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फर्रुखाबादः अवैध निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों पर कसेगा शिकंजा - फर्रुखाबाद में फैंला है निजी अस्पतालों का काला कारोबार

यूपी का फर्रुखाबाद जनपद विकास और विस्तार के नाम पर अछूता नजर आता है. यहां सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर अवैध निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. बिना डिग्री और पंजीकरण के दुकानें सजाए डॉक्टरों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है.

निजी अस्पताल
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Published : Dec 27, 2019, 4:53 PM IST

फर्रुखाबादः शहर में बड़े पैमाने पर बिना मानकों का ख्याल रखे निजी अस्पताल बनाए गए हैं. जहां डॉक्टर अपने निजी स्वार्थ के लिए मरीजों की जान की परवाह नहीं करते हैं. इलाज के नाम पर भारी भरकम रकम वसूल करते हुए अपने कारोबार को चमका रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने उन सभी निजी अस्पतालों के खिलाफ अभियान चलाने का मन बनाया है, जो निजी अस्पतालों की आड़ में गोरखधंधे कर रहे हैं. झोलाछाप डॉक्टर पर भी लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जल्द ही एक अभियान के तौर पर काम किया जाएगा और इन सभी निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों की जांच की जाएगी.

जिले में 113 रजिस्टर्ड अस्पताल हैं लेकिन इसके उलट लगभग 250 से अधिक अवैध ढंग से निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. यहां आने वाले मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ किया जाता है. इनके संचालन में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है.

शहर के मसेनी, आवास-विकास, लकूलाबाग जैसे कई इलाकों में बड़ी से लेकर छोटी-छोटी इमारतों में कई निजी अस्पताल चल रहे हैं. इतना ही नहीं अधिकांश अस्पताल बिना अग्शिमन सुरक्षा उपकरण, अपातकालीन बाहर निकलने का रास्ता, सही इलाज समेत अन्य कमियां होने के बावजूद खुल रहे हैं.

जो निजी अस्पतालों की आड़ में गोरखधंधे कर रहे हैं. एक अभियान के तौर पर काम किया जाएगा और इन सभी निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों की जांच की जाएगी.
-जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य मंत्री

डिप्टी सीएमओ डॉ. राजीव कुमार ने बताया की स्वास्थ्य के नाम पर केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये का बजट देती है. अस्पतालों में छापेमारी के दौरान इन तीन मानकों को ही ध्यान में रखा जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश में शिक्षा, प्रदूषण कंटोल बोर्ड में रजिस्टेशन और फायर की एनओसी ही मान्य होती है.
- डॉ. राजीव कुमार, डिप्टी सीएमओ

फर्रुखाबादः शहर में बड़े पैमाने पर बिना मानकों का ख्याल रखे निजी अस्पताल बनाए गए हैं. जहां डॉक्टर अपने निजी स्वार्थ के लिए मरीजों की जान की परवाह नहीं करते हैं. इलाज के नाम पर भारी भरकम रकम वसूल करते हुए अपने कारोबार को चमका रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने उन सभी निजी अस्पतालों के खिलाफ अभियान चलाने का मन बनाया है, जो निजी अस्पतालों की आड़ में गोरखधंधे कर रहे हैं. झोलाछाप डॉक्टर पर भी लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जल्द ही एक अभियान के तौर पर काम किया जाएगा और इन सभी निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों की जांच की जाएगी.

जिले में 113 रजिस्टर्ड अस्पताल हैं लेकिन इसके उलट लगभग 250 से अधिक अवैध ढंग से निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. यहां आने वाले मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ किया जाता है. इनके संचालन में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है.

शहर के मसेनी, आवास-विकास, लकूलाबाग जैसे कई इलाकों में बड़ी से लेकर छोटी-छोटी इमारतों में कई निजी अस्पताल चल रहे हैं. इतना ही नहीं अधिकांश अस्पताल बिना अग्शिमन सुरक्षा उपकरण, अपातकालीन बाहर निकलने का रास्ता, सही इलाज समेत अन्य कमियां होने के बावजूद खुल रहे हैं.

जो निजी अस्पतालों की आड़ में गोरखधंधे कर रहे हैं. एक अभियान के तौर पर काम किया जाएगा और इन सभी निजी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों की जांच की जाएगी.
-जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य मंत्री

डिप्टी सीएमओ डॉ. राजीव कुमार ने बताया की स्वास्थ्य के नाम पर केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये का बजट देती है. अस्पतालों में छापेमारी के दौरान इन तीन मानकों को ही ध्यान में रखा जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश में शिक्षा, प्रदूषण कंटोल बोर्ड में रजिस्टेशन और फायर की एनओसी ही मान्य होती है.
- डॉ. राजीव कुमार, डिप्टी सीएमओ

Intro:नोट- यह खबर अलका जी के ध्यानार्थ है।।


Body: इसके साथ अन्य विजुअल व खबर up_fbd_02b_movement_ganga_expressway_pkg_7205401 नाम से भेजी जा चुकी है।।


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