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फर्रुखाबाद: वाह रे सरकार, ये कैसी शिक्षा व्यवस्था

उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर काफी सजगता दिखाती है. वहीं फर्रुखाबाद जिले के कई विद्यालय ऐसे हैं जिनके पास खुद की बिल्डिंग तक नहीं है. इतना ही नहीं बच्चे टीन शेड के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.

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टीन के शेड के नीचे चल रहे स्कूल.
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Published : Feb 29, 2020, 10:50 AM IST

फर्रुखाबाद: देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन इसका अनुमान फर्रुखाबाद में जर्जर बिल्डिंग और टीन शेड के नीचे चल रहे प्राइमरी विद्यालयों से लगाया जा सकता है. इन स्कूलों में न कोई शौचालय है और न पीने के पानी का इंतजाम, जिससे छात्राओं और शिक्षिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं विभागीय अधिकारी जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं.

टीन के शेड के नीचे चल रहे स्कूल.

बच्चे टीन शेड के नीचे पढ़ने को हैं मजबूर
फर्रुखाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए मुख्य विकास अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया की पहल पर फाइव स्टार स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में करीब 16 से अधिक ऐसे प्राइमरी विद्यालय भी हैं, जो धर्मशाला, मंदिर या टीन शेड के नीचे चल रहे हैं. इन स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हालत में है. बरसात के दिनों में अभिभावक हादसे के डर से स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजते हैं.

बारिश के दिनों में टपकता है टीन शेड
रेलवे स्टेशन रोड पर किराए के मकान में स्थित प्राइमरी विद्यालय में करीब 46 बच्चे हैं. यहां पर टीन शेड के नीचे बरामदे में कक्षा चलती है. जगह-जगह टीन में छेद हो गए हैं. इससे बारिश के दिनों में टीन शेड भी टपकने लगता है. अध्यापक दीपक शर्मा का कहना है कि यह विद्यालय करीब 50 साल से इसी हालत में चल रहा है. हालांकि सरकार कोशिश तो कर रही है, लेकिन अब देखते हैं कि कायाकल्प योजना के तहत कितना फायदा मिल पाता है.

धर्मशाला के बरामदे में दो विद्यालय चल रहे एक साथ
नई बस्ती स्थित प्राइमरी विद्यालय में सन 1963 से एक धर्मशाला के बरामदे में दो विद्यालय एक साथ चल रहे हैं. जर्जर भवन में 118 बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर है. अध्यापिका कादंबिनी मिश्रा के अनुसार, गर्मी के मौसम में बरामदे में धूप आ जाती है और बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. ऐसे में इन बच्चों की छुट्टी कर देते हैं. नौनिहालों को हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. मरम्मत नहीं होने के कारण भवन का छत जहां दरक रहा है, वहीं दीवार में भी साफ दरारें देखी जा सकती है. उन्होंने बताया कि बिजली और शौचालय की सुविधा नहीं है. बच्चियों को बाथरूम के लिए अपने घर जाना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है.

किराए के भवन में चल रहा विद्यालय
नगर क्षेत्र नवीन घोड़ा निकास के मोहल्ला गरीबा पश्चिम में प्राइमरी विद्यालय का संचालन राम जानकी मंदिर के प्रांगण में हो रहा है. स्कूल में 57 के करीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं. छात्र बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते हैं, जहां अंधेरा छाया रहता है. अध्यापक असलम मिर्जा के अनुसार, मामूली सी बारिश होती है तो भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. अब किराए के भवन में स्कूल संचालित होने से परेशानियां तो झेलनी पड़ेगी.

मंदिर को किराए के नाम पर मिलता है 30 रुपये
वहीं प्रताप सिंह बाल्मीकि ने बताया कि मंदिर की तरफ से स्कूल को किराए पर भवन दिया गया है, लेकिन सन् 1971 से किराए के नाम पर मात्र 30 रुपए मिल रहे हैं, जो कि पिछले 5 साल से मिलना बंद हो गए है. अब इस 30 रुपए में स्कूल को कितनी सुविधा दे सकते हैं. जब भी अधिकारियों से कहा तो हमेशा किराए बढ़ाने की बात तो कही, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हुआ.

पुजारी वहीं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण मरम्मत नहीं की जा रही है. इन भवनों की मरम्मत नहीं होने से कोई बड़ा हादसा होने पर इसका जिम्मेदार कौन होगा? भवन मरम्मत नहीं किए जाने से अध्यापकों से लेकर नौनिहालों के अभिभावकों में डर बना रहता है.

