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fatehpur news: जेल से निकले बच्चे की गुहार, जेलर अंकल! जेल में ही अच्छा लगता है, प्लीज बुला लो

हाल में ही फतेहपुर की जेल से निकले बच्चे को बाहर की दुनिया रास नहीं आ रही है. वह फिर से जेल जाना चाहता है. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं?

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fatehpur news: जेल से निकले बच्चे की गुहार, जेलर अंकल! जेल में ही अच्छा लगता है, प्लीज बुला लो
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Published : Feb 23, 2023, 3:39 PM IST

फतेहपुरः आज आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे बच्चे की कहानी जो हाल में ही फतेहपुर की जेल से निकला है. यह बच्चा कोई सजा काट कर नहीं निकला है बल्कि जेल मैन्युअल के एक नियम के तहत बाहर आया है. इस बच्चे को जेल से बाहर आकर कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. वह फिर से जेल जाना चाहता है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर जेल में ऐसा क्या है जो इस बच्चे को वहां अच्छा लग रहा है तो चलिए आगे आपको इसकी वजह बताते हैं.

करीब 13 वर्ष पहले गाजीपुर थाने के गांव शांखा में रहने वाले एक महिला और एक पुरुष चोरी के आरोप में जेल गए थे. जब महिला जेल गई थी तब वह गर्भवती थी. 19 जुलाई 2012 को जेल में उस महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे का नाम गोलू (बदला हुआ नाम) रख दिया गया. बच्चे का लालन-पालन कैदियों और कारागार के कर्मचारियों के बीच में हुआ. वहीं, बच्चे की प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत भी जेल में ही हुई. ये बच्चा करीब छह वर्षों तक जेल में रहा. जेल के नियमानुसार मां के साथ कोई बच्चा अधिकतम छह वर्ष की उम्र तक ही जेल में रह सकता है. इस कारण इस बच्चे को जेल से बाहर अपने रिश्तेदार के यहां जाना पड़ा.

हाल में ही यह बच्चा जेल में बंद अपनी मां से मिलने आया था. जेल पहुंचते ही गोलू जेल अधीक्षक से लिपट गया. जेल अधीक्षक ने उसका हालचाल जाना और पूछा कि आपको कहां अच्छा लगता है तो बच्चे ने जवाब दिया कि मुझे जेल में अच्छा लगता है. इस अबोध बच्चे की बात सुनकर जेल अधीक्षक मुस्कुराए और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोले बेटा, आपको यहां कभी न आना पड़े. मेहनत से पढ़ाई करो और अफसर बनो.

जेल अधीक्षक मो. अकरम खान ने बताया कि बच्चे ने जन्म के बाद से यहीं पढ़ाई-लिखाई की है. नियमों के मुताबिक जैसे ही उसकी उम्र छह वर्ष हुई उसे जेल से बाहर जाना पड़ा. बच्चे की मां अभी भी जेल में है. उसे अभी जमानत नहीं मिली है. बच्चे के रिश्ते में लगने वाले फूफा ने उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी का बीड़ा उठाया है और उसे कौशांबी जिले के सैनी ले गए हैं. मां से मिलने आए बच्चे ने बताया कि जब जेल में था तो इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ता था, अब गांव की प्राइमरी में कक्षा दो में पढ़ता हूं. मुझे जेल में ही अच्छा लगता है. जेल अधीक्षक ने कहा कि कैदियों के सर्वांगीण विकास के लिए जेल में हर सुविधा उपलब्ध है.



ये भी पढ़ेंः G20 Summit: वाराणसी में थ्री लेयर हेल्थ सिक्योरिटी में होंगे जी 20 के मेहमान, ये है मास्टर प्लान

फतेहपुरः आज आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे बच्चे की कहानी जो हाल में ही फतेहपुर की जेल से निकला है. यह बच्चा कोई सजा काट कर नहीं निकला है बल्कि जेल मैन्युअल के एक नियम के तहत बाहर आया है. इस बच्चे को जेल से बाहर आकर कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. वह फिर से जेल जाना चाहता है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर जेल में ऐसा क्या है जो इस बच्चे को वहां अच्छा लग रहा है तो चलिए आगे आपको इसकी वजह बताते हैं.

करीब 13 वर्ष पहले गाजीपुर थाने के गांव शांखा में रहने वाले एक महिला और एक पुरुष चोरी के आरोप में जेल गए थे. जब महिला जेल गई थी तब वह गर्भवती थी. 19 जुलाई 2012 को जेल में उस महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे का नाम गोलू (बदला हुआ नाम) रख दिया गया. बच्चे का लालन-पालन कैदियों और कारागार के कर्मचारियों के बीच में हुआ. वहीं, बच्चे की प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत भी जेल में ही हुई. ये बच्चा करीब छह वर्षों तक जेल में रहा. जेल के नियमानुसार मां के साथ कोई बच्चा अधिकतम छह वर्ष की उम्र तक ही जेल में रह सकता है. इस कारण इस बच्चे को जेल से बाहर अपने रिश्तेदार के यहां जाना पड़ा.

हाल में ही यह बच्चा जेल में बंद अपनी मां से मिलने आया था. जेल पहुंचते ही गोलू जेल अधीक्षक से लिपट गया. जेल अधीक्षक ने उसका हालचाल जाना और पूछा कि आपको कहां अच्छा लगता है तो बच्चे ने जवाब दिया कि मुझे जेल में अच्छा लगता है. इस अबोध बच्चे की बात सुनकर जेल अधीक्षक मुस्कुराए और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोले बेटा, आपको यहां कभी न आना पड़े. मेहनत से पढ़ाई करो और अफसर बनो.

जेल अधीक्षक मो. अकरम खान ने बताया कि बच्चे ने जन्म के बाद से यहीं पढ़ाई-लिखाई की है. नियमों के मुताबिक जैसे ही उसकी उम्र छह वर्ष हुई उसे जेल से बाहर जाना पड़ा. बच्चे की मां अभी भी जेल में है. उसे अभी जमानत नहीं मिली है. बच्चे के रिश्ते में लगने वाले फूफा ने उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी का बीड़ा उठाया है और उसे कौशांबी जिले के सैनी ले गए हैं. मां से मिलने आए बच्चे ने बताया कि जब जेल में था तो इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ता था, अब गांव की प्राइमरी में कक्षा दो में पढ़ता हूं. मुझे जेल में ही अच्छा लगता है. जेल अधीक्षक ने कहा कि कैदियों के सर्वांगीण विकास के लिए जेल में हर सुविधा उपलब्ध है.



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