फतेहपुरः निकाय चुनाव को लेकर जिले में हलचल तेज हो गई है. पार्टी समर्थित सहित निर्दलीय उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं. इससे पहले आइए जान लेते हैं कि नगर पालिका परिषद का इतिहास क्या है?
नगर पालिका फतेहपुर का गठन अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुआ था. 1916 में फतेहपुर नगर पालिका अस्तित्व में आई. इसके प्रथम अध्यक्ष रामबहादुर लाला ईश्रर सहाय बने थे. इसके बाद दो कार्यकाल तक प्रशासक ने कुर्सी संभाली. अब तक कुल 21 लोग चेयरमैन की कुर्सी पर आसीन हो चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि 1995 में पहली बार फतेहपुर नगर पालिका की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हुई थी. भाजपा की राजकुमारी लोधी पहली बार जनता द्वारा चुनकर चेयरमैन बनीं. इससे पहले सभासद ही अध्यक्ष (चेयरमैन) चुनते थे. इसके बाद साल 2000 में चुनाव हुए तो बसपा के शब्बीर खां चुनाव जीतकर चेयरमैन बने. 2005 में नगर पालिका का कार्यकाल समाप्त हुआ, लेकिन चुनाव में देरी के चलते क्रमशः तीन प्रशासक नियुक्त हुए. पहले एसडीएम उदयराज, फिर एसडीएम ज्ञानेंद्र सिंह और फिर एसडीएम राकेश कुमार मिश्रा प्रशासक बने. इनका कार्यकाल 26 जुलाई 2006 तक रहा. इसके बाद चुनाव की घोषणा हुई.
व्यापारियों ने दिखाई एकजुटता और अजय अवस्थी की कराई ताजपोशीः अक्टूबर-नवम्बर 2006 में यूपी में निकाय चुनाव की घोषणा हुई. फतेहपुर में कांग्रेस ने व्यापारी नेता अजय अवस्थी को टिकट दिया. ब्राह्मण और व्यापारियों की एकजुटता से अजय अवस्थी चुनाव जीतने में सफल हो गए. 18 नवम्बर 2006 को अजय अवस्थी चेयरमैन की कुर्सी में आसीन हुए. 2012 में अजय अवस्थी का कार्यकाल समाप्त हुआ. इसके बाद हुए चुनाव में निर्दलीय चंद्रप्रकाश लोधी चुनाव जीतने में सफल हुए. बाद में वह सपा में चले गए. चंद्रप्रकाश लोधी 2017 का विधानसभा चुनाव सपा के टिकट पर सदर सीट से लड़े लेकिन हार गए. 2022 में एक बार फिर पार्टी ने उन पर विश्वास जताया और उन्हें टिकट दिया. इस बार वह चुनाव जीतने में सफल रहे और वर्तमान में सदर सीट से विधायक हैं.
भाजपा की अर्चना त्रिपाठी को मिली हारः 2017 में हुए नगर निकाय चुनाव में फतेहपुर की सीट सपा के खाते में गई. मुख्यमंत्री योगी बन चुके थे, सत्ताधारी दल अपने पार्टी प्रत्याशी को जिताने में पूरी ताकत झोंके थे. लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़े स्वरूपराज सिंह जूली ने बड़ी संख्या में अपने सजातीय वोट काट लिए. जिसका खामियाजा भाजपा प्रत्याशी अर्चना त्रिपाठी को भुगतना पड़ा और वह करीब 3 हजार वोटों से चुनाव हार गईं. सपा की नजाकत खातून (हाजी रजा की मां) चुनाव जीतकर दूसरी महिला चेयरमैन बनीं. हाजीन रजा को सपा से चेयरमैन पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें सपा से टिकट नहीं मिला और 25 अप्रैल 2023 को हाजीर जा को जिला प्रशासन द्वारा छः माह के लिए जिला बदर कर दिया गया है.
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