शहरी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर जगह के अभाव के कारण दिक्कतें हैं. शासन के माध्यम से जगह और भवन निर्माण के लिए धन मंगाने का प्रयास किया जाएगा. किराया न मिलने के संबंध में जानकारी नहीं है.

इसे भी पढ़ें- कासिमपुर हिंसा कांड: भीम आर्मी के राष्ट्रीय महासचिव कमल वालिया देवबन्द कोर्ट में हुए पेश

फर्रुखाबाद: देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन इसका अनुमान फर्रुखाबाद में जर्जर बिल्डिंग और टीन शेड के नीचे चल रहे प्राइमरी विद्यालयों से लगाया जा सकता है. इन स्कूलों में न कोई शौचालय है और न पीने के पानी का इंतजाम, जिससे छात्राओं और शिक्षिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं विभागीय अधिकारी जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं.

टीन के शेड के नीचे चल रहे स्कूल.

बच्चे टीन शेड के नीचे पढ़ने को हैं मजबूर
फर्रुखाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए मुख्य विकास अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया की पहल पर फाइव स्टार स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में करीब 16 से अधिक ऐसे प्राइमरी विद्यालय भी हैं, जो धर्मशाला, मंदिर या टीन शेड के नीचे चल रहे हैं. इन स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हालत में है. बरसात के दिनों में अभिभावक हादसे के डर से स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजते हैं.

बारिश के दिनों में टपकता है टीन शेड
रेलवे स्टेशन रोड पर किराए के मकान में स्थित प्राइमरी विद्यालय में करीब 46 बच्चे हैं. यहां पर टीन शेड के नीचे बरामदे में कक्षा चलती है. जगह-जगह टीन में छेद हो गए हैं. इससे बारिश के दिनों में टीन शेड भी टपकने लगता है. अध्यापक दीपक शर्मा का कहना है कि यह विद्यालय करीब 50 साल से इसी हालत में चल रहा है. हालांकि सरकार कोशिश तो कर रही है, लेकिन अब देखते हैं कि कायाकल्प योजना के तहत कितना फायदा मिल पाता है.

धर्मशाला के बरामदे में दो विद्यालय चल रहे एक साथ
नई बस्ती स्थित प्राइमरी विद्यालय में सन 1963 से एक धर्मशाला के बरामदे में दो विद्यालय एक साथ चल रहे हैं. जर्जर भवन में 118 बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर है. अध्यापिका कादंबिनी मिश्रा के अनुसार, गर्मी के मौसम में बरामदे में धूप आ जाती है और बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. ऐसे में इन बच्चों की छुट्टी कर देते हैं. नौनिहालों को हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. मरम्मत नहीं होने के कारण भवन का छत जहां दरक रहा है, वहीं दीवार में भी साफ दरारें देखी जा सकती है. उन्होंने बताया कि बिजली और शौचालय की सुविधा नहीं है. बच्चियों को बाथरूम के लिए अपने घर जाना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है.

किराए के भवन में चल रहा विद्यालय
नगर क्षेत्र नवीन घोड़ा निकास के मोहल्ला गरीबा पश्चिम में प्राइमरी विद्यालय का संचालन राम जानकी मंदिर के प्रांगण में हो रहा है. स्कूल में 57 के करीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं. छात्र बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते हैं, जहां अंधेरा छाया रहता है. अध्यापक असलम मिर्जा के अनुसार, मामूली सी बारिश होती है तो भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. अब किराए के भवन में स्कूल संचालित होने से परेशानियां तो झेलनी पड़ेगी.

मंदिर को किराए के नाम पर मिलता है 30 रुपये
वहीं प्रताप सिंह बाल्मीकि ने बताया कि मंदिर की तरफ से स्कूल को किराए पर भवन दिया गया है, लेकिन सन् 1971 से किराए के नाम पर मात्र 30 रुपए मिल रहे हैं, जो कि पिछले 5 साल से मिलना बंद हो गए है. अब इस 30 रुपए में स्कूल को कितनी सुविधा दे सकते हैं. जब भी अधिकारियों से कहा तो हमेशा किराए बढ़ाने की बात तो कही, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हुआ.

पुजारी वहीं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण मरम्मत नहीं की जा रही है. इन भवनों की मरम्मत नहीं होने से कोई बड़ा हादसा होने पर इसका जिम्मेदार कौन होगा? भवन मरम्मत नहीं किए जाने से अध्यापकों से लेकर नौनिहालों के अभिभावकों में डर बना रहता है.

शहरी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर जगह के अभाव के कारण दिक्कतें हैं. शासन के माध्यम से जगह और भवन निर्माण के लिए धन मंगाने का प्रयास किया जाएगा. किराया न मिलने के संबंध में जानकारी नहीं है.

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