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ये फर्रुखाबाद है जनाब, यहां 24 घंटे मिलती है शराब!

बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से अबतक 14 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद भी फर्रुखाबाद में सरकारी नियमों को दरकिनार कर सुबह से ही देशी शराब बिकने लगती है.

देंखे स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : May 29, 2019, 3:32 PM IST

फर्रुखाबाद: सत्ता की अनदेखी कहें या शासन की लापरवाही प्रदेश भर में देशी और अंग्रेजी शराब के ठेके कानून को ठेंगा दिखाकर चल रहे हैं. ड्राइ डे ही क्यों न हो शराब प्रदेश के हर शहर-कस्बे में आसानी से मिल जाएगी. यूं तो सुबह 10 से रात 10 बजे तक ही शराब के ठेके खोलने के आदेश हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में 24 घंटे सेवा उपलब्ध है. जब चाहे, जहां चाहें पैसे दीजिए और शराब लीजिए. बाहर से दिखने वाली बंद दुकानों में भी विंडो सुविधा उपलब्ध है. कहीं कोड बताना पड़ता है, तो कहीं उसकी भी जरूरत नहीं है. गिलास में पैसे दीजिए और बोतल बाहर आ जाएगी.

देंखे स्पेशल रिपोर्ट.
बाराबंकी में अवैध शराब से कई लोगों की मौत हो जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने फर्रुखाबाद के कई शराब के ठेकों की पड़ताल की तो नजारा चौंकाने वाला मिला. यहां रेलवे स्टेशन रोड पर सुबह 5 बजे मयखाना तो बंद था, लेकिन दुकान के पीछे से खुल्लम-खुल्ला शराब बिक्री का खेल चल रहा था.

यह भी पढ़ें- बाराबंकी कांड के बाद हरकत में आई सहारनपुर पुलिस, कई होंगे बर्खास्त

पड़ोसी राज्य बिहार में शराब बंदी के बाद यूपी के ठेकों में और बहार आ गई. बाराबंकी में देशी शराब से 12 लोगों की मौत के बाद प्रदेश भर में हड़कम्प मचा हुआ है. मुआवजे का एलान हुआ, कई अधिकारी सस्पेंड किए गए. हाय तौबा मची, आबकारी विभाग को निर्देश दिए गए. अस्पतालों के दौरे भी हुए, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे के वादे भी किए गए. लेकिन यह सब तो तब भी हुए थे जब कुशीनगर में 8, सहारनपुर में 36, बाराबंकी में 14, आजमगढ़ और कानपुर देहात में 1-1 मौतें हुई थीं.

यह भी पढ़ें- बाराबंकी में जहरीली शराब से पीड़ित मरीजों की संख्या हुई 36, एक और मरीज ने तोड़ा दम

ऐसा नहीं है कि शराब की दुकान के ठेकेदार यूं ही यह मनमानी कर रहे हैं. पुलिस, आबकारी महकमा व जिला प्रशासन की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है. वहीं जब इस मामले में आबकारी अधिकारी संजय गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने जिले में अवैध शराब कारोबार न होने का दावा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन कैमरे में कैद इन तस्वीरों को नाकारना आबकारी विभाग के लिए बेहद मुश्किल भरा है.

फर्रुखाबाद: सत्ता की अनदेखी कहें या शासन की लापरवाही प्रदेश भर में देशी और अंग्रेजी शराब के ठेके कानून को ठेंगा दिखाकर चल रहे हैं. ड्राइ डे ही क्यों न हो शराब प्रदेश के हर शहर-कस्बे में आसानी से मिल जाएगी. यूं तो सुबह 10 से रात 10 बजे तक ही शराब के ठेके खोलने के आदेश हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में 24 घंटे सेवा उपलब्ध है. जब चाहे, जहां चाहें पैसे दीजिए और शराब लीजिए. बाहर से दिखने वाली बंद दुकानों में भी विंडो सुविधा उपलब्ध है. कहीं कोड बताना पड़ता है, तो कहीं उसकी भी जरूरत नहीं है. गिलास में पैसे दीजिए और बोतल बाहर आ जाएगी.

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बाराबंकी में अवैध शराब से कई लोगों की मौत हो जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने फर्रुखाबाद के कई शराब के ठेकों की पड़ताल की तो नजारा चौंकाने वाला मिला. यहां रेलवे स्टेशन रोड पर सुबह 5 बजे मयखाना तो बंद था, लेकिन दुकान के पीछे से खुल्लम-खुल्ला शराब बिक्री का खेल चल रहा था.

