फतेहपुरः थरियांव थाना क्षेत्र के गांव मगरापुर निवासी राकेश की पत्नी बिजमा देवी गर्भवती थी. शुक्रवार को बिजमा देवी की प्रसव पीड़ा पर परिजन महिला जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां उसको भर्ती नहीं किया गया. महिला ने अस्पताल के बाहर ही बच्चे को जन्म दिया. चिकित्सा के अभाव में नवजात की मौत हो गई.
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नहीं मिला आशा बहुओं का लाभ
एक गरीब परिवार सरकारी अस्पताल में इस लिए आता हैं कि उसको सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. सरकार की तरफ से गर्भवती महिलाओं की होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए गांव-गांव में आशा बहुएं नियुक्त की गई हैं, लेकिन अफसोस यह है कि इसका लाभ गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल रहा है.
पर्दा लगाकर कराया गया प्रसव
बिजमा देवी प्रसव पीड़ा से तीन घंटे तक महिला जिला अस्पताल में तड़पती रही. मगर किसी ने उसकी सुध नहीं ली. उससे यह कहा गया कि तुम्हारे प्रसव का समय नहीं है. अभी तुम जाओ जब समय हो तब आना. परिजन प्रसूता को लेकर महिला जिला अस्पताल के गेट के बाहर निकले ही थे. उसी समय प्रसूता को प्रसव होने लगा. अस्पताल के बाहर मौके पर मौजूद महिलाओं ने कपड़े से पर्दा कर प्रसूता का प्रसव कराया. बिजमा के पति ने कहा कि महिला जिला अस्पताल की गैर जिम्मेदाराना हरकत की वजह से जच्चा तो ठीक रहा मगर बच्चे को नहीं बचाया जा सका.
वह एडमिट ही नहीं हुई थी. मैंने सारे रजिस्टर देख लिए हैं. बच्चा जो पैदा हुआ है. वह जन्म से पहले ही मर चुका था. उसकी चमड़ी सिकुड़ी हुई थी. उसके परिजन भी यहां हैं. उसको अस्पताल से भगाया नहीं गया था.
-डॉ. रेखा रानी, सीएमएस