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फर्रुखाबाद में भी ज्ञानवापी जैसा मामला, मजार में गंगेश्वरनाथ शिवालय होने का दावा

यूपी के फर्रुखाबाद जिले में ज्ञापवापी जैसा मामला सामने आया है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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Published : Aug 7, 2023, 10:41 PM IST

फर्रुखाबादः जिले में ज्ञापवापी जैसा मामला सामने आया है. कोतवाली व तहसील कायमगंज क्षेत्र के ग्राम माऊरशीदाबाद में मुगल शासक के मकबरे को हिंदू जागरण मंच ने गंगेश्वरनाथ महादेव का मंदिर होने का दावा किया है. दावे में कहा गया है कि मकबरे में बने हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह इसके प्रमाण हैं. मांग की गई है कि इस मामले की जांच भी ज्ञानवापी की तरह ही होनी चाहिए जिससे की पूरा मामला साफ हो सके.

जिले में वाराणसी की ज्ञानवापी जैसा एक मामला सामने आया है. कोतवाली कायमगंज क्षेत्र के ग्राम मऊ रशीदाबाद में स्थित एक मुगल शासक की मजार को हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारी प्रदीप सक्सेना ने भगवान भोलेनाथ का मंदिर बताया है.


प्रदीप सक्सेना का दावा है कि उस जगह पर करीब 600- 700 साल पहले एक शिव मंदिर था. सन 1607 में शमसाबाद के मुगल शासक ने मंदिर को मजार में तब्दील करा दिया. 1649 में शासक मियां के निधन के बाद उसको उसी जगह दफना कर मंदिर को मकबरे में तब्दील कर दिया गया.


प्रदीप का कहना है की वह मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे. उनकी मांग है की जैसे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो रहा है वैसे ही इस जगह का सर्वे कर खुदाई कराई जाए. बताया कि आज भी दीवारों पर त्रिशूल समेत हिंदू धर्म से संबंधित चिह्न मौजूद हैं. ये सभी शिव मंदिर का प्रमाण हैं. इसकी जांच ज्ञानवापी की तरह ही होनी चाहिए.

फर्रुखाबादः जिले में ज्ञापवापी जैसा मामला सामने आया है. कोतवाली व तहसील कायमगंज क्षेत्र के ग्राम माऊरशीदाबाद में मुगल शासक के मकबरे को हिंदू जागरण मंच ने गंगेश्वरनाथ महादेव का मंदिर होने का दावा किया है. दावे में कहा गया है कि मकबरे में बने हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह इसके प्रमाण हैं. मांग की गई है कि इस मामले की जांच भी ज्ञानवापी की तरह ही होनी चाहिए जिससे की पूरा मामला साफ हो सके.

जिले में वाराणसी की ज्ञानवापी जैसा एक मामला सामने आया है. कोतवाली कायमगंज क्षेत्र के ग्राम मऊ रशीदाबाद में स्थित एक मुगल शासक की मजार को हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारी प्रदीप सक्सेना ने भगवान भोलेनाथ का मंदिर बताया है.


प्रदीप सक्सेना का दावा है कि उस जगह पर करीब 600- 700 साल पहले एक शिव मंदिर था. सन 1607 में शमसाबाद के मुगल शासक ने मंदिर को मजार में तब्दील करा दिया. 1649 में शासक मियां के निधन के बाद उसको उसी जगह दफना कर मंदिर को मकबरे में तब्दील कर दिया गया.


प्रदीप का कहना है की वह मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे. उनकी मांग है की जैसे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो रहा है वैसे ही इस जगह का सर्वे कर खुदाई कराई जाए. बताया कि आज भी दीवारों पर त्रिशूल समेत हिंदू धर्म से संबंधित चिह्न मौजूद हैं. ये सभी शिव मंदिर का प्रमाण हैं. इसकी जांच ज्ञानवापी की तरह ही होनी चाहिए.


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