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30 साल बाद 7 लोगों को उम्रकैद, नदी किनारे मिला था सिर कटा शव - गुसलापुरा गांव

फर्रुखाबाद के पहरापुर गांव में ग्रामीण की 30 साल पुरानी हत्या के मामले में कोर्ट ने 7 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. ग्रामीण का शव गुसलापुरा गांव के काली नदी के पास मिला था. अपराधियों पर कोर्ट ने अर्थदंड भी लगाया है.

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उम्रकैद
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Published : Apr 14, 2022, 3:13 PM IST

फर्रुखाबादः जिले में बीते करीब 30 साल पहले ग्रामीण का घर से अपहरण कर हत्या मामले में फैसला आया है. जहां गुसलापुरा गांव में शव मिलने को लेकर कोर्ट ने 7 लोगों को हत्या में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. अपराधियों पर कोर्ट ने अर्थदंड भी लगाया है. वहीं, कोर्ट का फैसला आने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. गांव में सन्नाटा पसर गया है.

बता दें कि करीब 30 साल पहले मेरापुर थाना पहरापुर गांव निवासी विशम्भर दयाल ने मुकदमा पंजीकृत कराया था. इसमें कहा था कि 25 मई 1990 को रात 9 बजे के लगभग 10-11 बदमाश राइफल, लाठी-डंडों से लैस होकर आए और रास्ते में आ रहे चाचा रामअवतार को पकड़ लिया. चाचा को लेकर बदमाश दरवाजे पर आए और चाचा से ही आवाज लगाने को कहा. उनके बाहर आते ही बदमाशों ने उनके ऊपर जानलेवा हमला कर दिया और उनको साथ ले गए. जब उनका पीछा किया गया तो बदमाशों ने फायर कर दिया.

यह भी पढ़ें- दिन दहाड़े गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा इलाका, मुठभेड़ में 3 नेपाली बदमाश गिरफ्तार

पुलिस ने जानलेवा हमला और अपहरण आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. काफी तलाश के बाद करीब 15-20 दिन बाद उनका कटा हुआ सिर मिला. गुसलापुरा गांव के काली नदी के पास मिला था. पुलिस ने जांच के बाद चंपत, सुधर सिंह, पप्पू, इंस्पेक्टर, बृजनन्दन, जगदीश, कुंवरपाल, रामभजन उर्फ भजनू लाल, राजबहादुर, औसान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

सुनवाई के दौरान आरोपी चंपत, कुंवरपाल व औसान की मौत हो गई. लिहाजा, मंगलवार को न्यायालय ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया. इसमें आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया गया है.

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फर्रुखाबादः जिले में बीते करीब 30 साल पहले ग्रामीण का घर से अपहरण कर हत्या मामले में फैसला आया है. जहां गुसलापुरा गांव में शव मिलने को लेकर कोर्ट ने 7 लोगों को हत्या में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. अपराधियों पर कोर्ट ने अर्थदंड भी लगाया है. वहीं, कोर्ट का फैसला आने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. गांव में सन्नाटा पसर गया है.

बता दें कि करीब 30 साल पहले मेरापुर थाना पहरापुर गांव निवासी विशम्भर दयाल ने मुकदमा पंजीकृत कराया था. इसमें कहा था कि 25 मई 1990 को रात 9 बजे के लगभग 10-11 बदमाश राइफल, लाठी-डंडों से लैस होकर आए और रास्ते में आ रहे चाचा रामअवतार को पकड़ लिया. चाचा को लेकर बदमाश दरवाजे पर आए और चाचा से ही आवाज लगाने को कहा. उनके बाहर आते ही बदमाशों ने उनके ऊपर जानलेवा हमला कर दिया और उनको साथ ले गए. जब उनका पीछा किया गया तो बदमाशों ने फायर कर दिया.

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पुलिस ने जानलेवा हमला और अपहरण आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. काफी तलाश के बाद करीब 15-20 दिन बाद उनका कटा हुआ सिर मिला. गुसलापुरा गांव के काली नदी के पास मिला था. पुलिस ने जांच के बाद चंपत, सुधर सिंह, पप्पू, इंस्पेक्टर, बृजनन्दन, जगदीश, कुंवरपाल, रामभजन उर्फ भजनू लाल, राजबहादुर, औसान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

सुनवाई के दौरान आरोपी चंपत, कुंवरपाल व औसान की मौत हो गई. लिहाजा, मंगलवार को न्यायालय ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया. इसमें आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया गया है.

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