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यह लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद - भुने हुए आलू का लुत्फ

अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं और फर्रुखाबाद में हैं तो यहां के प्रसिद्ध मेले रामनगरिया में आलू का स्वाद जरूर चखें. यहां आने के बाद अगर आपने टेस्टी मसाले और हरा धनिया, टमाटर, मिर्च, लहसुन से बनी चटनी के साथ इस भुने हुए आलू का लुत्फ नहीं लिया तो आपका सफर अधुरा है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
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Published : Feb 9, 2021, 2:36 PM IST

फर्रुखाबाद : उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में पांचाल घाट पर एक माह लगने वाला मेला रामनगरिया में हर तरफ छठा बिखरी है. हर छठा का अपना-अपना महत्व है. इसी क्रम में मेले में चटकारे लेने वाली एक चर्चित डिस भुना हुआ आलू लोगों को पसंद आ रहा है. अगर आप मेला रामनगरिया घूमने आए हैं और आपने भुने हुए आलू का स्वाद नहीं लिया तो आप का मेला आना बेकार है. टेस्टी मसाले और हरे धनिया, टमाटर, मिर्च, लहसुन से बनी चटनी देखकर लोगों के मुंह में पानी आ जाता है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

80 रुपए किलो बिक रहा आलू

फर्रुखाबाद जनपद आलू उत्पादन के लिए देश भर में जाना जाता है. मौजूदा समय में जिले में आलू के फुटकर धाम 15 से 20 रुपये प्रति किलो है. वहीं मेला रामनगरिया में भुने हुए आलू का मूल्य 70 से 80 रुपए प्रति किलो तक है. ऐसे में आलू बेचने वाले छोटे दुकानदार भी खासी कमाई कर रहे हैं.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

आलू के साथ मिलती है लजीज चटनी

मेला रामनगरिया में यही आलू महंगे दामों में बेचा जाता है. दुकानदार आलू को पहले कढ़ाई पर भूनते हैं. इसके बाद आलू को टेस्टी बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले डालकर नमक तैयार करते हैं. उसके साथ हरा धनिया, टमाटर, मिर्च, और लहसुन आदि मिलाकर चटनी तैयार की जाती है. जो आलू के स्वाद में चार चांद लगा देती है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

कई जिलों से आलू खाने आते हैं लोग

ईटीवी भारत ने जब दुकानदार मोहिनी और रामकिशन से बात की तो उन्होंने बताया इस माघ मेले में लगभग रोजाना हजारों लोगों का आना रहता है. ज्यादातर लोग अपने परिवार या दोस्तों के साथ आते हैं. पूरे दिन मेला में मनोरंजन करने के बाद यहां सिर्फ आलू ही खाना पसंद करते हैं. आलू खाने वाले लोग दिल्ली, लखनऊ से लेकर कई जिलों से गंगा दरबार में आते हैं.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

हजारों कुंतल आलू की होती है खपत

इन लोगों का मानना है कि आलू कहीं भी खरीदा जा सकता है. लेकिन जो स्वाद इस मेले में भुने हुए आलू में मिलता है, वह और कही नहीं मिलता. इस एक माह में हजारों कुंतल आलू भूनकर दुकानदार लोगों को खिला देते हैं. आलू भूलने वाले अपने पूरे परिवार के साथ 24 घंटे लगातार लगे रहते हैं, तब कहीं जाकर अच्छा आलू और चटनी अपने ग्राहकों को उपलब्ध करा पाते हैं. इस बार मेले में भूना हुआ आलू 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

आलू, चटनी, मक्खन और नमक विशेष

आलू खाने वाले लोगों ने बताया कि यहां का आलू, चटनी, मक्खन और नमक विशेष है. इसको खाने के लिए हम कई सालों से आ रहे हैं, इसका टेस्ट ही कुछ अलग है. उन्होंने बताया कि हम मेला रामनगरिया में भूना हुआ आलू खाते ही रेस्टोरेंट का स्वाद भूल जाते हैं.

फर्रुखाबाद : उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में पांचाल घाट पर एक माह लगने वाला मेला रामनगरिया में हर तरफ छठा बिखरी है. हर छठा का अपना-अपना महत्व है. इसी क्रम में मेले में चटकारे लेने वाली एक चर्चित डिस भुना हुआ आलू लोगों को पसंद आ रहा है. अगर आप मेला रामनगरिया घूमने आए हैं और आपने भुने हुए आलू का स्वाद नहीं लिया तो आप का मेला आना बेकार है. टेस्टी मसाले और हरे धनिया, टमाटर, मिर्च, लहसुन से बनी चटनी देखकर लोगों के मुंह में पानी आ जाता है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

80 रुपए किलो बिक रहा आलू

फर्रुखाबाद जनपद आलू उत्पादन के लिए देश भर में जाना जाता है. मौजूदा समय में जिले में आलू के फुटकर धाम 15 से 20 रुपये प्रति किलो है. वहीं मेला रामनगरिया में भुने हुए आलू का मूल्य 70 से 80 रुपए प्रति किलो तक है. ऐसे में आलू बेचने वाले छोटे दुकानदार भी खासी कमाई कर रहे हैं.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

आलू के साथ मिलती है लजीज चटनी

मेला रामनगरिया में यही आलू महंगे दामों में बेचा जाता है. दुकानदार आलू को पहले कढ़ाई पर भूनते हैं. इसके बाद आलू को टेस्टी बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले डालकर नमक तैयार करते हैं. उसके साथ हरा धनिया, टमाटर, मिर्च, और लहसुन आदि मिलाकर चटनी तैयार की जाती है. जो आलू के स्वाद में चार चांद लगा देती है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

कई जिलों से आलू खाने आते हैं लोग

ईटीवी भारत ने जब दुकानदार मोहिनी और रामकिशन से बात की तो उन्होंने बताया इस माघ मेले में लगभग रोजाना हजारों लोगों का आना रहता है. ज्यादातर लोग अपने परिवार या दोस्तों के साथ आते हैं. पूरे दिन मेला में मनोरंजन करने के बाद यहां सिर्फ आलू ही खाना पसंद करते हैं. आलू खाने वाले लोग दिल्ली, लखनऊ से लेकर कई जिलों से गंगा दरबार में आते हैं.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

हजारों कुंतल आलू की होती है खपत

इन लोगों का मानना है कि आलू कहीं भी खरीदा जा सकता है. लेकिन जो स्वाद इस मेले में भुने हुए आलू में मिलता है, वह और कही नहीं मिलता. इस एक माह में हजारों कुंतल आलू भूनकर दुकानदार लोगों को खिला देते हैं. आलू भूलने वाले अपने पूरे परिवार के साथ 24 घंटे लगातार लगे रहते हैं, तब कहीं जाकर अच्छा आलू और चटनी अपने ग्राहकों को उपलब्ध करा पाते हैं. इस बार मेले में भूना हुआ आलू 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.

लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.
लजीज 'भुना हुआ आलू' खाते ही भूल जाएगा रेस्टोरेंट का स्वाद.

आलू, चटनी, मक्खन और नमक विशेष

आलू खाने वाले लोगों ने बताया कि यहां का आलू, चटनी, मक्खन और नमक विशेष है. इसको खाने के लिए हम कई सालों से आ रहे हैं, इसका टेस्ट ही कुछ अलग है. उन्होंने बताया कि हम मेला रामनगरिया में भूना हुआ आलू खाते ही रेस्टोरेंट का स्वाद भूल जाते हैं.

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