फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद में यातायात की जागरूकता के लिए भले ही अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया गया हो, लेकिन इसका असर जिले में कोई खास नहीं दिखा. गुजर रहे साल में यहां सड़क हादसों में 131 लोगों की जानें गई. वहीं, मरने वालों में 70 युवा शामिल थे. स्पीड की मार व आए दिन टूट रहे ट्रैफिक के नियम यातायात पर भारी पड़ रहे हैं. वहीं, फर्रुखाबाद में एक दर्जन से अधिक दुर्घटना बाहुल्य प्वाइंट हैं. सबसे ज्यादा सड़क हादसे इटावा-बरेली हाईवे और दिल्ली रोड पर हुए हैं. जिस तरह से लोगों की सड़क हादसे में जान गई है. उसके पीछे कहीं न कहीं स्पीड की मार सामने आई है.
हालांकि, जिले में यातायात की जागरूकता के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं. समय- समय पर वाहनों की चेकिंग भी की जा रही है. चार पहिया वाहन वालों को जहां सीट बेल्ट लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है तो वहीं दुपहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाकर चलने के फायदे बताए जा रहे हैं. इतना सब कुछ होने के बाद भी सड़क हादसे कम नहीं हो रहे हैं.
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लोग कदम-कदम पर यातायात के नियमों को तोड़ रहे हैं. बाइक पर हेलमेट लगाना तो दूर चार-चार लोग बैठाकर फर्राटे भरे रहे हैं. यही कारण है कि तमाम प्रयासों के बावजूद पुलिस भी ट्रैफिक सिस्टम मजबूत करने में विफल रही है. एआरटीओ विभाग की तो बात ही छोड़िए. इस सबके चलते जिले भर में सड़क हादसे कम नहीं हो पा रहे हैं. जिस तरह से सड़क हादसों के आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. ऐसे में साफ हो रहा है कि कैसे स्पीड की मार से लोगों ने जान गंवाई है.
वहीं, एआरटीओ बृजेन्द्र नाथ चौधरी ने बताया कि युवाओं में जोश होता है और ट्रैफिक नियम के पालन नहीं करते हैं. इसलिए वो दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. हालांकि विभाग की तरफ से लगातार प्रयास किया जाता है कि लोगों को जागरूक किया जाए. इसके बाबत विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित कर लोगों को ट्रैफिक नियमों के पालन करने को निर्देशित भी किया जाता है, लेकिन परिणाम अपेक्षा के अनुरुप नहीं हैं.
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