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फर्रुखाबाद: पतंग उड़ा कर लोग मनाते हैं बसंत पंचमी

देश के कई हिस्सों में भले ही मकर संक्रांति व नाग पंचमी पर पतंग उड़ाई जाती हो, लेकिन फर्रुखाबाद में बसंत पंचमी के दिन लोग पतंग उड़ा कर बसंत ऋितु का मजा लेते हैं. इस दिन पतंग उड़ाना है यहां की पुरानी परंपरा.

पतंग उड़ा कर लोग मनाते हैं वसंत पंचमी
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Published : Feb 10, 2019, 10:25 AM IST

फर्रुखाबाद: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है. बसंत पंचमी पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, पतंग उड़ाते हैं और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन भी करते हैं. वहीं दुकानों पर रंग बिरंगी पतंग भी सज गई है. इस बार कार्टून, फिल्मी कलाकारों, बरेली की पतंग के साथ वैलेंटाइन पतंगों की अधिक डिमांड है.

पतंगबाजी को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिलता है और फर्रुखाबाद में बसंत पंचमी का त्योहार 3 दिन तक मनाया जाता है. आज के दिन पतंग उड़ाने का खुमार लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. इस बार बाजार में कई अलग-अलग तरह की पतंगे देखने को मिल रही है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को डिज़ाईनर पतंगें काफी लुभा रही है. एक पतंग की दुकान के मालिक ने बताया कि इस बार पिछले साल की अपेक्षा अच्छी दुकानदारी हो रही है. लोगों में पतंगबाजी को लेकर पहले जैसा ही जोश देखने को मिल रहा है.

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पतंग उड़ा कर लोग मनाते हैं वसंत पंचमी
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बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवें दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता है, जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती है. यह बसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता है. शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है. पुराणों-शास्त्रों और अनेक काव्य ग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण देखने को मिलता है.


इसके अलावा चाइनीज डोर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में इस बार स्थानीय डोर के साथ ही पतंगों को बेच रहे हैं.

फर्रुखाबाद: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है. बसंत पंचमी पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, पतंग उड़ाते हैं और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन भी करते हैं. वहीं दुकानों पर रंग बिरंगी पतंग भी सज गई है. इस बार कार्टून, फिल्मी कलाकारों, बरेली की पतंग के साथ वैलेंटाइन पतंगों की अधिक डिमांड है.

पतंगबाजी को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिलता है और फर्रुखाबाद में बसंत पंचमी का त्योहार 3 दिन तक मनाया जाता है. आज के दिन पतंग उड़ाने का खुमार लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. इस बार बाजार में कई अलग-अलग तरह की पतंगे देखने को मिल रही है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को डिज़ाईनर पतंगें काफी लुभा रही है. एक पतंग की दुकान के मालिक ने बताया कि इस बार पिछले साल की अपेक्षा अच्छी दुकानदारी हो रही है. लोगों में पतंगबाजी को लेकर पहले जैसा ही जोश देखने को मिल रहा है.

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बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवें दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता है, जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती है. यह बसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता है. शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है. पुराणों-शास्त्रों और अनेक काव्य ग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण देखने को मिलता है.


इसके अलावा चाइनीज डोर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में इस बार स्थानीय डोर के साथ ही पतंगों को बेच रहे हैं.

Intro:इस खबर के विजुअल LU से भेजा गया है.up_farrukhabad_raman_vasant panchami naam से हैं।

एंकर- देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति व नाग पंचमी पर पतंग उड़ाई जाती हो, लेकिन फर्रुखाबाद में वसंत पंचमी के दिन लोग पतंगबाजी का मजा लेते हैं. इस दिन पतंग उड़ाना यहां की पुरानी परंपरा है. इसलिए 10 फरवरी को वसंत पंचमी के लिए बाजार सुंदर रंग बिरंगी पतंगों से सजा हुआ है, जहां कार्टून वाली पतंग बच्चों को तो वैलेंटाइन वाली पतंग युवाओं को लुभा रही है.



Body:विओ- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है साथ ही इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है. वसंत पंचमी पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं,पतंग उड़ाते हैं और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन भी करते हैं. वहीं दुकानों पर रंग बिरंगी पतंग भी सज गई है. कार्टून, फिल्मी कलाकारों, बरेली की पतंग के साथ वैलेंटाइन पतंगों की अधिक डिमांड है. पतंगबाजी को लेकर बच्चों में खासा उत्साह है और वसंत पंचमी का त्योहार यहां 3 दिन मनाया जाता है, जिसमें पतंग उड़ाने का खुमार लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. इस बार बाजार में कई अलग-अलग तरह की पतंगे देखने को मिल रही है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को लुभा रही है.एक पतंग की दुकान के मालिक ने बताया कि इस बार पिछले साल की अपेक्षा अच्छी दुकानदारी हो रही है. इसके अलावा चाइनीज डोर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में इस बार स्थानीय डोर के साथ ही पतंगों को बेच रहे हैं. लोगों में पतंगबाजी को लेकर पहले जैसा ही जोश है.



Conclusion:वीओ- आपको बता दें कि वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवें दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था, जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था. शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्य ग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण देखने को मिलता है.
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