फर्रुखाबाद: प्राइवेट डॉक्टर की लापरवाही 7 वर्षीय बच्चे की जान पर भारी पड़ गई है. डॉक्टर की दवा से बच्चे की हालत और गंभीर हो गई. बच्चा पिछले 5 दिन से आईसीयू में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है.
दरअसल, कोतवाली फतेहगढ़ सेंट्रल जेल चौराहा स्थित इटावा बरेली हाईवे पर डॉक्टर रवि राजपूत का ममता क्लीनिक है. हरदोई जिले के थाना पाली निवासी सोनपाल अपने भांजे प्रमित उर्फ दिनेश (7 वर्ष) के साथ अपनी मौसी के घर कोतवाली फतेहगढ़ अर्जुन नगला गये हुए थे. तभी बच्चे प्रमित को बुखार आ गया. रवि राजपूत का क्लीनिक पास होने के कारण वहां दवा लेने गया. दवा खिलाने के बाद बच्चे की हालत काफी खराब हो गई. आनन-फानन में परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत को देखते हुए आईसीयू में भर्ती कर दिया. 5 दिन बीतने के बावजूद भी बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है.
बच्चे की हालत बिगड़ने के बाद परिजन डॉ. रवि राजपूत के पास पहुंचे. उन्होंने डॉक्टर रवि को बताया कि आपने जो दवा पर्ची पर लिखी थी उसे खिलाते ही मेरे बच्चे की हालत खराब हो गई. शरीर पर चकते पढ़ने लगे और पूरा शरीर फूलने लगा. इस पर डॉक्टर रवि ने परिजनों से पर्चा लेकर उस पर लिखी हुई दवा कैंची से काट कर फाड़ कर फेंक दिया. जिसके बाद परिजनों और डॉक्टर रवि में काफी देर तक कहासुनी हुई.
जब परिजनों ने डॉक्टर पर आरोप लगाना शुरू किया, तो डॉक्टर ने अपने चहेते कथित पत्रकार को बुला लिया. जिसने डॉक्टर साथ मिलकर परिजनों से अभ्रदता की और कहा कि मैं पत्रकार हूं इनका कुछ भी नहीं हो सकता है. क्योंकि मेरी अधिकारियों में अच्छी पहुंच है. अंत में परिजनों ने परेशान होकर मामले की शिकायत फतेहगढ़ मुख्य चिकित्साधिकारी वंदना सिंह से की.
डॉक्टर रवि राजपूत का मामता क्लीनिक के नाम से रजिस्ट्रेशन नहीं है. क्योंकि उनके पास आयुर्वेद की डिग्री है. एलोपैथिक दबा देने का अधिकार नहीं है. जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी.
- वंदना सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी