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Fatehpur Anganwadi Center: नीति आयोग की पायलट प्रोजेक्ट योजना से बच्चों की सेहत का होगा विकास

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Published : Feb 6, 2023, 7:09 PM IST

नीति आयोग की पहल पर फतेहपुर आंगनवाड़ी केंद्र सनगांव (Fatehpur Anganwadi Center Sangaon) में बर्नार्ड वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजुकेशन सोसाइटी द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा व एएनएम को बच्चों के पोषण आहार को लेकर प्रशिक्षित किया जा रहा है.

बौद्धिक विकास
बौद्धिक विकास
प्रिंसिपल डॉ.आरपी सिंह और नम्रता रावत ने बताया.

फतेहपुरः नीति आयोग की पहल पर आंगनबाड़ी केंद्र अब सिर्फ बच्चों के लिए पोषण आहार का केंद्र ही नहीं रहेगा. अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की सेहत के साथ-साथ उनके मानसिक और बौद्धिक विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा. जिससे बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के प्रथम एक हजार दिवस परियोजना के अंतर्गत जनपद के हाईटेक आंगनबाड़ी केंद्र सनगांव में बर्नार्ड वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजुकेशन सोसाइटी द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्री, आशा व एएनएम एवं मुख्य सेविकाओं को संवेदनशील परवरिश का प्रशिक्षण दिया गया है.



अमर शहीद जोधा सिंह अटैया ठाकुर दरियाव सिंह मेडिकल कॉलेज फतेहपुर के प्रिंसिपल डॉ.आरपी सिंह ने रविवार को बताया कि "आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम कार्यकत्रियों को प्रथम एक हजार दिवस आकांक्षी जनपद फतेहपुर के कार्यक्रम में बच्चों के मस्तिष्क विकास के बारे में सही तथ्यों को जनता के बीच में ले जाना है. जिसके बारे में कार्यकत्रियों को प्रशिक्षित किया गया है. साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों के मस्तिष्क का 80 प्रतिशत विकास 2 साल तक और 100 प्रतिशत विकास 5 वर्ष तक हो जाता है.



वहीं, विक्रमशिला एजुकेशन सोसाइटी की सीनियर मैनेजर नम्रता रावत ने बताया कि पहले 1000 दिन एक्सप्रेशन लिसिन प्रोग्राम है, जो कि नीति आयोग के अंतर्गत है. जिसमें फ्रंट लाईन वर्कर के साथ मिलकर बदलाव लाया जा सके. इस प्रोग्राम के तहत जो प्रशिक्षण दिया गया है. जिससे संवेदनशील परवरिश कर बच्चों के मस्तिष्क का विकास किया जा सके. नीति आयोग ने पूरे देश में केवल दो जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस परियोजना के तहत चुना है. जिसमें पहला उत्तर प्रदेश का फतेहपुर और दूसरा उड़ीसा राज्य का कोरापुर जनपद है. इस परियोजना का उद्देश्य जन्म से 3 वर्ष के बच्चों के माता-पिता के व्यवहार, गर्भवती महिलाओं के उत्थान एवं बच्चों के मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास में सुधार लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. अगर इसमें सफलता मिलेगी तो इसे पूरे देश भर में लागू किया जा सकता है.

यह भी पढे़ें- Varanasi News: मंदिर में अराजक तत्वों ने खंडित की देव प्रतिमाएं, तनाव

प्रिंसिपल डॉ.आरपी सिंह और नम्रता रावत ने बताया.

फतेहपुरः नीति आयोग की पहल पर आंगनबाड़ी केंद्र अब सिर्फ बच्चों के लिए पोषण आहार का केंद्र ही नहीं रहेगा. अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की सेहत के साथ-साथ उनके मानसिक और बौद्धिक विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा. जिससे बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के प्रथम एक हजार दिवस परियोजना के अंतर्गत जनपद के हाईटेक आंगनबाड़ी केंद्र सनगांव में बर्नार्ड वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजुकेशन सोसाइटी द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्री, आशा व एएनएम एवं मुख्य सेविकाओं को संवेदनशील परवरिश का प्रशिक्षण दिया गया है.



अमर शहीद जोधा सिंह अटैया ठाकुर दरियाव सिंह मेडिकल कॉलेज फतेहपुर के प्रिंसिपल डॉ.आरपी सिंह ने रविवार को बताया कि "आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम कार्यकत्रियों को प्रथम एक हजार दिवस आकांक्षी जनपद फतेहपुर के कार्यक्रम में बच्चों के मस्तिष्क विकास के बारे में सही तथ्यों को जनता के बीच में ले जाना है. जिसके बारे में कार्यकत्रियों को प्रशिक्षित किया गया है. साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों के मस्तिष्क का 80 प्रतिशत विकास 2 साल तक और 100 प्रतिशत विकास 5 वर्ष तक हो जाता है.



वहीं, विक्रमशिला एजुकेशन सोसाइटी की सीनियर मैनेजर नम्रता रावत ने बताया कि पहले 1000 दिन एक्सप्रेशन लिसिन प्रोग्राम है, जो कि नीति आयोग के अंतर्गत है. जिसमें फ्रंट लाईन वर्कर के साथ मिलकर बदलाव लाया जा सके. इस प्रोग्राम के तहत जो प्रशिक्षण दिया गया है. जिससे संवेदनशील परवरिश कर बच्चों के मस्तिष्क का विकास किया जा सके. नीति आयोग ने पूरे देश में केवल दो जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस परियोजना के तहत चुना है. जिसमें पहला उत्तर प्रदेश का फतेहपुर और दूसरा उड़ीसा राज्य का कोरापुर जनपद है. इस परियोजना का उद्देश्य जन्म से 3 वर्ष के बच्चों के माता-पिता के व्यवहार, गर्भवती महिलाओं के उत्थान एवं बच्चों के मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास में सुधार लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. अगर इसमें सफलता मिलेगी तो इसे पूरे देश भर में लागू किया जा सकता है.

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