फतेहपुर: पुलिस थानों में दर्ज होने वाली एफआईआर की विवेचना के लिए एक समय भले ही निर्धारित होता है. मगर फतेहपुर जिले की सदर कोतवाली में दर्ज एक मामले की जांच पिछले चार सालों से जारी है. चार सालों से चल रही इस विवेचना की जांच में पुलिस अभी तक किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है. पुलिस की लापरवाही के चलते पीड़ित दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है.
इजहारुद्दीन की मौत के बाद उनके बेटे शमीमुउद्दीन ने दो शादियां की थी. जिसमें शमीमुउद्दीन की दूसरी बीबी कुरैशा बेगम ने नगर पालिका के कर्मचारियों से साठगांठ करके इस मकान को फर्जी तरीके से अपने नाम दर्ज करा लिया. उसके बाद नगर पालिका में हुए असेसमेंट के आधार पर मकान का बैनामा अपने बेटों के नाम कर दिया.
सौतेली मां के द्वारा किए गए इस कारनामे के बाद शमीमुउद्दीन की पहली पत्नी की औलादों को माकान छोड़ने के लिए मजबूर किया जाने लगा. परेशान होकर शमीमुउद्दीन का पुत्र रफतउद्दीन पूरे मामले को लेकर अदालत पहुंचा. जहां अदालत ने कुरैशा बेगम और जालसाजी में शामिल दूसरे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया.
अदालत के आदेश के बाद 2016 में सदर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई. कुछ दिन बाद विवेचक ने तथ्यों को संज्ञान में लिए बगैर ही आरोपियो को क्लीन चिट दे दी. इस मामले की शिकायत पुलिस के आलाधिकारियों से की गई. तत्कालीन क्षेत्राधिकारी नगर ने इस मामले की विवेचना फिर से किए जाने का आदेश किया. उसके बाद से मामले की विवेचना अब तक लंबित चल रही है.
धोखाधड़ी करके मकान की रजिस्ट्री कराई गई थी. जिसकी विवेचना जिला अस्पताल चौकी इंचार्ज अवधेश सिंह की ओर से की जा रही है. एक सप्ताह के अंदर विवेचना निस्तारित करने का आदेश दिया गया है. इस मामले में जो लोग दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
-संजय सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर