फर्रुखाबादः कोरोना महामारी को देखते हुए जिला जेल में नई पाकशाला का निर्माण करवाया गया है. जिला कारागार की रसोई को आधुनिक कर दिया गया है. जेल के भीतर नई पाकशाला में खाना बनाने के लिए आधुनिक मशीने लग गई हैं. इनमें हाथ के बजाय अब मशीनों से खाना तैयार हो रहा है. जिससे बंदियों को गुणवत्तापूर्ण भोजन देने और खाद्य सामग्रियों के बेहतर रखरखाव के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने प्रमाण पत्र प्रदान किया है.
दरअसल, जिला कारागार में रोजाना करीब 11 सौ लोगों के लिए दोनों पालियों की रसोई तैयार होती है. अभी रोटी, सब्जी, दाल बनाने में कैदियों की मदद ली जाती थी. लेकिन मैनुअल होने की वजह से इसमें काफी समय लगता है. प्रत्येक पाली का भोजन तैयार करने में करीब पचास कैदियों को जुटाना पड़ता है. अब जेल प्रशासन इसमें सुधार कर इसे आधुनिक कर दिया है. यहां रोटी बनाने के लिए बड़ी रोटी मेकर मशीने लगी हैं. आटा गूथने की मशीन अलग लगाई गयी है. सब्जी कटर से काटी जाती है.
जेल अफसरों का कहना है इतने लोगों की रसोई तैयार करने में करीब छह घंटे लगता है. समय पर खाना तैयार करने के लिए सुबह चार बजे से इसका काम शुरू करा दिया जाता है. 11 बजे तक खाना बनता है. शाम की पाली का खाना दोपहर तीन बजे से बनना आरंभ हो जाता है. मशीनों के इस्तेमाल से करीब 50 प्रतिशत समय कम हो गया है. मशीनों के इस्तेमाल से साफ-सुथरा खाना कैदियों को मुहैया हो रहा है. पहले जेल में रोटी फुलाने के लिए नारियल की झाड का इस्तेमाल होता था. अब रोटियां सिर्फ मशीनों से ही बनाई जाएंगी.
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जिला जेल अधीक्षक भीम सेन मुकुंद ने बताया कि बंदियों को सुबह नाश्ता 9 बजे तक दोपहर का खाना 12 तक दिया जाता है. फिर शाम का खाना 6 बजे तक दिया है. नई पाकशाला भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI)द्वारा चयनित है. इस पाकशाला में बंदियों को दिए जाने वाले भोजन, रखरखाव, किचन, फूड स्टोरेज, पेयजल संसाधन, की जाँच की जाती है. यह जेल उत्तर प्रदेश की पहली भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित है.
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