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पड़ोसी राज्य बिहार में शराब बंदी के बाद यूपी के ठेकों में और बहार आ गई. बाराबंकी में देशी शराब से 12 लोगों की मौत के बाद प्रदेश भर में हड़कम्प मचा हुआ है. मुआवजे का एलान हुआ, कई अधिकारी सस्पेंड किए गए. हाय तौबा मची, आबकारी विभाग को निर्देश दिए गए. अस्पतालों के दौरे भी हुए, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे के वादे भी किए गए. लेकिन यह सब तो तब भी हुए थे जब कुशीनगर में 8, सहारनपुर में 36, बाराबंकी में 14, आजमगढ़ और कानपुर देहात में 1-1 मौतें हुई थीं.

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ऐसा नहीं है कि शराब की दुकान के ठेकेदार यूं ही यह मनमानी कर रहे हैं. पुलिस, आबकारी महकमा व जिला प्रशासन की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है. वहीं जब इस मामले में आबकारी अधिकारी संजय गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने जिले में अवैध शराब कारोबार न होने का दावा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन कैमरे में कैद इन तस्वीरों को नाकारना आबकारी विभाग के लिए बेहद मुश्किल भरा है.

Intro:नोट- इस खबर के विजुअल ftp में up_fbd_sarab bikri_vis1_7205401नाम से है...
एंकर- बाराबंकी में अवैध शराब से हुई मौतों के बाद फर्रुखाबाद में आबकारी विभाग की लापरवाही सामने नजर आई है. शहर में तय समय से पहले ही मयखानो से शराब की बिक्री हो रही है और इन्हें कोई रोकने वाला नहीं है.क्योंकि प्रशासन के नुमाइंदों ने ही इस ओर से आंखें मूंद रखी है.



Body:विओ- यूपी सरकार लाख दावे कर ले कि राज्य में शासन की हनक है, लेकिन उसकी वास्तविकता की पोल उनके अधिकारियों की लापरवाही ही खोल रही है. शासन की ओर से जिले में चलने वाली सरकारी देसी, विदेशी शराब तथा बीयर की दुकानों को सुबह 10 बजे के पश्चात खोलने का आदेश पारित किया गया है और इन दुकानों को रात के 10 बजे बंद कर देना है, लेकिन इन आदेशों को ठेंगे पर रखकर कोतवाली सदर इलाके की तकरीबन आधा दर्जन सरकारी ठेकों की दुकानों में कहीं भी इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. बताते चले कि बाराबंकी में अवैध शराब से कई लोगों की मौत हो जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने शहर के कई शराब के ठेकों की पड़ताल की तो नजारा चौंकाने वाला देखने को मिला. यहां रेलवे स्टेशन रोड पर सुबह 5 बजे मयखाना तो बंद था, लेकिन दुकान के पीछे से खुल्लम-खुल्ला शराब बिक्री का खेल चल रहा है. इसी तरह अन्य दुकानों के शटर तो डाउन है, लेकिन गेट के पास होल बनाकर या ठेकेदारों द्वारा दीवारों पर कराए गए छेद के सहारे लोग देसी शराब खरीदते नजर आए. इसी तरह कई स्थानों पर भी पड़ताल के बाद यही स्थिति नजर आई. कि यहां चलने वाले सरकारी देसी शराब की दुकानों के लिए शासन का आदेश कोई मायने नहीं रखता है.



Conclusion:यहां प्रातः काल से ही 5 से लेकर 15 रुपए अधिक लेकर खुलेआम शराब की बिक्री की जाती है, जबकि अधिकांश शराब की दुकाने थानों और चौकियों से चंद कदम की दूरी पर स्थित है. कुल मिलाकर जिले के अधिकांश शराब दुकानों पर समय सीमा लागू नहीं होती है. अब जब शहर के भीतर स्थित शराब की दुकानों की यह स्थिति है तो गांव, देहात के शराब की दुकानों की क्या स्थिति होगी इसकी कल्पना की जा सकती है. ऐसा नहीं है कि शराब की दुकान के ठेकेदार यूं ही यह मनमानी कर रहे हैं. पुलिस, आबकारी महकमा व जिला प्रशासन की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है. वहीं जब इस मामले में आबकारी अधिकारी संजय गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने जिले में अवैध शराब कारोबार ना होने का दावा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन कैमरे में कैद तस्वीरों को नकारना आबकारी विभाग के लिए बेहद मुश्किल भरा है.

बाइट- संजय गुप्ता आबकारी निरीक्षक
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