इटावा: कोरोना संकट के चलते भारत में 25 मार्च से 31 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन रहा. लोगों के आवागमन पर रोक थी. वहीं लॉकडाउन ने कई लोगों का रोजगार भी छीन लिया. कोरोना के खतरे को देखते हुए लोग घरों में कैद रहे. इस अवधि में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई.
लॉकडाउन के दौरान इटावा में महिलाओं से संबंधी अपराधों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई, जिसमें सिर्फ अप्रैल, मई, जून इन तीन महीनों में घरेलू हिंसा के 1,300 से अधिक मामले डायल 112 में दर्ज कराए गए. वहीं महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या 118 है. इन मामलों में मई-जून में रिकॉर्ड वृद्धि देखने को मिली है. इसी के साथ बच्चों के साथ हुई क्रूरता को लेकर 27 मामले दर्ज किए गए. यह सभी अपराध के मामले डायल 112 में दर्ज कराए गए हैं. अधिकांश मामलों का प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए निस्तारण कर दिया.
पुरुष प्रधान मानसिकता से बढ़े अपराध: समाजशास्त्री
समाजशास्त्री डॉ. कल्पना वशिष्ठ का कहना है कि इतने अधिक समय तक पुरुषों का घर पर रहना एक चुनौती जैसा रहा. पुरुष कभी भी इतने समय के लिए घर पर नहीं रहे. वहीं पुरुष प्रधान सोच इस तरह के अपराध अधिक बढ़ा सकती है. पुरुष की मानसिकता खुद को कभी नीचा साबित नहीं होना देना चाहती. यही उसकी सोच अपराध का रूप ले लेती है.
एसएसपी आकाश तोमर ने लॉकडाउन के दौरान बढ़े अपराध को लेकर कहा कि लॉकडाउन में जमीन से जुड़े पारिवारिक विवाद, सहित अन्य विवादों को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए गए थे. क्योंकि बाहर से आए लोगों से इस तरह के विवाद बढ़ने की आशंका थी. एसपी ने बताया लॉकडाउन में सिविल डिफेंस और एसपीओ टीम को प्रेरित करके अपराधों में कमी लाने का प्रयास किया गया.
एक नज़र में फरवरी से लेकर जून तक के आकड़े
माह | घरेलू हिंसा | यौन उत्पीड़न | उत्पीड़न | दहेज उत्पीड़न | बच्चों से जुड़े मामले |
फरवरी | 365 | 31 | 27 | 7 | 1 |
मार्च | 361 | 37 | 24 | 5 | 4 |
अप्रैल | 236 | 18 | 21 | 9 | 8 |
मई | 543 | 54 | 37 | 11 | 10 |
जून | 607 | 46 | 37 | 16 | 9 |
यह सभी मामले डायल 112 में दर्ज कराए गए हैं.