फर्रुखाबाद: जिले में रविवार को गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है. नरोरा बांद से गंगा में शनिवार को 180348 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. वहीं, शाम को भी 132846 क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया था. जिसे कई ग्रामीण इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. जिससे जाने के रास्ते बाधित हो गए हैं. इसी के साथ ग्रामीणों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि खोह और हरेली में रामनगर से 11054 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. जिससे गंगा का जलस्तर 137.30 मीटर तक पहुंच गया है. जबकिं, खतरे का निशा 137.10 मीटर पर दर्ज है. जिससे बदायूं मार्ग पर आवागमन बाधित हो गया है. वहीं, पूरे गांव और खेतों में भी बाढ़ का पानी भर गया है. जिस कारण पूरी फसल जलमग्न हो गई है. नाव का सहारा लेकर ग्रामीण खेतों से फसल निकाल कर रहे है. जिससे लोगों को काफी परेशानियां हो रही हैं.
पशुओं के चारा की समस्या भी हो गई है. वहीं, बाढ़ का पानी गांव में घुसने से कीड़े-मकोड़े, सांप और बिच्छू भी निकल रहे हैं. जिससे बच्चों को काटन का खतरा भी बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ दावे कर रहा है, हम लोगों को कोई सुविधाएं नहीं मिल रही है. बता दें कि गंगा में आई बाढ़ से प्रभावित जंजाली और नगला गांव में बीते दिन प्रभारी मंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को दौरा कर बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की थी.
वहीं, इस बारे में एडीएम सुभाष ने बताया कि जिला प्रशासन लगातार बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में अपनी टीमें भेजकर बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास कर रहा है. बाढ़ क्षेत्रों में चौकियां व नाव की व्यवस्थाएं जिला प्रशासन की तरफ से की गई है. स्वास्थ्य टीमें भी काम कर रही है. वहीं, आला अधिकारी भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को दौराकर स्थिति को समझ रहे हैं. पीड़ितों की हर संभव मदद करने की कोशिश प्रशासन कर रहा है.
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