फतेहपुर: शिक्षक दिवस 5 सितंबर को राष्ट्रपति ने जनपद की एकमात्र शिक्षिका आसिया फारूकी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था. आसिया के जनपद आगमन पर शुक्रवार को बीएसए ने भी सम्मानित किया. बीएसए कार्यालय में बेसिक शिक्षा अधिकारी पंकज यादव ने शिक्षिका आसिया फारूकी को पुष्प गुच्छ व शाल दिए. इसके साथ ही आसिया की मां शाहीना फारूकी को भी शाल पहनाकर सम्मानित किया.
बता दें कि शिक्षिका आसिया फारूकी का राष्ट्रपति पुरस्कार तक का सफर इतना आसान नहीं था. आसिया की पहली नियुक्ति नवंबर 2008 में हथगाम ब्लॉक में हुई थी. इसके बाद 2015 में प्रमोशन के बाद आसिया प्राथमिक विद्यालय अस्ती पहुंची. जहां के विद्यालय की स्थिति बयां कर रही थी कि यहां नौनिहालों को शिक्षित करना नामुमकिन सा है. अस्ती है तो नगर से नजदीक लेकिन पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है. जहां पर ज्यादातर लोग अधिक पढ़े लिखे नहीं हैं.
आसिया की ज्वानिंग के समय विद्यालय में गिने-चुने 7-8 बच्चे ही आते थे. वहीं, अराजकतत्वों का विद्यालय में कब्जा था. जो आए दिन तोड़फोड़ और शराब पीकर गाली-गलौज करते थे. इसके बावजूद आसिया फारूकी ने हिम्मत नहीं हारी और पूरी कर्मठता और ईमानदारी के साथ विद्यालय को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम किया. जिसका परिणाम यह रहा कि विद्यालय में आज 250 बच्चों से अधिक पढ़ रहे हैं. आज विद्यालय का भौतिक एवं शैक्षणिक परिवेश किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं लगता है.
उत्कृष्ट कार्यों के लिए आसिया को 2019 में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों भी राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला था. वहीं, 2021 में यूपी के राज्यपाल व वित्तमंत्री भारत सरकार के हाथों राज्य मिशन शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के अन्य सैकड़ों राज्य एवं जनपद स्तरीय पुरस्कार आसिया को प्राप्त हो चुके हैं. विद्यालय में वर्षों से एकल शिक्षिका होने के बावजूद आसिया फारूकी ने शानदार काम किया. इससे आसिया ने सिद्ध कर दिया कि यदि एकाग्र होकर साहस और लगन से कार्य किया जाए, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं है.
वहीं, आसिया के सम्मान समारोह के दौरान बड़ी संख्या में शिक्षक साथी बीएसए कार्यालय में मौजूद रहे. बेसिक शिक्षा अधिकारी पंकज यादव ने शिक्षिका आसिया फारुखी व उनकी मां को सम्मानित करने के बाद कहा कि जनपद के अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी आसिया फारूकी से प्रेरणा लेकर सीखना चाहिए और अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करें. जिससे बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा मिल सके.
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