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मोटी तनख्वाह की विदेशी नौकरी छोड़ खोली टिश्यू लैब, आलू किसानों की कमाई की दोगुनी

फर्रुखाबाद जिले में एक युवक ने विदेश में नौकरी छोड़कर अपने गांव में एक टिश्यू कल्चर लैब(tissue culture lab) खोली. इस लैब में वे रोग रहित आलू का बीज(disease free potato seed) बनाते हैं और गांव के लोगों को रोजगार देने के साथ उन्हें खेती के बारे में बताते हैं.

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टिश्यू कल्चर लैब
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Published : Sep 19, 2022, 6:32 PM IST

फर्रुखाबादः जिले में भले ही अन्नदाता अपने बच्चों को उचित शिक्षा देकर अच्छी नौकरी का ख्वाब संजोते हों, लेकिन सिंगीरामपुर के एक लाल ने खेती की ललक में विदेश में मिली नौकरी को ठुकरा दिया. किसानों की तरक्की का सपना संजोए हुए इस लाल ने गांव में ही टिश्यू कल्चर लैब(tissue culture lab) और पाली हाउस खोल कर अपना भविष्य बना लिया.

गांव का यह बेटा दूसरों को भी रोजगार देकर विदेश की नौकरी से अच्छी आमदनी के साथ ही किसानों को तरक्की की राह बताने में जुटा है. वे गांव से ही देश के कई प्रांतों के साथ कारोबार कर रहे हैं. उनके द्वारा विकसित तकनीक और उन्नत बीजों ने आलू की पैदावार को दोगुना कर किसानों की आय भी दुगनी कर दी है.

डॉक्टर राहुल पाल

बता दें, कि कमालगंज ब्लॉक क्षेत्र के सिंगीरामपुर गांव निवासी शिक्षक गोवर्धन दास पाल के पुत्र राहुल पाल ने एमएससी बायोटेक, एमबीए व एम फिल की पढ़ाई की. इसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने एक बीज कंपनी में नौकरी की फिर दिल्ली में एक कंपनी में परियोजना प्रबंधक हो गए. राहुल के कदम यहीं नहीं रुके, उन्होंने डेढ़ लाख रुपये मासिक वेतन पर इरिटेरिया ईस्ट अफ्रीका के नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट(National Agriculture Research Institute) में नौकरी की.

पढ़ेंः नई विधि अपना कर बढ़ाई जाएगी गन्ना किसानों की आय

वहां उन्होंने बीज अनुसंधान( seed research) में महारत हासिल की और अपना टिश्यू कल्चर लैब लगाने की ठान ली. इसके लिए विदेश की नौकरी 1 साल बाद ही ठुकरा दी. वर्ष 2015 में वे अफ्रीका से नौकरी छोड़कर गांव आ गए और अपनी टिश्यू कल्चर लैब खोल दी. 800 वर्ग मीटर में पाली हाउस 1500 वर्ग मीटर में इन सेट हाउस खोला. इसके बाद आलू के बीज तैयार करना शुरू कर दिए और इसमें सफलता हासिल की. इस कारोबार से उन्होंने 25 लोगों को रोजगार दिया.

राहुल पाल का दावा है कि आमतौर पर किसान 1 बीघे खेत में 40 पैकेट आलू का उत्पादन करता है. जबकि उनके द्वारा तैयार किए हुए वायरस रहित बीज से 80 से 90 पैकेट प्रति बीघा आलू पैदा होता है. वह हजारों किसानों को बीज उपलब्ध करा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात औप बंगाल तक कारोबार कर रहे हैं.

पढ़ेंः कृषि में ड्रोन का बढ़ेगा महत्व, MMMUT के साथ करार करेगा नाबार्ड

डॉक्टर राहुल पाल(Dr. Rahul Pal) ने बताया कि पाली हाउस में टिश्यू कल्चर तकनीक से आलू, केला, आर्नामेंटल, यूकेलिप्टस और सागोन के पौधे तैयार कर रहे हैं. यह विशेष आकर्षक होने के साथ सर्वाधिक उत्पादन देकर किसानों के लिए लाभकारी हो रहे हैं. वहीं, सजावट के लिए गुलाब के अलावा विशेष प्रकार के फूलदार पौधे भी तैयार कर रहे हैं. राहुल का कहना है कि लैब से उन्हें गांव में अपनी तरक्की के साथ किसानों को मजबूत करने का मौका मिला है.

