फर्रुखाबाद: बोरवेल में गिरी 8 वर्षीय मासूम सीमा को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन सेना ने बंद कर दिया. 58 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद लगातार मिट्टी धंसने से परेशान होकर बचाव कार्य बंद कर दिया गया है. वहीं एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना द्वारा बचाव कार्य में लगे होने के बावजूद ऑपरेशन असीम विफल हो गया.
बुधवार दोपहर 8 वर्षीय बच्ची सीमा 60 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. उसे निकालने के लिए सेना के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान दिन-रात एक कर दिए. वहीं शुक्रवार शाम तकरीबन छह बजे बोरवेल धंस जाने से ऑक्सीजन का पाइप कट गया. बलुई मिट्टी होने के कारण बार-बार गड्ढा धंस जाने की वजह से सेना के बुलंद हौसले भी पस्त पड़ गए और शुक्रवार देर रात 12 बजे ऑपरेशन असीम को बंद करने का प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सेना ने फैसला लिया.
इसके बाद कागजी कार्रवाई करके भारतीय सेना लौट गई. वहीं रात 9 बजे ही घटनास्थल से मीडिया को दूर कर दिया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन बंद होने के बाद प्रशासनिक आला अधिकारी मीडिया के कैमरे से बचते नजर आए. वहीं जब तहसीलदार प्रदीप कुमार से रेस्क्यू ऑपरेशन बंद करने का कारण पूछा गया तो वह पहले तो सवाल से बचते नजर आए, लेकिन बाद में उच्च अधिकारियों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन रुकवाने की बात कही.
लगातार बलुई मिट्टी धंसने से आई परेशानी
गुरुवार को दिन में कई बार मिट्टी धंसने के बाद देर रात जवानों ने 24 फीट तक रैंप बनाकर मिट्टी भरी बोरियों से सीढ़ियां बनाई. इसके बाद 30 फीट तक गहराई में जाकर सुरंग के जरिए बोरवेल तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन रात 12:15 बजे मिट्टी धंस गई. इससे सारी कवायद फेल हो गई. इसके बाद शुक्रवार को दिन भर पोकलैंड मशीन से दोबारा खोदाई शुरू कराई गई. बार-बार मिट्टी धंसने की समस्या से बचने के लिए 30 फीट गहरी रैंप बनाई गई. हालांकि, जवान जैसे ही नीचे पहुंचे एक बार फिर 10 फीट मिट्टी धंस गई. इतने लंबे समय में बचाव दल कई बार बच्ची के नजदीक तो पहुंचा, लेकिन हर बार नाकामी हाथ लगी. बलुई मिट्टी होने के कारण बार-बार सुरंग धस जा रही थी. ऐसे में सफलता हाथ न लगते देख प्रशासन के अधिकारियों से बात कर रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया. वहीं सीमा के बोरवेल से बाहर न निकलने के कारण परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.