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अफसरों की लापरवाही से शिक्षकों के अभिलेखों की जांच में हो रही देरी

फर्रुखाबाद में शिक्षकों के अभिलेखों की जांच में देरी हो रही है. 9 महीने बीतने के बाद भी अभी केवल 65 फीसदी शिक्षकों के अभिलेखों की जांच हो पाई है. इस बारे में जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जांच चल रही है. अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद अपर मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी जिलों में शिक्षकों के अभिलेखों की जांच के आदेश दिए थे.

कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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Published : Apr 5, 2021, 4:57 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले में शिक्षकों के अभिलेखों की जांच में हो रही देरी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आलम ये है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते वर्ष 2010 के बाद शिक्षक बने लोगों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच अभी भी नहीं हो पाई है. अभिलेखों की जांच को लेकर अधिकारी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और जांच का हवाला दे रहे हैं. 35 फीसदी शिक्षकों के अभिलेख 9 महीने बीतने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.

अनामिका शुक्ला प्रकरण से भी सबक नहीं ले रहे अधिकारी
अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद जून 2020 में अपर मुख्य सचिव ने आदेश दिए थे कि परिषदीय कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में वर्ष 2010 के बाद से नियुक्त शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच करवाई जाए. जांच के दौरान फर्जी शिक्षकों पर त्वरित कार्रवाई की जाए. इतना ही नहीं जिला स्तर पर जांच करने के बाद इसे संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों को भी सत्यापन के लिए भेजी जाए.

पढ़ें: नवनियुक्त शिक्षकों का मानव संपदा पोर्टल पर पंजीकरण करने का आज अंतिम दिन

जांच के लिए बनाई गई थी तीन सदस्यों की समिति
अभिलेखों की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी. इसमें एएसपी और बीएसए को शामिल किया गया था. सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से प्रखंड स्तर पर शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख मांगे गए थे. लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी केवल 65 फीसदी शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को मुहैया कराए गए हैं. इस कारण जांच में बाधा आ रही है. जब इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी लाल जी यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जांच चल रही है.

फर्रुखाबाद: जिले में शिक्षकों के अभिलेखों की जांच में हो रही देरी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आलम ये है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते वर्ष 2010 के बाद शिक्षक बने लोगों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच अभी भी नहीं हो पाई है. अभिलेखों की जांच को लेकर अधिकारी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और जांच का हवाला दे रहे हैं. 35 फीसदी शिक्षकों के अभिलेख 9 महीने बीतने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.

अनामिका शुक्ला प्रकरण से भी सबक नहीं ले रहे अधिकारी
अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद जून 2020 में अपर मुख्य सचिव ने आदेश दिए थे कि परिषदीय कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में वर्ष 2010 के बाद से नियुक्त शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच करवाई जाए. जांच के दौरान फर्जी शिक्षकों पर त्वरित कार्रवाई की जाए. इतना ही नहीं जिला स्तर पर जांच करने के बाद इसे संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों को भी सत्यापन के लिए भेजी जाए.

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जांच के लिए बनाई गई थी तीन सदस्यों की समिति
अभिलेखों की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी. इसमें एएसपी और बीएसए को शामिल किया गया था. सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से प्रखंड स्तर पर शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख मांगे गए थे. लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी केवल 65 फीसदी शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को मुहैया कराए गए हैं. इस कारण जांच में बाधा आ रही है. जब इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी लाल जी यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जांच चल रही है.

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