राहुल ने बताया कि विदेश में नौकरी सिर्फ उनकी आमदनी का जरिया था. अब उन्हें अपने हुनर से खुद को समृद्ध होने के साथ किसानों की तरक्की की राह दिखा कर देश को मजबूत करने का मौका मिल रहा है. उन्होंने बताया कि उनका प्रोजेक्ट बखूबी तैयार हो चुका है.

पढ़ेंः जैविक खेती को बढ़ावा देगी योगी सरकार, ये है खास रणनीति

फर्रुखाबादः जिले में भले ही अन्नदाता अपने बच्चों को उचित शिक्षा देकर अच्छी नौकरी का ख्वाब संजोते हों, लेकिन सिंगीरामपुर के एक लाल ने खेती की ललक में विदेश में मिली नौकरी को ठुकरा दिया. किसानों की तरक्की का सपना संजोए हुए इस लाल ने गांव में ही टिश्यू कल्चर लैब(tissue culture lab) और पाली हाउस खोल कर अपना भविष्य बना लिया.

गांव का यह बेटा दूसरों को भी रोजगार देकर विदेश की नौकरी से अच्छी आमदनी के साथ ही किसानों को तरक्की की राह बताने में जुटा है. वे गांव से ही देश के कई प्रांतों के साथ कारोबार कर रहे हैं. उनके द्वारा विकसित तकनीक और उन्नत बीजों ने आलू की पैदावार को दोगुना कर किसानों की आय भी दुगनी कर दी है.

डॉक्टर राहुल पाल

बता दें, कि कमालगंज ब्लॉक क्षेत्र के सिंगीरामपुर गांव निवासी शिक्षक गोवर्धन दास पाल के पुत्र राहुल पाल ने एमएससी बायोटेक, एमबीए व एम फिल की पढ़ाई की. इसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने एक बीज कंपनी में नौकरी की फिर दिल्ली में एक कंपनी में परियोजना प्रबंधक हो गए. राहुल के कदम यहीं नहीं रुके, उन्होंने डेढ़ लाख रुपये मासिक वेतन पर इरिटेरिया ईस्ट अफ्रीका के नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट(National Agriculture Research Institute) में नौकरी की.

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वहां उन्होंने बीज अनुसंधान( seed research) में महारत हासिल की और अपना टिश्यू कल्चर लैब लगाने की ठान ली. इसके लिए विदेश की नौकरी 1 साल बाद ही ठुकरा दी. वर्ष 2015 में वे अफ्रीका से नौकरी छोड़कर गांव आ गए और अपनी टिश्यू कल्चर लैब खोल दी. 800 वर्ग मीटर में पाली हाउस 1500 वर्ग मीटर में इन सेट हाउस खोला. इसके बाद आलू के बीज तैयार करना शुरू कर दिए और इसमें सफलता हासिल की. इस कारोबार से उन्होंने 25 लोगों को रोजगार दिया.

राहुल पाल का दावा है कि आमतौर पर किसान 1 बीघे खेत में 40 पैकेट आलू का उत्पादन करता है. जबकि उनके द्वारा तैयार किए हुए वायरस रहित बीज से 80 से 90 पैकेट प्रति बीघा आलू पैदा होता है. वह हजारों किसानों को बीज उपलब्ध करा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात औप बंगाल तक कारोबार कर रहे हैं.

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डॉक्टर राहुल पाल(Dr. Rahul Pal) ने बताया कि पाली हाउस में टिश्यू कल्चर तकनीक से आलू, केला, आर्नामेंटल, यूकेलिप्टस और सागोन के पौधे तैयार कर रहे हैं. यह विशेष आकर्षक होने के साथ सर्वाधिक उत्पादन देकर किसानों के लिए लाभकारी हो रहे हैं. वहीं, सजावट के लिए गुलाब के अलावा विशेष प्रकार के फूलदार पौधे भी तैयार कर रहे हैं. राहुल का कहना है कि लैब से उन्हें गांव में अपनी तरक्की के साथ किसानों को मजबूत करने का मौका मिला है.

राहुल ने बताया कि विदेश में नौकरी सिर्फ उनकी आमदनी का जरिया था. अब उन्हें अपने हुनर से खुद को समृद्ध होने के साथ किसानों की तरक्की की राह दिखा कर देश को मजबूत करने का मौका मिल रहा है. उन्होंने बताया कि उनका प्रोजेक्ट बखूबी तैयार हो चुका है.

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