फतेहपुर: वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते देशबंदी तालाबंदी से सभी औद्योगिक एवं आर्थिक इकाइयां भी ठप हो गई थी. इससे बड़ी संख्या में कामगार अपने घरों को वापस आ गए थे, जिनको घर पर रोजगार देना सरकार के लिए चुनौती बन गई थी. प्रवासी कामगारों को काम मिल सके, इसके लिए सरकार उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की तरफ कदम बढ़ा रही है. इसके लिए निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं.
इसी क्रम में जिले के थरियांव कस्बा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत शहर लौटे प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. मजदूरों के लिए मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, डेयरी, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विपरण, मूल्य सवंर्धन, प्रसंस्करण, फल, सब्जी आदि विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसाय करने वाले लोगों को विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसके उपरांत इन्हें अपना स्वरोजगार शुरू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुदान भी दिए जाने का प्रावधान है.
बताते चलें कि स्वावलंबन की इस पाठशाला में 560 मजदूरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इन्हें स्वावलंबन की राह बताने के साथ-साथ दक्षता प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. इसके बाद बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा भी दी जाएगी, ताकि स्वरोजगार में किसी प्रकार समस्या न हो. इस पाठशाला से प्रवासी मजदूर स्वरोजगार अपनाकर स्वयं तो रोजगार करेंगे ही, साथ ही कई अन्य लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम होंगे.
प्रशिक्षण ले रहे प्रवासी कामगार ने बताया कि मैं वर्मी कंपोस्ट की यूनिट लगाने में इच्छुक था. मुझे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण के तहत प्रशिक्षण के साथ अनुदान मिल सकेगा. इससे मैं घर पर ही अपना स्वरोजगार तो शुरू ही करूंगा, साथ ही अन्य लोगों को भी काम दे सकूंगा. वहीं प्रशिक्षण देने प्रयागराज से आए उद्यान विशेषज्ञ विजय किशोर ने बताया कि हम किसानों को अगैती खेती कर फसल कैसे तैयार करें, इसके लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि किसान समय से फसल तैयार कर बाजार में बेचकर अच्छा लाभ कमा सकेंगे.
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र स्वरूप ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना के अंतर्गत जो प्रवासी मजदूर गांव में रोजगार उन्मुख हों, उसके लिए हम कार्यक्रम चला रहे हैं. कुल 560 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए 35-35 लोगों के बैच बनाए गए हैं, जो अपने घर व गांव में रहकर स्वयं तो रोजगार कर ही सकते हैं, साथ ही आसपास के लोगों को भी रोजगार से जोड़ सकते हैं.