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फर्रुखाबाद: जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली प्रसूता की मौत

यूपी के फर्रुखाबाद में इलाज में लापरवाही और पुलिस की असंवेदनशीलता के कारण जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद प्रसूता की मौत हो गई. उसे अस्पताल ले जाया गया था, जहां डाॅक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

परिजन की फाइल फोटो
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Published : Aug 20, 2019, 7:48 AM IST

फर्रुखाबाद: जिले में जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद प्रसूता की मौत हो गई. कारण इलाज में लापरवाही और पुलिस की असंवेदनशीलता बताई जा रही है. अस्पताल ले जाते समय यूपी-100 और ट्रैक्टर की मामूली टक्कर हुई, जिससे पुलिसकर्मियों ने दो घंटे तक रोके रखा. इससे प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई और अस्पताल पहुंचते ही डाॅक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

घटना की जानकारी देते परिजन.

अस्पताल ले जाते समय प्रसूता की मौत:

  • मामला नवाबगंज थाना क्षेत्र नगला नादी गांव का है.
  • प्रसूता बेबी को प्रसव पीड़ा हुई, हालत देख परिजनों ने एंबुलेंस के लिए फोन किया.
  • परिजनों का आरोप है कि कई बार फोन लगाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला.
  • जब एंबुलेंस नहीं मिली तो परिजनों ने ट्रैक्टर-ट्राली से सीएचसी ले गए.
  • जहां महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, अचानक कुछ देर बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी.
  • आईसीयू न होने पर प्रसूता को लोहिया अस्पताल रेफर किया गया.

आरोप है कि पुलिस की गाड़ी में ट्रैक्टर की मामूली टक्कर की वजह से हर्जाना भरने के लिये दो घंटे तक रोके रखा गया. प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ने से अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने प्रसूता को मृत घोषित कर दिया. गुस्साए परिजनों ने स्टाॅफ पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. परिजनों आरोप है कि अगर यूपी-100 उन्हें दो घंटे तक रोके नहीं रखती तो जान बचाई जा सकती थी.





फर्रुखाबाद: जिले में जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद प्रसूता की मौत हो गई. कारण इलाज में लापरवाही और पुलिस की असंवेदनशीलता बताई जा रही है. अस्पताल ले जाते समय यूपी-100 और ट्रैक्टर की मामूली टक्कर हुई, जिससे पुलिसकर्मियों ने दो घंटे तक रोके रखा. इससे प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई और अस्पताल पहुंचते ही डाॅक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

घटना की जानकारी देते परिजन.

अस्पताल ले जाते समय प्रसूता की मौत:

  • मामला नवाबगंज थाना क्षेत्र नगला नादी गांव का है.
  • प्रसूता बेबी को प्रसव पीड़ा हुई, हालत देख परिजनों ने एंबुलेंस के लिए फोन किया.
  • परिजनों का आरोप है कि कई बार फोन लगाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला.
  • जब एंबुलेंस नहीं मिली तो परिजनों ने ट्रैक्टर-ट्राली से सीएचसी ले गए.
  • जहां महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, अचानक कुछ देर बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी.
  • आईसीयू न होने पर प्रसूता को लोहिया अस्पताल रेफर किया गया.

आरोप है कि पुलिस की गाड़ी में ट्रैक्टर की मामूली टक्कर की वजह से हर्जाना भरने के लिये दो घंटे तक रोके रखा गया. प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ने से अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने प्रसूता को मृत घोषित कर दिया. गुस्साए परिजनों ने स्टाॅफ पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. परिजनों आरोप है कि अगर यूपी-100 उन्हें दो घंटे तक रोके नहीं रखती तो जान बचाई जा सकती थी.





Intro:एंकर- फर्रुखाबाद में इलाज में लापरवाही और पुलिस की असंवेदनशीलता के कारण जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली प्रसूता की मौत हो गई. आरोप है कि ट्रैक्टर-ट्राली से लोहिया अस्पताल ले जाते समय यूपी-100 में ट्रैक्टर की मामूली टक्कर हो गई. जिससे पुलिसकर्मियों ने उन्हें दो घंटे तक रोके रखा. इससे प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई और लोहिया अस्पताल पहुंचते ही डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
Body:वीओ- नवाबगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत नगला नादी गांव निवासी सर्वेश की पत्नी बेबी को प्रसव पीड़ा हुई. उनकी हालत देख परिजनों ने एंबुलेंस के लिए फोन मिलाया. मगर, आरोप है कि कई बार फोन लगाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला. जब घर से महिला को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो परिजन ट्रैक्टर-ट्राली से मोहम्दाबाद सीएचसी ले गए. जहां महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. लेकिन, कुछ देर बाद ही अचानक महिला की हालत बिगड़ना शुरू हो गई. यह देख डाॅक्टरों ने वहां आईसीयू न होने की बात कहते हुए उसे लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया. आरोप है कि रास्ते में पुलिस की गाड़ी में ट्रैक्टर की मामूली टक्कर हो जाने के कारण उन्हें बिना हर्जाना दिए न जाने की बात कहते हुए पुलिसकर्मियों ने दो घंटे तक रोके रखा. इस दौरान प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई. इसके बाद डाॅ. राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचने पर डॉ. अर्चना ने प्रसूता बेबी को मृत घोषित कर दिया. Conclusion:इससे गुस्साए परिजनों ने स्टाॅफ पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. परिजन विकास का आरोप है कि अगर यूपी-100 की गाड़ी उन्हें दो घंटे तक रोके नहीं रखती तो बेबी की जान बचाई जा सकती थी. वहीं इस मामले में अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है.

बाइट -विकास, परिजन
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