फर्रुखाबाद: मंगलवार को एडीजी कानपुर जोन जय नारायन सिंह फर्रुखाबाद पहुंचे. यहां उन्होंने एक पत्रकार वार्ता की. वार्ता में उन्होंने भाई के कागजातों पर फौज में नौकरी करने वाले हत्यारोपी अंकित के मामले की जानकारी दी. एडीजी ने कहा कि अंकित को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस फर्जीवाड़े की जांच में आईजी जोन कानपुर मोहित अग्रवाल कर रहे हैं.
एडीजी कानपुर जोन जय नारायन सिंह ने कहा कि कन्नौज के थाना विशुनगढ़ में साल 2018 में हत्या का एक मुकदमा दर्ज किया गया था. 5 लोग नामजद थे. इस मामले में दो अभियुक्त गिरफ्तार हुए थे और दो हाजिर हुए थे. पांचवां वांछित अपराधी अंकित फौजी फरार था. 2 जनवरी 2019 को उसकी जगह एक व्यक्ति न्यायालय में हाजिर हुआ, उसने अमित फौजी होने का दावा किया. इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया.
एडीजी कानपुर जोन ने बताया कि इसके बाद मृतक के भाई ने जिलाधिकारी के यहां शिकायत दर्ज कराई कि जो शख्स न्यायालय में पेश हुआ था. वह अंकित नहीं बल्कि उसका भाई आदित्य है. शिकायत में यह भी कहा गया कि अंकित सेना के कुमाऊ सेंटर, 17 रानीखेत, उत्तराखंड में भाई आदित्य के शैक्षिक प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहा है. उसने हरदोई से फर्जी कागजात बनवाकर सेना में नौकरी हासिल की. एडीजी कानपुर जोन ने कहा कि वांछित चल रहे अंकित को गिरफ्तार कर लिया गया है. पूरे मामले की आईजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल द्वारा जांच की जा रही है.
दरअसल, थाना विशुनगढ़ के अंतर्गत गांव रुद्रपुर जमामर्दपुर निवासी धर्मपाल के घर 22 जुलाई 2018 को मुंडन समारोह था. वहां डीजे बजाने को लेकर विवाद हो गया था. आरोप है कि अंकित फौजी ने लाइसेंसी बंदूक से फायरिंग कर दी. इसमें धर्मपाल के भाई रामपाल समेत कई लोग घायल हो गए. 29 जुलाई 2018 को इलाज के दौरान रामपाल की मौत हो गई. धर्मपाल ने गांव के अंकित फौजी, अनुराग, आशीष, रामदास और शुभम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. तत्कालीन थाना प्रभारी सुजीत वर्मा मामले की विवेचना कर रहे थे. 2 जनवरी 2019 को अंकित ने सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.
हाईकोर्ट की शिकायत
धर्मपाल को अंकित यादव की जगह उसके भाई आदित्य यादव के अदालत में समर्पण करने की जानकारी मिली. धर्मपाल ने इसकी पुलिस से शिकायत की. शिकायत में कहा गया कि अंकित सेना के कुमाऊ सेंटर, 17 रानीखेत, उत्तराखंड में भाई आदित्य के प्रणाम पत्र पर नौकरी कर रहा है. लेकिन पुलिस ने मामले का संज्ञान नहीं लिया, जिसके बाद धर्मपाल ने हाईकोर्ट की शरण ली.