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फतेहपुर : बाहर से आने वालों को गांव में नहीं मिलेगा प्रवेश, शिफ्ट में ड्यूटी देते हैं ग्रामीण

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Published : Apr 6, 2020, 5:17 PM IST

यूपी के फतेहपुर में ग्रामीणों ने जागरूकता दिखाते हुए बाहर से आने वाले लोगों के लिए गांव के बाहर बैरियर लगाकर प्रवेश वर्जित कर दिया है. यह नियम सभी के लिए समान रूप से लागू किया गया है.

migrant labourers entry ban in village
गांव में कुछ युवक शिफ्ट के रूप में बैरियर पर ड्यूटी करते हैं

फतेहपुर: जिले के मलवां विकाश खंड के उमरी गांव में ग्रामीणों ने कोरोना के खतरे को देखते हुए बाहर से आने वाले लोगों के गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया है. ग्रामीणों ने इसके लिए लिए गांव के बाहर बैरियर लगाकर दिया है.

ग्रामीणों ने मिलकर फैसला लिया है कि शहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को गांव में तब तक प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जब तक कि उसने 14 दिन किसी भी क्वारंटाइन सेन्टर में न गुजारे हों. इस बात की पुष्टि के लिए गांव के प्रवेश के सभी रास्तों पर बैरियर लगाकर खुद ही निगहबानी की जा रही है. कुछ युवक शिफ्ट के रूप में बैरियर पर ड्यूटी करते हैं.

ग्रामीण प्रमोद सिंह ने गांव प्रवेश के नियमों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी युवा गांव से दिल्ली, नोएडा या अन्य किसी शहर में रोजगार के लिए गए थे, लॉकडाउन के बाद वापस आ रहे हैं. ऐसे में शासन और प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए वह पहले 14 दिन क्वारंटाइन सेन्टर में बिताएं. इसके बाद ही गांव में प्रवेश करें ताकि वह और गांव के सभी लोग सुरक्षित रहें.

लॉकडाउन घोषित हो जाने के बाद अपने घरों से गैर जनपद और गैर प्रांतों में रोजगार के लिए गए लोग बड़ी संख्या में फंसे रह गए. काम बंद हो जाने के कारण उनकी आय बंद हो गई और उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने घरों के लिए कूच करने लगे, जिससे शहर से गांव में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है.

फतेहपुर: जिले के मलवां विकाश खंड के उमरी गांव में ग्रामीणों ने कोरोना के खतरे को देखते हुए बाहर से आने वाले लोगों के गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया है. ग्रामीणों ने इसके लिए लिए गांव के बाहर बैरियर लगाकर दिया है.

ग्रामीणों ने मिलकर फैसला लिया है कि शहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को गांव में तब तक प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जब तक कि उसने 14 दिन किसी भी क्वारंटाइन सेन्टर में न गुजारे हों. इस बात की पुष्टि के लिए गांव के प्रवेश के सभी रास्तों पर बैरियर लगाकर खुद ही निगहबानी की जा रही है. कुछ युवक शिफ्ट के रूप में बैरियर पर ड्यूटी करते हैं.

ग्रामीण प्रमोद सिंह ने गांव प्रवेश के नियमों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी युवा गांव से दिल्ली, नोएडा या अन्य किसी शहर में रोजगार के लिए गए थे, लॉकडाउन के बाद वापस आ रहे हैं. ऐसे में शासन और प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए वह पहले 14 दिन क्वारंटाइन सेन्टर में बिताएं. इसके बाद ही गांव में प्रवेश करें ताकि वह और गांव के सभी लोग सुरक्षित रहें.

लॉकडाउन घोषित हो जाने के बाद अपने घरों से गैर जनपद और गैर प्रांतों में रोजगार के लिए गए लोग बड़ी संख्या में फंसे रह गए. काम बंद हो जाने के कारण उनकी आय बंद हो गई और उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने घरों के लिए कूच करने लगे, जिससे शहर से गांव में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है.

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