इटावा: जिले में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी कार्यालय में सपा कार्यकर्ताओं ने बैठक की. इसके बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की ही तरह राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कृषि बिल के मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रहे हैं. गोपाल यादव ने कहा कि किस कानून में यह लिखा था कि किसान मंडी से बाहर जाकर पहले अपनी फसल नहीं बेच पाएगा.
सपा जिलाध्यक्ष ने किया दावा
सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार हमारी इन बातों का जवाब क्यों नहीं देती है, जिस पर हम लोगों को आपत्ति है? जिस प्रकार से सरकार ने आलू, तेल, दाल, मसाले और प्याज इत्यादि वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं से बाहर किया है, उससे इन वस्तुओं की अब जमकर कालाबाजारी हो रही है. इससे किसान सहित देश के हर नागरिक पर बुरा असर हो रहा है. ऊपर से सरकार ने होल्डिंग व भंडारण की सीमा से प्रतिबंध हटाकर कालाबाजारी के लिए रास्ता भी खोल दिया है. अब किसान अपनी फसल ज्यादा दिनों तक होल्ड भी नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा कि अब इस कानून का फायदा उठाकर मल्टीनेशनल कंपनियां किसानों से औने-पौने दाम पर फसल खरीदकर उन्हें स्वयं होल्ड करके कुछ दिनों बाद मुंह मांगी कीमत पर बाजार में बेचेंगी. जब ये मल्टीनेशनल कंपनियां कृषि क्षेत्र में भी आ जाएंगी, तो किसान और आढ़तिया उनके सामने टिक नहीं पाएंगे. इससे मंडियां खत्म हो जाएंगी और किसान अपनी जमीन भी उन्हीं मल्टीनेशनल कंपनियों को बेचने के लिए ही मजबूर हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरकार जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात कर रही है, वह भी गलत है. जब किसान फसल बोएगा, तो कंपनियां किसान से उनके उत्पाद की कुछ कीमत तय करेंगे और जब फसल पककर तैयार हो जाएगी, तो कुछ और कीमत तय करेंगे. उन्हें अपनी मनमर्जी की कीमत पर खरीदेंगे और किसान भी उन्हें अपनी फसल बेचने को मजबूर होगा, क्योंकि वह कंपनी के अनुबंध से बंधा होगा. इसलिए फसल बाहर नहीं बेंच पायेगा.
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी यह मांग करती है कि इस कृषि बिल में उल्लेख होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति किसान की फसल को उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर न खरीदें. लेकिन, ऐसा इस बिल में कोई भी उल्लेख नहीं है. और वह मैं इसलिए कह रहा हूं कि इस समय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई भी फसल नहीं बिक रही है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोले सपा जिलाध्यक्ष
सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने कहा कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में वह 900 प्रति क्विंटल बिक रहा है. वहीं गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विंटल है और वह बाजार में 1400 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है. वहीं मक्का का समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मक्का बाजार में 900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है. ऐसे में इन कीमतों से तो किसान की लागत भी नहीं निकल रही है. इसलिए समाजवादी पार्टी यह मांग करती है कि इस कृषि बिल को निरस्त कर यह कानून बनाया जाए कि किसी भी किसान को उसकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम कभी न मिले.