पाया जाता है. टीबी पेशेंट्स को खोजने का 26 दिसंबर से लेकर 25 जनवरी तक जो अभियान चला था, उसमें स्वास्थ्य विभाग की टीमें केवल 53 मरीज ही ढूंढ पाईं थी. इसकी वजह यह रही कि कोरोना डर की वजह से लोगों ने जांच नहीं कराई और सभी पेशेंट सामने नहीं आ सके, लेकिन एक बार फिर संचारी रोग नियंत्रण के साथ-साथ टीबी जैसी वैश्विक बीमारी पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य महकमा प्रयास कर रहा है.
इस अभियान के में जो टीमें लगाई गई हैं, वह टीमें टीबी के संदिग्ध मरीजों को खोजकर उनके सैंपल लेंगी. उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि इसके लिए कोई अलग से टीम नहीं लगाई गई है. संचारी रोग नियंत्रण अभियान में जो टीमें लगी हैं, वही टीबी पेशेंट को खोज कर उनका नमूना कलेक्ट करेंगी और उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करेंगी.