फर्रुखाबादः तमाम अनियमितता, स्टाफ की कमी और लापरवाही को लेकर सुर्खियां बनने वाले जिले के सरकारी अस्पतालों की सूरत आखिरकार बदल ही गई. उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में कोरोना के हमले ने सभी को सावधान कर दिया. स्थिति यह रही कि शासन से लेकर जनता तक हर स्तर से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सहयोग मिलने लगा. सुविधाएं बढ़ीं तो सेवाओं में भी बदलाव देखे गए. लिहाजा दशकों से आभावों के बीच लोगों की सेवा करने वाले जिला अस्पताल में आज कोरोना के एक भी मरीज भर्ती नहीं है.
कोरोना संक्रमण में जब अचानक हमला बोला तो स्वास्थ्य विभाग के पास स्टाफ और संसाधन सीमित थे. कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी तो स्वास्थ्य विभाग ने उनके इलाज और आइसोलेशन के लिए पहले बरौन सीएससी में व बाद में मरीज बढ़ने पर मेजर एसडी सिंह मेडिकल कॉलेज में एल-1 हॉस्पिटल बनवाया. शासन के आदेश पर L-2 अस्पताल फतेहगढ़ सीएससी में शुरू किया गया.
यहां पर गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, कंसंट्रेटर मशीनें, सक्शन मशीन, बेड, चादर आदि सामान खरीदा गया. लोहिया अस्पताल में भी साधन बढ़ाए गए. फर्रुखाबाद में कोरोना लगभग समाप्त होने की कगार पर है. हालांकि इस बहाने दोनों बरौन और फतेहगढ़ सीएससी का कायाकल्प हो गया.
वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वंदना सिंह ने बताया कि कोरोना के खिलाफ जंग में शासन से काफी संसाधन भी जुटाए गए. फर्रुखाबाद के सांसद विधायकों से मिली निधि का भी भरपूर उपयोग किया गया. इन संसाधनों का भविष्य में भी उपयोग किया जाता रहेगा.