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इटावा : महिला टीचर संवार रहीं गरीब बच्चों का भविष्य

इटावा में झोपड़ पट्टी के गरीब बच्चों को सरकारी महिला टीचर ने निशुल्क पढ़ाने का बीड़ा उठाया है. महिला टीचर का कहना है कि इन बच्चों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहती हूं.

बच्चों को पढ़ाती अध्यापिका.
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Published : Mar 2, 2019, 1:05 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST

इटावा : झोपड़ पट्टी के जिन गरीब बच्चों को सरकार का 'स्कूल चलो अभियान' भी स्कूल नहीं ले जा सका. उन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा एक सरकारी महिला टीचर ने उठाया है. महिला टीचर इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश में लगी हैं.

बच्चों को पढ़ाती अध्यापिका.

सीमा यादव इटावा के प्राथमिक पाठशाला दतावली की सहायक अध्यपिका हैं. उन्होंनेशहर की झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षित कर उन्हें जीवन में आत्मनिर्भर बनाने की ठानी है. उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने इन बच्चों को शिक्षित करने के लिये उन्हें प्रेरित किया. तब से वे इस मिशन मेंलगी हुई हैं.

सीमा ने इन बच्चों को नि:शुल्कशिक्षा देने के साथ ही कॉपी, किताब, पहनने के लिये कपड़े औरखाने-पीने की सामग्री का जिम्मा भी खुद उठा रखा है. सीमा की इस सराहनीय पहल में अब समाज केलोगों ने भी मदद करनी शुरू कर दी है. उनका कहना है कि ये सभी बच्चे शहर में कूड़ा बीनने औरभीख मांगने का काम करते थे. इसलिए अब उन्हें शिक्षित बनाकरआत्मनिर्भर बनाना चाहती हूं.

इटावा : झोपड़ पट्टी के जिन गरीब बच्चों को सरकार का 'स्कूल चलो अभियान' भी स्कूल नहीं ले जा सका. उन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा एक सरकारी महिला टीचर ने उठाया है. महिला टीचर इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश में लगी हैं.

बच्चों को पढ़ाती अध्यापिका.

सीमा यादव इटावा के प्राथमिक पाठशाला दतावली की सहायक अध्यपिका हैं. उन्होंनेशहर की झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षित कर उन्हें जीवन में आत्मनिर्भर बनाने की ठानी है. उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने इन बच्चों को शिक्षित करने के लिये उन्हें प्रेरित किया. तब से वे इस मिशन मेंलगी हुई हैं.

सीमा ने इन बच्चों को नि:शुल्कशिक्षा देने के साथ ही कॉपी, किताब, पहनने के लिये कपड़े औरखाने-पीने की सामग्री का जिम्मा भी खुद उठा रखा है. सीमा की इस सराहनीय पहल में अब समाज केलोगों ने भी मदद करनी शुरू कर दी है. उनका कहना है कि ये सभी बच्चे शहर में कूड़ा बीनने औरभीख मांगने का काम करते थे. इसलिए अब उन्हें शिक्षित बनाकरआत्मनिर्भर बनाना चाहती हूं.

Intro:एंकर-झोपड़पट्टी के जिन गरीब बच्चों को सरकार का स्कूल चलो अभियान भी स्कूल नही ले जा सका,उन्ही बच्चों के लिए एक सरकारी महिला टीचर मां सरस्वती बन गई है।ये महिला सरकारी टीचर अब इन बच्चों निशुल्क शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने के लायक बनाने के मिशन में लग गईं हैं।


Body:वीओ(1)-इटावा के प्राथमिक पाठशाला दतावली की सहायक अध्यपिका ये हैं सीमा यादव।सीमा ने शहर की झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षित कर उन्हें जीवन मे आत्मनिर्भर बनाने की ठानी है।सीमा जी के जीवन मे इन गरीब बच्चों को लेकर कुछ ऐसी घटनाएं घटीं,जिसने उन्हें इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिये प्रेरित किया,और वे लग गईं अपने इस मिशन में।

वाइट-सीमा यादव(सरकारी टीचर)
(0.01 से 0.21 तक)

वीओ(2)-इन गरीब बच्चों को शिक्षा सीमा यादव निशुल्क दे रहीं हैं।कॉपी किताबें इनके पहनने के लिये कपड़े व खाने पीने की सामग्री भी वो स्वयं ही वहन करतीं हैं।सीमा के इस शानदार काम मे अब समाज के अच्छे लोगों ने भी मदद करनी शुरू कर दी है।

वाइट-सीमा यादव(सरकारी शिक्षक)
(0.24 से 0.48 तक)

वीओ(3)-सरकारी शिक्षक सीमा यादव बताती हैं कि ये सभी बच्चे शहर में कूड़ा बीनने भीख मांगने का काम करते थे।इसलिए अब उन्हें शिक्षित बनाकर इनको आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं।

वाइट-सीमा यादव(सरकारी शिक्षक)


Conclusion:वीओ(4)-ये गरीब बच्चे उन गरीब परिवारों से हैं जहां का माहौल कतई शिक्षा का नही है।सीमा ने उनकी बस्ती में जाकर इनके परिजनों को समझाकर अपने बच्चों शिक्षित बनाने के लिए प्रेरित करतीं हैं।
मोब न0 8445980843।
Last Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST
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