फर्रुखाबाद: सत्ता की अनदेखी कहें या शासन की लापरवाही प्रदेश भर में देशी और अंग्रेजी शराब के ठेके कानून को ठेंगा दिखाकर चल रहे हैं. ड्राइ डे ही क्यों न हो शराब प्रदेश के हर शहर-कस्बे में आसानी से मिल जाएगी. यूं तो सुबह 10 से रात 10 बजे तक ही शराब के ठेके खोलने के आदेश हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में 24 घंटे सेवा उपलब्ध है. जब चाहे, जहां चाहें पैसे दीजिए और शराब लीजिए. बाहर से दिखने वाली बंद दुकानों में भी विंडो सुविधा उपलब्ध है. कहीं कोड बताना पड़ता है, तो कहीं उसकी भी जरूरत नहीं है. गिलास में पैसे दीजिए और बोतल बाहर आ जाएगी.
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पड़ोसी राज्य बिहार में शराब बंदी के बाद यूपी के ठेकों में और बहार आ गई. बाराबंकी में देशी शराब से 12 लोगों की मौत के बाद प्रदेश भर में हड़कम्प मचा हुआ है. मुआवजे का एलान हुआ, कई अधिकारी सस्पेंड किए गए. हाय तौबा मची, आबकारी विभाग को निर्देश दिए गए. अस्पतालों के दौरे भी हुए, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे के वादे भी किए गए. लेकिन यह सब तो तब भी हुए थे जब कुशीनगर में 8, सहारनपुर में 36, बाराबंकी में 14, आजमगढ़ और कानपुर देहात में 1-1 मौतें हुई थीं.
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ऐसा नहीं है कि शराब की दुकान के ठेकेदार यूं ही यह मनमानी कर रहे हैं. पुलिस, आबकारी महकमा व जिला प्रशासन की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है. वहीं जब इस मामले में आबकारी अधिकारी संजय गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने जिले में अवैध शराब कारोबार न होने का दावा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन कैमरे में कैद इन तस्वीरों को नाकारना आबकारी विभाग के लिए बेहद मुश्किल भरा है.