फतेहपुर: यूपी बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए प्रेरणा ऐप के माध्यम से शिक्षकों की हाजिरी दर्ज करने का प्रावधान किया है. इसके लागू होने से शिक्षक समय से स्कूल में उपस्थित रहेंगे. जिसके विरोध में जिले के शिक्षकों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया. शिक्षकों का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए हमें बदनाम कर रही है और स्कूल में सभी संसाधनों की व्यवस्था करने में नाकाम सरकार, शिक्षा व्यवस्था के बदहाली का जिम्मा शिक्षकों के ऊपर थोप रही है.
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- बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षक दिवस पर पांच सितंबर को 'प्रेरणा' ऐप लांच किया है.
- शिक्षकों को उपस्थिति प्रमाणित करने के लिए इस ऐप के जरिए शासन को रोजाना हाजिरी भेजनी होगी.
- वहीं शिक्षकों को दिन में तीन बार सेल्फी अपलोड करके भेजनी होगी.
- शिक्षक सुबह 8 बजे तक स्कूल पहुंच कर सेल्फी अपलोड नहीं किए तो अनुपस्थिति हो जाएंगे.
- इसके अलावा मध्यान भोजन की फोटो भी खींचकर भी अपलोड करना होगा.
वहीं बच्चों की संख्या, भोजन का विवरण, शिक्षण गतिविधियों के अलावा विद्यालय परिसर और भवन की तात्कालिक स्थिति का भी ब्यौरा प्रतिदिन अपलोड करना है. अगर शिक्षक ऐसा नहीं करते हैं तो कार्रवाई का प्रावधान है. वहीं शिक्षकों ने अगर महीने में तीन दिन सेल्फी अपलोड करके नहीं भेजी तो उनका महीने का वेतन रोक दिया जाएगा.
शिक्षकों ने किया प्रेरणा ऐप का विरोध
प्रेरणा ऐप के प्रावधानों से जिले के शिक्षक विरोध में उतर आए हैं. इनका आरोप है कि सरकार बेसिक शिक्षा विभाग को निजीकरण की तरफ ले जाने के लिए कदम बढ़ा दिया है. सरकार शिक्षकों को समाज में बदनाम कर रही है कि स्कूल नहीं जाते. इस तरह बदनाम कर परिषदीय स्कूलों को निजी कम्पनियों के हवाले कर देगें, जिससे गरीब के बच्चे नहीं शिक्षा से दूर हो जाए.
शिक्षिका सीमा उत्तम ने ईटीवी भारत को बताया कि हम प्रेरणा ऐप का विरोध नहीं कर रहें हैं बल्कि इसके विसंगतियों को दूर किया जाए. इसके लागू होने के बावजूद भी हम लोगों को छूट्टी के लिए एबीआरसी के चक्कर लगाने पड़ेंगे. अगर किसी को आकस्मिक छुट्टी चाहिए तो प्रेरणा एप में कोई प्रावधान नहीं है.
प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनुराग मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि हम जब स्कूल का भवन नहीं होता था तब भी पढ़ाते थे. आज भी स्कूल समय से जाते हैं और आगे भी जाते रहेंगे, लेकिन सरकार स्कूल में न तो संसाधन उपलब्ध करवा पा रही है न टीचर ऐसे में शिक्षा के बदहाली का सभी ठीकरा शिक्षकों पर फोड़ रही है.