फर्रुखाबाद : कई बीमारियों में प्राकृतिक चिकित्सा कारगार मानी जा रही है. सरकार भी इस ओर ध्यान दे रही है. प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है. इन प्रशिक्षकों को प्राकृतिक चिकित्सा की जिम्मेदारी भी दी गई है. योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति तो कर दी गई है, लेकिन इन्हें अभी तक संसाधन नहीं उपलब्ध कराया गया है. इस कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
जिले के राजकीय लिंजीगंज लोहिया अस्पताल और जहानगंज व फतेहगढ़ में योग शिक्षकों की तैनाती की गई है. इन्हें अभी तक संसाधन व कक्ष नहीं उपलब्ध कराया गया है. जिस कारण इन अस्पतालों में अभी तक प्राकृतिक चिकित्सा नहीं शुरू हो सकी है. रिटायर्ड शिक्षक राम कुमार मिश्र ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि आयुर्वेद किसी भी रोग को पूरी तरीके से सही करता है. साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है. वहीं मरीज गुलशन ने बताया कि एलोपैथिक दवा के साइड इफेक्ट होने का डर रहता है, जो आयुर्वेद में नहीं होता है.
जगह के कारण नहीं शुरू की गई प्राकृतिक चिकित्सा
राजकीय आयुर्वेद अस्पताल के डाॅक्टरों ने बताया कि वह अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को योग करने और उसके फायदे बताते हैं. इसके अलावा सूर्य चिकित्सा, मृदा चिकित्सा और थेरेपी आदि की जानकारी देते हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में जगह नहीं है. इस कारण अभी प्राकृतिक चिकित्सा शुरू नहीं हो पा रही है.
संसाधनों की है कमी
आयुर्वेदिक विभाग के फार्मासिस्ट सत्यराम ने बताया कि कोरोना के कारण मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है. उन्होंने बताया कि यहां 100 के करीब मरीज पहले आते थे. मौजूदा समय में 50 के करीब मरीज आते हैं. संसाधनों की कमी है और निजी बिल्डिंग का न होना, स्टाफ की कमी के कारण प्राकृतिक चिकित्सा नहीं शुरू हो पा रही है. सत्यराम ने बताया कि जिले के किसी भी अस्पताल में स्टाफ पूरा नहीं मिलेगा.