फतेहपुर: 21वीं सदी के मशीनीकरण की चकाचौंध में जहां कुएं अपना अस्तित्व खोते नजर आ रहे हैं, वहीं जिले के नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश सिंह ने अपने पूर्वजों की धरोहरों को सजोने और पानी की अहमियत को समझते हुए नगर के कुओं का जीर्णोद्धार शुरू करवा दिया है. बहुआ कस्बे के कुएं इतिहास के पन्नों में सिमटने के बजाय अपनी सौंदर्यता से सभी को आकर्षित कर रहे हैं.
कुओं का हो रहा जीर्णोद्धार
जिले के बहुआ कस्बे में 25 कुएं हैं, जिसमें से नगर अध्यक्ष ने 6 का जीर्णोद्धार करवा दिया है. साथ ही कस्बे के 15 कुओं के जीर्णोद्धार की तैयारी की जा रही है, जिससे लोगों की ओर से आए दिन आने वाली पानी की समस्या से निजात मिल सके. इन कुओं के जीर्णोद्धार के लिए करीब 1.3 लाख से लेकर 1.5 लाख रुपये तक खर्च किए जा रहे हैं.
ऐसे कराया जा रहा कुओं का जीर्णोद्धार
इन टूटे हुए कुओं के पहले चबूतरे पक्के करवाए गए. कुओं के खम्भो पर टाइल्स लगाई गई है. पानी में कूड़ा-कचरा जाने से रोकने के लिए सभी पर छतरी लगायी गई है. वहीं सरलता से पानी निकल जाए इसके लिए घिरनी लगायी गई है. रंगीन शेड की छांव में घिरनी पर सरकती रस्सी के सहारे आकर्षित करते रंग-बिरंगे टाइल्स से बने चबूतरे वाले कुएं से पानी निकालने का दृश्य देखकर किसी का भी कदम बहुआ कस्बे में ठहर जाता है. इस आधुनिक युग मे कुएं से ऐसा जुड़ाव देख एक अलग ही एहसास होता है. बहुआ में पुराने समय की तरह आज भी कुआं लोगों के दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है. पानी की उपयोगिता के साथ-साथ मोहल्ले की महिलाओं की बैठकी भी कुएं के चबूतरे पर होती है.
कुएं अब बन गए बैठकी के अड्डे
जरूरत विहीन हो गए कुएं उपेक्षा के शिकार में अतीत बनते जा रहे थे, लेकिन यही कुएं अब मोहल्ले के लोगों के पसंदीदा स्थान बन गए हैं. ठंड के समय निकली हल्की-हल्की धूप में मोहल्ले की महिलाएं यहीं बैठकी कर रही हैं.
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