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मन की बात: बीजेपी विधायक होने के बावजूद जसराना विधानसभा में ये है सड़कों का हाल

विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की तैयारियां चरम पर हैं. वहीं, फिरोजाबाद जसराना विधानसभा क्षेत्र विकास के नाम पर काफी पिछड़ हुआ है. यहां की सड़कें इतनी खस्ताहाल हैं कि लोगों का चलना दूभर हो गया है. ये स्थिति तब है जबकि यहां बीजेपी का विधायक है और प्रदेश में सीएम योगी की सरकरा है.

मन की बात
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Published : Sep 27, 2021, 8:15 AM IST

फिरोजाबाद: साल 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. अब कुछ ही महीने शेष बचे हैं. सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, फिरोजाबाद का जसराना विधानसभा क्षेत्र विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है. यहां की जर्जर सड़कें अपनी कहानी खुद बयां कर रही हैं. बीते 5 सालों में जनप्रतिनिधियों ने सड़कों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. सड़कों पर इस कदर गड्ढे हैं कि इनसे निकलना खतरे से भी खाली नहीं है. यह हालत तब है, जब इस इलाके के विधायक भाजपा के हैं और यूपी में भी बीजेपी की सरकार है. ईटीवी भारत की टीम ने इस इलाके की कुछ सड़कों का जायजा लिया तो हकीकत कुछ ऐसी दिखी...

यूपी में बीजेपी सरकार के साढ़े 4 साल पूरे हो चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले जब सरकार ने उपलब्धियां गिनाईं थीं तो यह भी दावा किया गया था कि प्रदेश भर की सभी सड़कें गड्ढामुक्त हैं. फिरोजाबाद में भी कई करोड़ की लागत से नई सड़कों का निर्माण और उनकी मरम्मत का दावा किया गया था, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने जब सड़कों का रियलिटी चैक किया तो हालत दावों के ठीक विपरीत थी. जसराना इलाके की सड़कें तो काफी जर्जर हैं. मक्खनपुर से लेकर खेरगढ़ को जो रास्ता जाता है यह सड़क जसराना विधानसभा क्षेत्र में आती है, लेकिन यह मार्ग मक्खनपुर के पास काफी जर्जर है. यहां पानी भरा हुआ है. इसके अलावा इसी सड़क से एक लिंक मार्ग गांव भामई के लिए जाता है. इसकी हालत भी काफी खराब है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं.

जसराना विधानसभा में सड़कों का हाल.

स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो बीते चार-पांच साल से इस सड़क की यही हालत है. इसकी लंबे समय से मरम्मत नहीं हुई है. बरसात में तो यहां अक्सर हादसे होते रहते हैं. सड़क पर पानी भर जाता है और गड्ढों का अनुमान नहीं रहता. स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार इनकी मरम्मत की और पुनर्निर्माण की मांग भी उठाई जा चुकी है, लेकिन न तो जनप्रतिनिधि सुनने को तैयार हैं और न ही सरकारी अफसर. इस सड़क से आसपास के करीब 20 से 30 गांव जुड़े हुए हैं. अगर इन सड़कों की मरम्मत हो जाए तो रास्ता काफी सुगम हो सकता है.

इसे भी पढ़ें: योगी मंत्रिमंडल में शामिल हुए 7 नए चेहरे, सभी के बारे में जानें

इस संबंध में जब लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता पीएन शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकार के निर्देश पर खराब सड़कों का सर्वे कराया जा रहा है. उसका स्टीमेट बनाकर शासन को भेजा जाएगा. शासन से धनराशि मिलते ही बरसात के बाद इनकी मरम्मत का काम शुरू करा दिया जाएगा. जो सड़कें नहीं बनी हैं, उन्हें बनवाया जाएगा.

फिरोजाबाद: साल 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. अब कुछ ही महीने शेष बचे हैं. सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, फिरोजाबाद का जसराना विधानसभा क्षेत्र विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है. यहां की जर्जर सड़कें अपनी कहानी खुद बयां कर रही हैं. बीते 5 सालों में जनप्रतिनिधियों ने सड़कों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. सड़कों पर इस कदर गड्ढे हैं कि इनसे निकलना खतरे से भी खाली नहीं है. यह हालत तब है, जब इस इलाके के विधायक भाजपा के हैं और यूपी में भी बीजेपी की सरकार है. ईटीवी भारत की टीम ने इस इलाके की कुछ सड़कों का जायजा लिया तो हकीकत कुछ ऐसी दिखी...

यूपी में बीजेपी सरकार के साढ़े 4 साल पूरे हो चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले जब सरकार ने उपलब्धियां गिनाईं थीं तो यह भी दावा किया गया था कि प्रदेश भर की सभी सड़कें गड्ढामुक्त हैं. फिरोजाबाद में भी कई करोड़ की लागत से नई सड़कों का निर्माण और उनकी मरम्मत का दावा किया गया था, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने जब सड़कों का रियलिटी चैक किया तो हालत दावों के ठीक विपरीत थी. जसराना इलाके की सड़कें तो काफी जर्जर हैं. मक्खनपुर से लेकर खेरगढ़ को जो रास्ता जाता है यह सड़क जसराना विधानसभा क्षेत्र में आती है, लेकिन यह मार्ग मक्खनपुर के पास काफी जर्जर है. यहां पानी भरा हुआ है. इसके अलावा इसी सड़क से एक लिंक मार्ग गांव भामई के लिए जाता है. इसकी हालत भी काफी खराब है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं.

जसराना विधानसभा में सड़कों का हाल.

स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो बीते चार-पांच साल से इस सड़क की यही हालत है. इसकी लंबे समय से मरम्मत नहीं हुई है. बरसात में तो यहां अक्सर हादसे होते रहते हैं. सड़क पर पानी भर जाता है और गड्ढों का अनुमान नहीं रहता. स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार इनकी मरम्मत की और पुनर्निर्माण की मांग भी उठाई जा चुकी है, लेकिन न तो जनप्रतिनिधि सुनने को तैयार हैं और न ही सरकारी अफसर. इस सड़क से आसपास के करीब 20 से 30 गांव जुड़े हुए हैं. अगर इन सड़कों की मरम्मत हो जाए तो रास्ता काफी सुगम हो सकता है.

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इस संबंध में जब लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता पीएन शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकार के निर्देश पर खराब सड़कों का सर्वे कराया जा रहा है. उसका स्टीमेट बनाकर शासन को भेजा जाएगा. शासन से धनराशि मिलते ही बरसात के बाद इनकी मरम्मत का काम शुरू करा दिया जाएगा. जो सड़कें नहीं बनी हैं, उन्हें बनवाया जाएगा.

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